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5 अगस्त 2024 · AUG 05 , 2024

कश्मीरः संसद में मेहदी के रंग

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद अपने पहले भाषण से ही बने कश्मीरियों के चहेते
रूहुल्ला मेहदी

रूहुल्ला मेहदी का संसद में 26 जून को दिया पहला भाषण कश्मीर में खूब देखा और सुना गया। घाटी और दूसरे इलाकों में चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का समर्थक हो, सबने उनके भाषण को खूब सराहा। मेहदी लगातार अपने चुनाव प्रचार अभियान में अनुच्छेद 370, राजनीतिक बंदियों की रिहाई और कश्मीरियों की प्रतिष्ठा की बहाली का मुद्दा उठाते रहे थे। यही मुद्दा जब उन्होंने संसद में उठाया और एक मुस्लिम सांसद को आतंकवादी कहे जाने पर सवाल खड़ा किया तो स्पीकर ओम बिड़ला बिदक गए। उन्होंने मेहदी को ऐसी टिप्पणियां करने से पहले सदन के कायदों को समझने के लिए कहा, हालांकि मेहदी बिना डिगे बोलते रहे।

मेहदी ने कहा, ‘‘जम्मू और कश्‍मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से मैं आपको फिर से स्पीकर चुने जाने की बधाई देता हूं। मैं कहना चाहूंगा कि अब आप किसी भी पार्टी भाजपा, कांग्रेस या समाजवादी पार्टी के नहीं रहे, अब से आपकी पार्टी भारत का संविधान है।’’

इसके बाद मेहदी ने स्पीकर की विरासत का हवाला देते हुए कहा कि वे सरकार और विपक्ष दोनों को बरतने के लिए कैसी कार्रवाई करते हैं, यही उनकी अवधि को परिभाषित करेगा। उन्होंेने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि आज से आप उसके (भारत के संविधान) संरक्षक की भूमिका इस सदन में निभाएंगे, जो लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था है। आपको जी20 के लिए नहीं याद रखा जाएगा, इसलिए याद रखा जाएगा कि आपने विपक्ष को चुप करवाया या सत्तापक्ष को विपक्ष की आवाजें सुनने के लिए बाध्य किया।’’

वे बोले, ‘‘जब एक मुस्लिम सांसद को लोकसभा में आतंकवादी कहा जाए तो आप उस स्थिति पर जैसी प्रतिक्रिया देंगे आपको उसके लिए याद किया जाएगा। लोकतंत्र के सबसे बड़े संस्थान में यदि एक सांसद पर आतंकवादी होने का आरोप लगता है, तो मुसलमानों को सड़कों पर भी आतंकवादी करार दिया जाएगा।’’

मेहदी ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने संबंधी विधेयक को तीव्रता से पारित किए जाने की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 370 वाला बिल एक मिनट में पेश किया गया और अगले आधे घंटे में पास भी कर दिया गया।’’ मेहदी के इस भाषण पर घाटी में तो उत्साह है ही, उनके विरोधी भी सकते में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘इस शानदार भाषण के लिए आगा रुहुल्ला को मुबारकबाद। सत्ता के मुंह पर सच बोलना आसान नहीं होता। वक्त आ गया है कि संसद के पटल पर कश्मीरियों की आवाज को सुना जाए।’’

अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद से नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं के बीच मेहदी सबसे मुखर नेताओं में रहे हैं। दूसरे दलों में इल्तिजा मुफ्ती ने शुरुआत में विरोध की कमान थामी थी। पंद्रह माह की कैद के बाद उन्हें अक्टूबर 2020 में रिहा किए जाने के बाद महबूबा लगातार 370, कश्मीरियों की प्रतिष्ठा‍, नए भूमि और डोमिसाइल नियमों और अन्य मुद्दों पर बोल रही हैं।

मेहदी ने 28 जुलाई 2020 को नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद एक्स पर लिखा था, ‘‘मैंने जेकेएनसी के मुख्य प्रवक्ता के पद से अपना इस्तीफा भेज दिया है। अब मेरे किसी भी बयान को उस क्षमता में न लिया जाए।’’

इस इस्तीफे की वजह पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला का यह बयान था कि 370 के खिलाफ लड़ाई अदालत में लड़ी जाएगी और राज्य के दरजे की बहाली की मांग उठाई जाएगी। रुहुल्ला ने उमर की बात को काटते हुए कहा कि 5 अगस्त 2019 को जो हुआ वह राज्य के दरजे से कहीं आगे का मसला है, ‘‘राज्य के दरजे की बहाली तो बहुत अंत में आने वाली मांग है। हमारी मुख्य मांग यह होनी चाहिए कि विशेष दरजे को बहाल किया जाए।’’ यह कहते हुए उन्होंने उमर अब्दुल्ला के पक्ष को समझौतावादी करार दिया था।

2015 में मेहदी को एनसी का मुख्य प्रवक्ता नामित किया गया था, हालांकि 370 की समाप्ति के बाद उन्होंेने खुद को पार्टी के पक्ष से दूर कर लिया था और पार्टी के ऊपर जम्मू और कश्मीर के हालात पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया था। इसके बावजूद एनसी ने उन्हें नहीं हटाया और श्रीनगर से प्रत्याशी बना दिया जहां से पिछला चुनाव फारुक अब्दुल्ला ने लड़ा था।

मेहदी लगातार कहते रहे हैं कि संसदीय चुनाव में विकास मुद्दा नहीं था, प्रतिष्ठा की बहाली मुद्दा था। अब संसद में दिए भाषण से उन्होंने अपनी और पार्टी की लाइन तय कर दी है। सोशल मीडिया पर उनके भाषण के बहाने फारुक अब्दुल्ला जैसे पूर्व सांसदों की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। एक फेसबुक पोस्ट  कहती है, ‘‘श्रीनगर और बडगाम के लोगों ने इस बार एक बेहतर सांसद चुन कर भेजा है।’’ इससे समझ में आता है कि मेहदी अब कश्मीरियों की आवाज बनते जा रहे हैं।

 महबूबा मुफ्ती, पीडीपी की अध्यक्ष

 आगा रुहुल्ला को इस भाषण के लिए मुबारकबाद। सत्ता के मुंह पर सच बोलना आसान नहीं होता ः महबूबा मुफ्ती, पीडीपी की अध्यक्ष

 

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