बैंकों से कर्ज लो, पैसा विदेश भेजो और देश में खुद को दिवालिया घोषित कर दो। भारत में यह नया ट्रेंड बनता जा रहा है। यह बात पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स के बाद अब ‘पैंडोरा पेपर्स’ के खुलासे से साबित होती है। हालाकि पैंडोरा पेपर्स में ऐसे भी अनेक नाम हैं जिन्होंने टैक्स बचाने के मकसद से विदेश में धन छिपाया। सूची में राजनीति, उद्योग, खेल और सिनेमा जगत के कम से कम 300 भारतीयों के नाम होने का दावा किया गया है। वैसे, इसमें 90 देशों के 330 से ज्यादा नेता शामिल हैं। यह खुलासा इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आइसीआइजे) ने किया है। अंग्रेजी दैनिक द इंडियन एक्सप्रेस भी इस कंसोर्टियम का सदस्य है।
आइसीआइजे का दावा है कि पैंडोरा पेपर्स अब तक की सबसे बड़ी वैश्विक संयुक्त मीडिया इन्वेस्टिगेशन है। इसमें 117 देशों के 150 से अधिक मीडिया संस्थानों के 600 से ज्यादा पत्रकारों ने मिलकर काम किया। उन्होंने 1.19 करोड़ से ज्यादा गोपनीय फाइलें खंगालीं। इस सूची में उद्योगपति अनिल अंबानी, गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी, बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार शॉ के पति जॉन शॉ, भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के बेटे बकुलनाथ, अभिनेता जैकी श्रॉफ और क्रिकेट के ‘भगवान’ सचिन तेंडुलकर भी हैं।
हालांकि कई हस्तियों ने कहा है कि उन्होंने वैध तरीके से विदेश में निवेश किया है। अनिल अंबानी ने एक मामले में लंदन की कोर्ट को बताया था कि उनकी विदेश में कोई संपत्ति नहीं, जबकि पैंडोरा पेपर्स में इसका खुलासा किया गया है। इस बारे में उनके वकील ने कहा, “हमारे मुवक्किल भारत में टैक्स देने वाले नागरिक हैं और उन्होंने भारतीय अधिकारियों से वह सब कुछ बताया है जो कानूनन आवश्यक है।” सचिन तेंडुलकर फाउंडेशन के सीईओ और निदेशक मृणमय मुखर्जी का कहना है कि तेंडुलकर ने कर चुकाने के बाद बची कमाई से वैध तरीके से विदेश पैसे भेजे। इसका पूरा लेखा-जोखा है और उसे टैक्स रिटर्न में घोषित भी किया गया है।
बायोकॉन की सीएमडी किरण मजूमदार शॉ का कहना है कि पैंडोरा पेपर्स में उनके पति के विदेश स्थित ट्रस्ट का नाम गलत तरीके से शामिल किया गया है। वह पूरी तरह वैध ट्रस्ट है। जैकी श्रॉफ की पत्नी आयशा श्रॉफ ने कहा, “मुझे और मेरे परिवार को ऐसे ट्रस्ट की जानकारी नहीं है। मेरी मां की मौत दस साल पहले हो गई थी, वे बेल्जियम की नागरिक थीं।”
पैंडोरा पेपर्स सामने आने के बाद यह सवाल एक बार फिर उठ रहा है कि क्या भारतीय कानून आर्थिक अपराध रोकने में सक्षम नहीं हैं? विशेषज्ञ ऐसा नहीं मानते। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व कार्यवाहक सचिव और वकील रोहित पांडेय कहते हैं कि भारतीय दंड संहिता में पर्याप्त प्रावधान हैं। प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी जांच एजेंसियों के पास भी पर्याप्त शक्तियां हैं और वे छानबीन कर दोषियों को सलाखों के पीछे भेज सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील पीयूष भारद्वाज के अनुसार मनीलॉन्ड्रिंग कानून 2002 (पीएमएलए), फेमा, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 105ए और काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) तथा कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 में इसके लिए प्रावधान हैं। भारद्वाज कहते हैं, “मेरी राय में अमेरिका के साथ सूचना साझा करने के समझौते से ऐसे मामलों की जांच और मुकदमा चलाने में मदद मिलेगी।” पैंडोरा पेपर्स की जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। देखना है कि समिति चोरी किया गया कितना टैक्स वसूल पाती है।
इन हस्तियों के भी नाम
अनिल अंबानी
रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने फरवरी 2020 में लंदन की एक कोर्ट को बताया कि उनकी कोई आय नहीं है। चीन के तीन बैंकों ने बकाया नहीं लौटाने पर उनके खिलाफ मुकदमा किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अंबानी की विदेशी संपत्ति के बारे में पूछा क्योंकि उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। कोर्ट ने अंबानी को आदेश दिया था कि वे बैंकों को 71.6 करोड़ डॉलर का भुगतान करें। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और कहा कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं बची है। लेकिन पैंडोरा पेपर्स में खुलासा हुआ कि अंबानी और उनके प्रतिनिधियों के पास न्यू जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और साइप्रस में कम से कम 18 कंपनियां थीं। इन्हें 2007 और 2010 के बीच स्थापित किया गया था। इनमें से सात ने कम से कम 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया है।
विनोद अडाणी
विनोद शांतिलाल शाह अडाणी एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति और उद्योगपति गौतम अडाणी के बड़े भाई हैं। साइप्रस की नागरिकता और दुबई में रहने वाले विनोद अडाणी ने 2018 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में हिबिस्कस आरई होल्डिंग्स नाम से कंपनी खोली थी, जिसके वे एकमात्र शेयरधारक थे। उनका दावा है कि अब कंपनी बंद हो गई है। विनोद अडाणी का नाम इससे पहले 2016 में पनामा पेपर्स में भी आया था। तब खुलासा हुआ था कि अडाणी समूह की कंपनी अडाणी एक्सपोर्ट्स के गठन के कुछ ही समय बाद 4 जनवरी 1994 को उन्होंने एक अन्य टैक्स हैवन देश बहामास में कंपनी खोली थी।
जॉन शॉ
मॉरीशस की कंपनी ग्लेनटेक इंटरनेशनल के पास बायोकॉन के शेयर हैं। ग्लेनटेक बायोकॉन की सीएमडी किरण मजूमदार शॉ के पति जॉन शॉ की कंपनी है। ग्लेनटेक का संबंध एलेग्रो कैपिटल कंपनी से भी है, जिसकी बाजार नियामक सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में जांच की थी और एक डायरेक्टर पर जुर्माना लगाया था। जॉन शॉ ब्रिटिश नागरिक हैं। किरण मजूमदार शॉ ने रिपोर्ट को भ्रामक बताया। उन्होंने कहा, उनके पति ने ग्लेनटेक कंपनी बायोकॉन की लिस्टिंग से पहले बनाई थी। लिस्टिंग के समय आरबीआइ और सेबी को इसकी जानकारी दी गई थी। बायोकॉन में ग्लेनटेक की 19.76 फीसदी इक्विटी है। जॉन शॉ की भारत से कमाई मुख्य रूप से बायोकॉन से मिलने वाले लाभांश से होती है जिस पर वे टैक्स चुकाते हैं।
सचिन तेंडुलकर
क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर, पत्नी अंजलि और ससुर आनंद मेहता के परिजनों के नाम भी पैंडोरा पेपर्स में आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार तीनों ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की एक कंपनी के डायरेक्टर थे। अप्रैल 2016 में पनामा पेपर्स लीक के तीन महीने बाद उस कंपनी को बंद कर दिया गया। हालांकि सचिन के वकील का कहना है कि सभी निवेश वैध थे। कंपनी बंद करने पर जो भी रकम मिली, उसकी जानकारी टैक्स अधिकारियों को दी गई थी।
जैकी श्रॉफ
अभिनेता जैकी श्रॉफ न्यूजीलैंड में अपनी सास क्लॉडिया दत्ता के मीडिया ट्रस्ट के प्रमुख लाभार्थी थे। क्लॉडिया ने नवंबर 2005 में इसे खोला था और आठ साल बाद बंद कर दिया। ट्रस्ट का स्विस बैंक में भी खाता था। जैकी के अलावा उनके बेटे-बेटी टाइगर तथा कृष्णा श्रॉफ भी इस ट्रस्ट के लाभार्थी थे। रोचक बात है कि जैकी की पत्नी आयशा ने ऐसे किसी ट्रस्ट की जानकारी से इनकार किया है।
सतीश शर्मा
गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले पूर्व पेट्रोलियम मंत्री दिवंगत कैप्टन सतीश शर्मा की कई विदेशी कंपनियों, ट्रस्ट व संपत्तियों में भागीदारी का दावा किया गया है। उनकी पत्नी, बच्चों और पौत्रों समेत परिवार के 10 सदस्य जेन जेगर्स ट्रस्ट के लाभार्थी हैं। उन्होंने इसका खुलासा कभी चुनाव में नामांकन दाखिल करते समय नहीं किया।
बकुलनाथ
अगस्तावेस्टलैंड घोटाले में राजीव सक्सेना नाम के जिस दलाल का नाम सामने आया था, उसने पूछताछ में प्रिस्टीन रिवर इन्वेस्टमेंट्स से पैसे मिलने की बात कबूली थी। पैंडोरा पेपर्स से पता चलता है कि जॉन डॉकर्ती नाम का स्विस नागरिक कमलनाथ के बेटे बकुलनाथ के लिए यह कंपनी चलाता था। डॉकर्ती ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में स्थापित कंपनी स्पेक्टर कंसल्टेंसी सर्विसेज का डायरेक्टर है, जबकि बकुल नाथ इसके लाभार्थी हैं। ब्रिटिश वर्जिन की एक अन्य कंपनी सेलब्रूक लिमिटेड, स्पेक्टर कंसल्टेंसी की शेयरधारक है।