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बुलंद हुड़दंग

बुलंदशहर कांड से प्रदेश में बदतर होती कानून-व्यवस्था पर उठ रहे सवाल, शासन-प्रशासन का रवैया भी गैर-जिम्मेदार
जली गाड़ियां

अपने बुलंद बयान के लिए चर्चित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुलंदशहर कांड में बदलते बयान मानो राज्य में कानून-व्यवस्‍था के हालात का भी अंदाजा दे जाते हैं। उन्होंने बुलंदशहर जिले के स्याना थाने के इलाके में हुई घटना को पहले साजिश बताया तो बाद में थाना प्रभारी सुबोध कुमार सिंह की मौत को दुर्घटना बता दिया। कथित तौर पर गोवंश के कंकाल मिलने पर कई हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने प्रदर्शन किया था। मौके पर पहुंचे पुलिसवालों पर पथराव किया गया। भीड़ के हंगामे के बीच इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक अन्य युवक सुमित की गोली लगने से मौत हो गई। मामले में दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पहला, गोकशी को लेकर और दूसरा इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या और बलवे को लेकर। गोकशी वाले मामले में चार आरोपियों और इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में 10 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है। गौरतलब है कि सुबोध कुमार सिंह चर्चित अखलाक मामले की जांच अधिकारी रह चुके थे।

बुलंदशहर मामले में बजरंग दल के जिला संयोजक, विहिप और भाजपा के नगर अध्यक्ष को भी नामजद किया गया है, लेकिन पत्रिका के प्रेस में जाने तक उनकी गिरफ्तारी करने में पुलिस नाकाम रही थी। इस घटना के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा को प्रदेश में सत्ता में आए करीब 19 महीने होने वाले हैं। इस दौरान सरकार और पुलिस-प्रशासन की कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने की तमाम कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की कानून-व्यवस्था बेहतर होने का दावा करते हैं, लेकिन इस 19 माह में कानून-व्यवस्था के मामले में सरकार की जो छवि बनी, उसे उनकी पार्टी भाजपा और उसके आनुषंगिक संगठनों के नेताओं ने ज्यादा नुकसान पहुंचाया। कासगंज, सहारनपुर, कानपुर, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, बलरामपुर, फतेहपुर, संतकबीरनगर, कन्नौज, बांदा और गाजीपुर सहित कई जिलों में हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें कई जिलों की वारदातों में सत्तारूढ़ पार्टी के कई पदाधिकारियों के नाम भी आए, लेकिन जिस तरह से बुलंदशहर में इंस्पेक्टर की मौत हो गई और मामले में विश्व हिंदू परिषद (विहिप), बजरंग दल और भाजपा के नगर अध्यक्ष का नाम आ रहा है और आनुषंगनिक संगठन उनके समर्थन में खड़े हैं, इससे सरकार की छवि और दागदार हो रही है। इंटेलिजेंस के एडीजी की जांच, एसआइटी जांच, मैजेस्ट्रियल जांच और हिंसा में दर्ज दो मुकदमों की जांच भी इस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है कि बुलंदशहर हिंसा साजिश थी, दुर्घटना थी या कुछ और। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

 

फिलहाल, कार्रवाई के नाम पर बुलंदशहर जिले के एसपी, स्याना सीओ और चिंगरावठी चौकी प्रभारी का तबादला कर दिया गया है, लेकिन इतनी बड़ी हिंसा में सिर्फ तबादला किए जाने को लेकर भी प्रश्न चिह्न लग रहे हैं। इस मामले में जिस प्रकार से सेना के जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को गिरफ्तार करने में पुलिस ने तेजी दिखाई है, वह भी सवालों के घेरे में है। एसएसपी एसटीएफ अभिषेक कुमार सिंह का कहना है कि यह अभी तक पता नहीं लगा है कि उसी ने इंस्पेक्टर और सुमित पर गोली चलाई है। उधर, घटना का मुख्य आरोपी बताया जा रहा योगेश राज अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। हिंसा भड़काने का आरोपी और भाजपा युवा मोर्चा की स्याना इकाई का अध्यक्ष शिखर अग्रवाल टीवी पर इंटरव्यू दे रहा है, लेकिन पुलिस की पकड़ से दूर है। पूरे मामले पर डीएम बुलंदशहर अनुज कुमार झा का कहना है कि पुलिस-प्रशासन ने सूझ-बूझ से काम लिया, वरना इससे भी बड़ी घटना हो सकती थी।

