मार्च में जब सुपरस्टार सलमान खान ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई को इस साल ईद के अवसर पर रिलीज करने की घोषणा की, तो उनके प्रशंसकों की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्हें क्या पता था कि अगले कुछ सप्ताह में क्या कयामत आने वाली है। तबसे अब तक बहुत कुछ बदल गया है। कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण कई राज्यों में लॉकडाउन, रात का कर्फ्यू और अन्य प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, जिससे पिछले एक वर्ष से आर्थिक समस्याओं से जूझती फिल्म इंडस्ट्री को दोबारा झटका लगा है।
इसके बावजूद राधे 13 मई को प्रदर्शन के लिए तैयार है। 2008 की अपनी हिट फिल्म वांटेड के एक संवाद में सलमान ने कहा था कि जब वे किसी काम को एक बार करने की ठान लेते हैं तो फिर वे अपनी भी नहीं सुनते। शायद उन्होंने अपने परदे की छवि को असल जिंदगी में कुछ ज्यादा ही संजीदगी से लेना शुरू कर दिया है। मतलब कोरोनावायरस की ऐसी की तैसी, राधे 13 मई को प्रदर्शित होकर रहेगी।
भाईजान, जैसा सलमान के फैन उन्हें प्यार से पुकारते हैं, के भक्तों का उत्साह चरम पर है, लेकिन फिल्म उद्योग के अधिकतर आर्थिक विशेषज्ञ उनकी इस दिलेरी से प्रभावित नहीं दिखते। उन्हें लगता है कि बड़े बजट की फिल्म को ऐसे समय रिलीज करने में भारी जोखिम है, जब देश के अधिकांश सिनेमाघर कोविड-19 के कारण बंद हैं। लेकिन सलमान इससे बेपरवाह दिखते हैं। दरअसल, सलमान ने इस बार मुश्किलों से पार पाने के लिए एक असामान्य मार्केटिंग रणनीति बनाई है, जो अब तक बॉलीवुड की किसी अन्य बड़ी फिल्म के लिए नहीं हुआ है।
पिछले एक साल में बॉलीवुड ने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा झेला है। क्या सलमान की रणनीति फिल्म उद्योग के लिए संजीवनी का काम करेगी? दरअसल, राधे को कई प्लेटफार्मों पर एक साथ प्रदर्शित किया जा रहा है। यह दुनिया के चालीस देशों में जहां-जहां सिनेमाघर खुले हैं, वहां तो रिलीज होगी ही, साथ-साथ यह ओवर-द-टॉप (ओटीटी) और डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) डिजिटल चैनलों पर भी देखी जा सकेगी। पिछले साल के लॉकडाउन के बाद ब्रिटेन में प्रदर्शित होने वाली यह पहली बॉलीवुड फिल्म होगी।
सलमान के इस मिश्रित रिलीज के फॉर्मूले ने बॉलीवुड में हलचल मचा दी है। अब तक कोई बड़ी फिल्म या तो सिनेमाघरों में सीधे प्रदर्शित होती थी या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर। लेकिन इस फिल्म का प्रीमियर सिनेमा हॉल के साथ-साथ जी5 के पे-पर-व्यू चैनल जीप्लेक्स और कई प्रमुख डीटीएच चैनलों पर भी होगा। अमूमन ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने ग्राहकों को सालाना या मासिक शुल्क के आधार पर नई फिल्में बिना अतिरिक्त शुल्क के दिखाते हैं, लेकिन इस बार भाईजान के एक्शन को देखने के लिए दर्शकों को हर बार 249 रुपये की एडवांस बुकिंग करनी होगी।
