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प्रदूषण: दिल्ली की हवा खराब है

हवा की गुणवत्ता पर सूची जारी होने के बाद प्रदूषित होते छोटे शहरों की चिंता के बजाय आरोप-प्रत्यारोप शुरू
शहरों में बढ़ रहा है प्रदूषण

स्विट्जरलैंड की संस्था आइक्यू एयर ने 2023 की वैश्विक वायु गुणवत्ता सूची जारी की है। वायु की गुणवत्ता पर निगरानी रखने वाली संस्था की सूची में भारत को 2023 में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद तीसरा सबसे प्रदूषित देश बताया गया। संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है। साल 2018 से दिल्ली को लगातार दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का दर्जा मिल रहा है। दुनिया के शीर्ष 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 42 शहर भारत के हैं। इनमें बेगुसराय 2023 का सबसे प्रदूषित शहर है। उसके बाद गुवाहाटी और फिर दिल्ली का नंबर आता है। गौर करने वाली बात यह है कि सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में बेगूसराय बिहार का एकमात्र शहर नहीं है। मध्य और दक्षिण एशिया के शीर्ष 15 सबसे प्रदूषित शहरों में सीवान, सहरसा, कटिहार, बेतिया, समस्तीपुर और आरा भी शामिल हैं। इस सूची में भारत से बाहर का केवल एक शहर पाकिस्तान का लाहौर है। इसका क्रम दिल्ली के ठीक नीचे चौथे क्रम पर है।

प्रदूषण की रैंकिंग जिस स्विस एजेंसी आइक्यू एयर ने जारी की है, उसे कम लोग जानते हैं। यानी यह कोई नामी-गिरामी संस्था नहीं है। बल्कि यह कंपनी अन्य देशों में एयर प्यूरीफायर, वायु गुणवत्ता निगरानी इकाइयों के साथ फेस मास्क भी बेचती है। प्रदूषण डेटा के बारे में एजेंसी का कहना है कि उन्होंने यह रैंकिंग ‘जमीनी स्तर के वायु निगरानी स्टेशनों से प्राप्त’ डेटा का उपयोग कर बनाई है। इसके अलावा सरकार सहित ‘विभिन्न प्रकार की संस्थाओं’ द्वारा संचालित नियामक वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरण और कम लागत वाले वायु गुणवत्ता सेंसर के संयोजन से इकट्ठा की गई है।

प्रदूषित शहरों की सूची

आइआइटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग और अक्षय ऊर्जा विभाग के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए इस विषय पर कहा था, “हमारे पास इन शहरों में प्रदूषण के स्रोतों पर बहुत अच्छा डेटा नहीं है। मुझे संदेह है कि इनमें बहुत भारी वाहनों का उत्सर्जन होगा। इसलिए, अगर मुझे कोई अनुमान लगाना हो तो मैं कहूंगा कि इन प्रदूषण फैलाने के बड़े हिस्से के रूप में लकड़ी-कोयला जलाना एक कारण हो सकता है। ठोस कचरे को जलाना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।’’ वायु प्रदूषण पर भारत के सबसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञों में से एक डॉ. त्रिपाठी का मानना है कि देश के कई हिस्सों में उज्ज्वला जैसी योजनाओं की सफलता के बावजूद बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवार अब भी खाना पकाने के लिए लकड़ी-कोयले-उपले जला रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार के शहर वायुमंडलीय स्थितियों के कारण कई बार कुछ मौसम में उत्तरी क्षेत्र, जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रदूषण से भी प्रभावित होते हैं। वैसे देखा जाए तो यह रैंकिंग विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) या शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों द्वारा पहले की गई रैकिंग के आकलन से बहुत ज्यादा अलग नहीं है। भारत में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की पिछली सूची में भी बिहार के कई स्थानों के नाम शामिल रहे हैं।

किसी विशेष शहर या कस्बे को सबसे अधिक प्रदूषित मानना इसलिए सटीक नहीं हो सकता कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा कुछ सीमित निगरानी स्टेशनों से आता है। बिहार में वायु गुणवत्ता सेंसर और मॉनिटर का सबसे सघन नेटवर्क आइआइटी कानपुर में डॉ. त्रिपाठी की टीम द्वारा राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से स्थापित किया गया है जिसमें राज्य के हर ब्लॉक में कम से कम एक मॉनिटरिंग स्टेशन है। 500 से अधिक मॉनिटर स्टेशन पिछले एक साल से बिहार से वायु गुणवत्ता डेटा एकत्र कर रहे हैं, लेकिन यह डेटा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

