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राजस्थान : पायलट ‘खेल’ शुरू!

पायलट खेमे के विधायक चौधरी की इस्तीफे की पेशकश से नई हलचल
नए समीकरणः सचिन पायलट और हेमाराम चौधरी का साथ क्या गुल खिलाएगा

राजस्थान की तीन सीटों पर संपन्न हुए विधानसभा उपचुनाव और उसके परिणाम के बाद फिर से कांग्रेस के भीतर कलह शुरू हो गई है। राज्य में सचिन पायलट गुट का फिर से सक्रिय हो जाना कांग्रेस की अगुआई वाली अशोक गहलोत सरकार के लिए चिंता का सबब बन गया है। दरअसल, यह पूरा खेल 6 बार विधायक रहे और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद से शुरू हुआ है। चौधरी का आरोप है कि उनके विधानसभा क्षेत्र गुड़ामलानी में विकास कार्यों की अनदेखी की वजह से उन्हें इस्तीफा देने पर बाध्य होना पड़ा है। लेकिन, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह पायलट खेमे के नए ‘खेल’ की शुरुआत है। विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेजने के बाद चौधरी ने कहा, ‘‘कुछ पीड़ा थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही मामला सुलझा सकते हैं।’’ पिछले साल जब कोरोना संकट के बीच सचिन पायलट गुट के 18 विधायकों ने दिल्ली के पास हरियाणा में डेरा डाल दिया था तो उसमें हेमाराम चौधरी भी शामिल थे।

तीन सीटों राजसमंद, सुजानगढ़ और सहाड़ा पर हुए उपचुनाव में गहलोत सरकार सुजानगढ़ और सहाड़ा में जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। राजसमंद सीट भाजपा के पास ही बनी रही। दो सीटों पर बाजी मारने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गदगद हैं। पार्टी आलाकमान भी उनकी पीठ थपथपाता नजर आ रहा है। वहीं, पायलट गुट कांग्रेस की जीत के बाद भी नाखुश है, क्योंकि इन सीटों पर पार्टी की हार होती तो गहलोत की अगुआई पर सवाल उठते और मौका सचिन पायलट गुट को मिल सकता था। उपचुनाव से पहले किसान आंदोलन में सक्रियता के जरिए लगातार पायलट अपना मजबूत संदेश दिल्ली पहुंचा रहे थे।

वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मीकांत पंत आउटलुक से कहते हैं, ‘‘अभी सियासत की पूरी पिक्चर बाकी है। 6 महीने में और घमासान देखने को मिलेगा। आगे बल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। उसमें गहलोत पिछड़ते हैं तो फिर पायलट गुट को और मौका मिलेगा।’’ धरियावद से भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया है, जबकि बल्लभनगर सीट पहले से खाली है। हालांकि आउटलुक ने जब पायलट समर्थक माने जाने वाले रमेश मीणा से इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता हूं।’’ मीणा पहले भी गहलोत सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा चुके हैं। आउटलुक से उन्होंने कहा था, ‘‘सरकार का पैसा सिर्फ जयपुर और कोटा जा रहा है। राज्य में विकास शून्य हो चला है।’’

पार्टी में इसी कलह की वजह से अभी तक गहलोत मत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए हैं। किसे कैबिनेट में जगह दी जाए, यही गहलोत की सबसे बड़ी चुनौती है। आउटलुक से बातचीत में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कहते हैं, ‘‘हमने उपचुनाव में काफी क्लोज फाइट की है। त्रिकोणीय मुकाबला होने की वजह से हमारे वोट कटे हैं। अब गहलोत सरकार में फिर से कलह साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं। सरकार में सिर्फ कुर्सी की खींचातानी चल रही है।’’

उपचुनावों में दो सीटों पर जीत के बाद पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पीठ थपथपा रहा है, लेकिन इस जीत से पायलट गुट नाखुश

इसके विपरीत कांग्रेस प्रवक्ता सत्येंद्र राघव आउटलुक से कहते हैं, ‘‘कोरोना की वजह से हर कोई परेशान है। विधायक भी इससे पीडि़त हैं। चौधरी ने ये स्पष्ट किया है, जो भी बातें होंगी बातचीत से सुलझा ली जाएंगी। भाजपा को अपनी चिंता करनी चाहिए। पार्टी के भीतर कोई कलह की स्थिति नहीं है। हमने उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है और आगे भी करेंगे।’’

दरअसल, उपचुनाव के बाद फिर पायलट गुट गहलोत को चुनौती दे रहा है। उधर, भाजपा नेता, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी ही पार्टी को ‘जमीन’ पर लाने में लगी हैं क्योंकि, पूनिया के नेतृत्व में पार्टी इस बार कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई है। उसने सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की है।

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