उच्च शिक्षा संस्थानों को पांच मानदंडों पर मापा जाता है: शिक्षक- छात्र अनुपात, अनुसंधान, रोजगार, फैकल्टी गुणवत्ता, समावेश और विविधता। इन पांच व्यापक मापदंडों को फिर कई उप-मापदंडों/संकेतकों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक का एक समग्र अधिभार तय किया जाता है। हर श्रेणी के स्कोर सामान्यीकृत किए जाते हैं; प्रत्येक श्रेणी का अधिभार तय करके कुल स्कोर 100 पर पहुंचाया जाता है। यह पद्धति वर्षों के अनुसंधान से निकली है। उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया, अकादमिक लीडरों और उच्च शिक्षा विशेषज्ञों के साथ चर्चा, साहित्य समीक्षा, डेटा में रुझान, नए डेटा की उपलब्धता और कुलपतियों, डीन, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और प्रमुख शिक्षाविदों के साथ संलग्नता के आधर पर इस पद्घति को लगातार परिष्कृत किया जाता है।
परिणाम से प्राप्त टिप्पणियों से पता चलता है कि भारतीय बिजनेस स्कूल शिक्षा के 3ई ढांचे, अर्थात अनुभवजन्य शिक्षण, प्रायोगिक दृष्टिकोण और उद्यमशीलता की भावना से समस्या को संबोधित कर रहे हैं और विकास कर रहे हैं। वे ऑनलाइन सामग्री, अद्वितीय शिक्षण उपकरण और केस-आधारित संवादात्मक शिक्षण का उपयोग करके अगली पीढ़ी के लीडरों के लिए विश्वस्तरीय शिक्षा की सुविधा भी प्रदान कर रहे हैं जो छात्रों को विघटनकारी रणनीति, संवाद पटुता, बिजनेस एनालिटिक्स वगैरह उन्नत पाठ्यक्रमों तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बिजनेस स्कूाल सचेत पूंजीवाद को बढ़ावा देकर इस वर्तमान स्थिति को बदल सकेंगे और भारत में बिजनेस स्कूलों के अनुभव को फिर से गढ़ सकेंगे।