इस बारे में विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरीश सिंह ने कहा, “बुलंदशहर हिंसा में हमारे किसी भी व्यक्ति का प्रत्यक्ष हाथ नहीं है। गोकशी चल रही है, यह बहुत चिंता का विषय है। इस कारण आम हिंदू को सड़क पर उतरना पड़ रहा है।” समाजवादी पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और एमएलसी शतरुद्र प्रकाश का कहना है, “सरकार एक प्रशासनिक इकाई की तरह काम नहीं कर पा रही है। नौकरशाही और मंत्रिपरिषद बिखरी हुई है।” वे यह भी कहते हैं, “प्रदेश में कानून-व्यवस्‍था खत्म हो चुकी है। भाजपा में आपस के द्वंद काफी उभर गए हैं, ये सब अभी और बढ़ेंगे। यह भाजपा और संघ परिवार का अंदरूनी संकट है। इसका खराब असर सरकार पर पड़ रहा है।” काशी हिंदू विश्वविद्यालय के समाजशास्‍त्र के प्रोफेसर सोहन राम यादव का कहना है, “जो भी हो रहा है, यह समाज के खिलाफ है। गोकशी के नाम पर किसी की हत्या का अधिकार किसी को नहीं है। संभव है, किसी राजनैतिक लाभ के लिए भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।” हालांकि भाजपा के प्रवक्ता और उसके आइटी सेल के प्रदेश संयोजक संजय राय का कहना है, “उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है, दो-चार जिलों में छोटी-मोटी बातें हो जाती हैं। छिटपुट घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अगर कोई कार्यकर्ता, पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि गलत कर रहा है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है। पिछले 15 साल में प्रदेश में माहौल बिगड़ा था, लोगों की मानसिकता बदलने में वक्त लगता है।”

बहरहाल, प्रदेश में योगी सरकार के हाथ से वक्त तेजी से फिसलता जा रहा है। पिछले साल चुनावों में भाजपा का एक बड़ा वादा प्रदेश को अपराध मुक्त करना भी था। तब यह भी आरोप लग रहा था कि पूर्ववर्ती सपा सरकार के तहत अपराध बेकाबू हो गया है। लेकिन करीब पौने दो साल बाद योगी सरकार भी उसी आरोप से मुकाबिल है।

 पुलिस से झड़प के मामले

-15 मार्च 2017 को मेरठ में दुल्हैंडी पर हुड़दंग मचा रहे दो लोगों को पुलिस ने हवालात में बंद कर दिया। भाजपाई थाने में पुलिस से अभद्रता करते हुए आरोपी को हवालात से छुड़ाकर ले गए।

 -1 मई 2017 को गोरखपुर जिले के चिलुआताल थाना क्षेत्र में भाजपा के सदर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल की फटकार पर सीओ चारू के आंसू निकल आए थे। सीओ ने कहा था कि “मैं भी इस क्षेत्र की अधि‍कारी हूं। जो लॉ ऐंड ऑर्डर आपने बिगाड़ रखा है। उसी बारे में बात करने आई हूं।”

 -24 जून 2017 को बुलंदशहर जिले की डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर के एक जिला पंचायत सदस्य के पति के वाहन का चालान काटने पर भाजपा नेताओं ने हंगामा किया था। इस मामले के बाद श्रेष्ठा ठाकुर का तबादला बहराइच कर दिया गया, जिस पर कई सवाल उठे थे।

 -13 दिसंबर 2017 को बाराबंकी की सांसद प्रियंका सिंह रावत ने ट्रेनी आइएएस अजय द्विवेदी को कहा कि जीना मुश्किल कर दूंगी। अवैध कब्ज़ा हटाने के दौरान सांसद ने अभियान रोक दिया था। सांसद ने एक बार पहले भी ‘पुलिस वाले की खाल खिंचवा लेने की धमकी’ दी थी।

 -22 सितंबर 2018 को बलिया जिले में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह और उनके समर्थकों ने डीएम की मौजूदगी में डीआइओएस से धक्का-मुक्की और अभद्रता की। मामले में अधिकारियों ने बीच-बचाव कर डीआइओएस को बचाया।

 -20 अक्तूबर 2018 को मेरठ में भाजपा के पार्षद ने एक दरोगा को अपने रेस्टोरेंट में पीट दिया था। मामले में भाजपा नेताओं के तमाम दबाव के बावजूद पुलिस ने पार्षद के खिलाफ मुकदमा कर जेल भेज दिया था, लेकिन रिहाई के बाद समर्थकों ने चलती कार से फायरिंग कर सनसनी फैला दी।

 -16 नवंबर 2018 को बहराइच जिले में पूर्व विधायक दिलीप ने नानपारा के तहसीलदार मधुसूदन आर्या को उनके कार्यालय में ही पीट दिया था।

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