डिजिटल युग हर क्षेत्र में बदलाव ला रहा है। खेल भी जगत इससे अछूता नहीं है। मैदान में खेले जाने वाले खेल के लिए अब बच्चे या युवा बाहर जाकर पसीना नहीं बहाते। घर में एयरकंडीशनर में बैठ कर मोबाइल, टीवी या लैपटॉप पर खेल खेलते हैं। वीडियो गेमिंग यानी ई-स्पोर्ट्स आज के दौर की सच्चाई है और यह एक प्रमुख इंडस्ट्री के रूप में उभर रहा है। एक समय था जब वीडियो गेम्स को केवल मनोरंजन का साधन माना जाता था। बच्चे समय काटने के लिए कभी-कभी वीडियो गेम्स खेलते थे। अब स्थिति बदल गई है। अब वीडियो गेम्स में बाकायदा पेशेवर खिलाड़ी आ गए हैं और यह रोजगार का विकल्प भी बनता जा रहा है। पेशेवर खिलाड़ियों की बदौलत इस क्षेत्र में बहुत तेजी आई है और करियर विकल्प के साथ यह अरबों डॉलर की अर्थव्यवस्था का हिस्सा भी बन गया है। भारत में पबजी मोबाइल और बैटलग्राउंड्स मोबाइल इंडिया (बीजीएमआइ) जैसे खेलों ने आज ई-स्पोर्ट्स को न केवल लाखों युवाओं का जुनून बना दिया है, बल्कि प्रायोजन, ब्रांड डील और टूर्नामेंट के जरिये एक लाभदायक करियर विकल्प भी दिया है।
भारत में ई-स्पोर्ट्स का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। सन 2000 के दशक में जब कंप्यूटर गेमिंग की शुरुआत हुई, तब कुछ चुनिंदा गेंमिंग कैफे और पीसी गेम (काउंटर स्ट्राइक, डीओटीए) तक ही इसका दायरा सीमित था। असली बदलाव आया 2018 के बाद, जब मोबाइल गेमिंग ने बाजार पर कब्जा कर लिया। जब 2018 में पबजी मोबाइल भारतीय बाजार में आया, तब इसने लाखों युवाओं को ई-स्पोर्ट्स की दुनिया में खींचा। धीरे-धीरे यह एक प्रतिस्पर्धात्मक खेल बन गया, जिससे पेशेवर खिलाड़ियों, स्ट्रीमरों और खेल संगठनों को नया मंच मिला। सुरक्षा कारणों से 2020 में इस पर प्रतिबंध भी लगाया गया। यह ऑनलाइन खेल में जुनून रखने वालों के लिए बड़ा झटका था। इसका खुमार इतना था कि कुछ ही महीनों बाद बीजीएमआइ के रूप में इसे फिर से लॉन्च किया गया।
हालांकि कई विशेषज्ञ ऑनलाइन खेल और ई-स्पोर्ट्स की लत के प्रति चिंतित भी रहते हैं लेकिन जब ऐसी किसी भी बात में व्यावसायिक एंगल जुड़ जाए, तो उसे बंद करना या इसका विरोध करना आसान नहीं होता। ई-स्पोर्ट्स के अरबों डॉलर के कारोबार बन जाने के पीछे भारत के युवाओं की दीवानगी है, जिनके सिर इसका जादू चढ़ चुका है। अब स्थिति यह है कि भारत में इस क्षेत्र में बड़े निवेश और रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 के वित्त वर्ष में भारत में ई-स्पोर्ट्स स्टार्टअप का कुल मूल्य 68 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। अप्रैल 2020 के बाद भारतीय गेमिंग स्टार्टअप में 438 मिलियन डॉलर की पूंजी का निवेश हुआ।
दिन ब दिन यह कारोबार बढ़ता जा रहा है। भारत में इस साल ई-स्पोर्ट्स खिलाड़ियों की संख्या 15 लाख और टीमों की संख्या 2.5 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। खेलने के अलावा अब इस क्षेत्र में स्ट्रीमिंग, कंटेंट निर्माण, प्रशिक्षण, टूर्नामेंट प्रबंधन और गेम डेवलपमेंट जैसी भूमिकाएं भी करियर की राह खोल रही हैं। गेमिंग प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीमिंग से इसे खेलने वाले कई लोग अब लाखों रुपये कमा रहे हैं। कई ऐसे संगठन हैं, जो ऑनलाइन गेम खेलने वालों को प्रायोजित करते हैं और ब्रांड डील से पैसे कमाने में मदद भी करते हैं। यही वजह है कि यह धीरे-धीरे छोटे व्यवसाय में बदल रहा है।
उद्योग के रूप में पनपने के कारण सरकार का सहयोग भी इसे मिल रहा है। सरकार अब ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल के रूप में स्वीकार करने लगी है। 2023 में सरकार ने ई-स्पोर्ट्स को ‘मल्टी-स्पोर्ट्स इवेंट्स’ की श्रेणी में डाल दिया, जिससे इसे मान्यता मिली। हाल ही में हुए एशियन गेम्स 2022 में ई-स्पोर्ट्स को पहली बार आधिकारिक खेल के रूप में शामिल किया गया।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2027 तक भारतीय ऑनलाइन गेमिंग बाजार 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है और इसकी सालाना वृद्धि दर 20 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इसके पीछे सुनियोजित रणनीति है, जो इस खेल उद्योग को आगे बढ़ा रही है। कई टेक कंपनियां खासतौर पर अपने यहां ऑनलाइन गेमिंग डवलपर रख रही हैं, जिसमें आइआइटी से तक के छात्र इसका हिस्सा बन रहे हैं। लेकिन भारत में अभी ई-स्पोर्ट्स के लिए कोई ठोस नीति न होने के कारण इस उद्योग को कुछ चुनौतियां का भी सामना करना पड़ रहा है। ऑनलाइन गेमिंग में काम करने वाली कंपनियां चाहती हैं कि सरकार इस पर अपनी नीति स्पष्ट करे, ताकि उन्हें भविष्य की चिंता न रहे। कंपनियां चाहती हैं कि सरकार डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार लाए और इस उद्योग को अन्य उद्योगों की तरह समर्थन दे। यह तभी संभव है, जब इस पर स्पष्ट नीति हो।
फिलहाल भारत में यह सब इसलिए संभव नहीं लग रहा क्योंकि गेमिंग की लत और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भारत में मुखर रूप से विरोध शुरू हो चुका है। गेमिंग में हार जाने और आत्महत्या जैसे मामले बढ़ने से भी आम जनता का दबाव रहता है कि सरकार इस पर प्रतिबंध लगाए। कुछ लोगों का मानना है कि युवा आबादी इससे बर्बाद हो रही है। यह नशे की लत की तरह है, जिस पर रोक आवश्यक है।
इस सबके बीच पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से जुड़े कई युवाओं से मुलाकात कर चुके हैं। उनकी मुलाकात से संदेश यही है कि सरकार भारत में गेमिंग और एनिमेशन सेक्टर की बढ़ती संभावनाओं पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री ने इस उद्योग से जुड़े लोगों से चर्चा कर इसकी संभावनाओं को तलाशा था। उन्होंने युवाओं को इस क्षेत्र में नए इनोवेशन करने के लिए प्रेरित भी किया था। मोदी के ‘मेड इन इंडिया’ खेल विकसित करने पर जोर देने से तो लग रहा है कि भारत में ई-स्पोर्ट्स का भविष्य उज्जवल है।