पिछले कुछ साल से प्रदूषण कहते ही सिर्फ दिल्ली का नाम ही लोगों के दिमाग में आता है। इस बार भी वही हुआ। दिल्ली का नाम बेगूसराय के बाद आने पर भी यहां की राजनीति प्रदूषण के नाम पर गरमा गई। उपराज्यपाल और दिल्ली के बीच अक्सर रहने वाली असहमति के बीच प्रदूषण को लेकर भी पार्टी और उनके बीच बहस हो ही गई। छोटे शहरों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन प्रदूषण की खबर को लेकर हमेशा चर्चा में बनी रहने वाली राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सूची में दिल्ली का नाम देखना बिलकुल पसंद नहीं आया और उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिख दिया। सक्सेना ने पत्र लिखा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी फिर से सबसे प्रदूषित शहरों में सूची में शामिल हो गई है। यह अंतरराष्ट्रीय शर्म और सामूहिक चिंता का विषय है। मुझे यकीन है कि आपकी सरकार के नौ साल का यह रिपोर्ट कार्ड वह नहीं है जिस पर आप को गर्व होगा। बहुचर्चित ‘दिल्ली मॉडल’ धुंध में डूबा हुआ है।’’ सरकार और एलजी के एक बार फिर आमने-सामने आ जाने पर प्रदूषण की चिंता पर बात होने के बजाय चर्चा पत्र के सवाल-जवाब पर आकर रुक गई। आम आदमी पार्टी ने कहा कि एलजी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को ऐसी भाषा में पत्र लिखा है जिससे बचना बेहतर होगा। उनकी भाषा असभ्य, रुखी और अपमानजनक है।

आप सरकार का कहना है कि उनकी सरकार योजनाबद्ध तरीके से प्रदूषण का डटकर मुकाबला करती है। सरकार ने 40 किलोमीटर पर एक एक्यूआइ मॉनिटर स्थापित किया है। आप का दावा है कि इतना मजबूत मॉनिटरिंग तंत्र देश में कहीं और नहीं है। दिल्ली में 23.6 प्रतिशत क्षेत्र में हरियाली है। आप का कहना है कि एलजी को दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने से पहले अन्य भारतीय शहरों की रैंकिंग पर नजर डालनी थी। शीर्ष दो प्रदूषित शहरों में भाजपा शासित बिहार का बेगूसराय और असम का गुवाहाटी है, फिर भी उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को राज्य के राज्यपालों द्वारा कोई पत्र नहीं लिखा गया।

बेगूसराय का नाम आने पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) ने रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिया है। बीएसपीसीबी के अध्यक्ष देवेन्द्र कुमार शुक्ला ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, ‘‘रिपोर्ट में कई मापदंडों में से केवल एक को ध्यान में रखा गया। यह ‘पश्चिमी पूर्वाग्रह’ को दर्शाता है। संगठन ने बेगूसराय और भारत के अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण करने के लिए सिर्फ पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोन से कम कण) को ध्यान में क्यों रखा? जब हम वायु गुणवत्ता के बारे में बात करते हैं, तो सभी प्रदूषकों- पीएम 2.5, पीएम 10 , नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया और सीसा को ध्यान में रखते हुए व्यापक विश्लेषण करते हैं।’’

विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार के बेगूसराय सहित सिंधु-गंगा मैदानी इलाके की भौगोलिक स्थिति के कारण होने वाले नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता है। शुक्ला पूछते हैं कि संस्था ओजोन वायु प्रदूषण के बारे में बात क्यों नहीं करती, हालांकि बोर्ड बेगूसराय के साथ-साथ राज्य के अन्य शहरों में आइक्यू सुधार के लिए हरसंभव उपाय कर रहा है। कारण जो भी हों लेकिन इतना तो तय है कि पहली चिंता प्रदूषण के बजाय राजनीति ही है। बड़े शहरों की परेशानी समझी जाने वाली बातें अब कस्बों और गांव तक पहुंच रही है।

दुनिया भर में प्रदूषण के हाल पर एक नजर

2023 में दुनिया के शीर्ष 5 सबसे प्रदूषित देशों में बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान और बुर्किना फासो शामिल हैं।

डब्लूएचओ की वार्षिक पीएम2.5 गाइडलाइन को पूरा करने वाले सात देश (वार्षिक औसत 5 एमजी/एम3 या उससे कम) में ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

अफ्रीका की एक-तिहाई आबादी के पास अभी तक वायु गुणवत्ता डेटा तक पहुंच नहीं है।

दुनिया के शीर्ष दस सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 भारत के हैं।

चीन में लगातार पांच साल वार्षिक गिरावट के बाद पिछले साल पीएम 2.5, 6.3 प्रतिशत से बढ़कर 32.5 माइक्रोग्राम हो गया।

रिपोर्ट में पहली बार कनाडा उत्तरी अमेरिका का सबसे प्रदूषित देश था। इस क्षेत्र के 13 सबसे प्रदूषित शहर इसकी सीमा के भीतर थे।

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