क्या मौजूदा परिस्थितियों में बॉलीवुड के लिए यही सबसे अच्छा दांव है, इसका पता तो राधे के प्रदर्शन के बाद ही चलेगा, लेकिन फिल्म से जुड़े सभी लोग सलमान मॉडल की सफलता के प्रति आश्वस्त हैं। फिल्म के वितरक जी स्टूडियोज के चीफ बिजनेस ऑफिसर शरीक पटेल कहते हैं कि महामारी के कारण नया प्रयोग करना पड़ा, और सबसे पहले ऐसी नई वितरण रणनीति बनाने का गर्व है। वे कहते हैं, ‘‘हमने महसूस किया कि अगर हम देश भर में सलमान की फिल्म रिलीज नहीं करेंगे तो यह उनके प्रसंशकों के साथ नाइंसाफी होगी। इसलिए हमने सिनेमाघरों के साथ इसे पे-पर-व्यू के माध्यम से भी रिलीज करने का फैसला किया ताकि लोगों को फिल्म देखने का आसान विकल्प भी मिल सके।’’
जी5 इंडिया के मुख्य व्यावसायिक अधिकारी मनीष कालरा उनसे सहमत हैं। वे कहते हैं, ‘‘सलमान खान की फिल्में पूरे परिवार के मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं, जो हर वर्ग के दर्शकों को आकर्षित करती हैं। राधे इस वर्ष की सबसे बड़ी रिलीज में से एक है और हमें इसे नए मॉडल के रूप में लॉन्च करने पर गर्व है।’’
सलमान की फिल्म निर्माण कंपनी का भी कहना है कि मौजूदा महामारी के दौरान सभी लोगों का सिनेमा उद्योग के बारे में एक साथ सोचना अनिवार्य है। सलमान खान फिल्म्स के एक प्रवक्ता कहते हैं, ‘‘हम जितने सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज कर सकते हैं, करेंगे। लेकिन, फिल्म सभी दर्शकों तक पहुंचे, इसके लिए हमें बाकी तरीके भी अपनाने होंगे। हम मौजूदा समय में दर्शकों को घरों में ही अपनी पसंद का मनोरंजन देखने से वंचित नहीं कर सकते।’’
सलमान की दुस्साहसी रणनीति ऐसे समय आई है जब कई अन्य बड़ी फिल्मों के निर्माताओं ने अप्रैल-मई में होने वाली रिलीज को टाल दिया है, जिसमें अक्षय कुमार की सूर्यवंशी, जॉन अब्राहम की सत्यमेव जयते, कंगना रनौत की तलैवी और फरहान अख्तर की तूफान शामिल हैं। अनिश्चितताओं के बीच अक्षय की बेल बॉटम और रणवीर सिंह की ’83 की रिलीज भी मुल्तवी की जा सकती है।
अक्षय कुमार, अजय देवगन, कैटरीना कैफ और रणवीर सिंह अभिनीत रोहित शेट्टी की मल्टीस्टारर सूर्यवंशी और 1983 में क्रिकेट विश्व कप में भारत की सनसनीखेज जीत पर आधारित कबीर खान की ’83 एक साल से रिलीज के इंतजार में हैं। इससे निर्माताओं को काफी नुकसान हो रहा है। इसलिए अब हर किसी को सलमान मॉडल की सफलता का इंतजार है। इसकी सफलता या विफलता तय करेगी कि अन्य सितारे और निर्माता सलमान के रास्ते पर चलेंगे या नहीं।
जो भी हो, अटकलों का बाजार अभी से तेज है कि सूर्यवंशी भी इसी मॉडल के अनुसार प्रदर्शित हो सकती है। रोहित शेट्टी की महत्वाकांक्षी फिल्म के प्रदर्शन को अब तक दो बार अंतिम समय में टाला जा चुका है। पिछले साल, यह 24 मार्च को रिलीज के लिए तैयार थी जब देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई। जब स्थिति में सुधार हुआ और इस साल की शुरुआत में सिनेमाघरों को पूरी क्षमता से फिर से खोलने की अनुमति दी गई, तो इसका प्रदर्शन 30 अप्रैल को निर्धारित किया गया। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने इसके निर्माताओं को एक बार फिर अपने पैर वापस खींचने पर मजबूर कर दिया।
ऐसी खबरें हैं कि ओटीटी की बड़ी कंपनियों ने सूर्यवंशी और ’83 के अधिकारों के लिए भारी राशि के पेशकश की है। हालांकि दोनों फिल्मों के निर्माताओं ने बार-बार कहा है कि उनकी फिल्मों को देखने का असली आनंद बड़े परदे पर ही है। ’83 के निर्देशक कबीर खान का कहना है कि वे स्थिति सामान्य होने का इंतजार करने को तैयार हैं।
राधे की सफलता तय करेगी कि दूसरे सितारे और फिल्म निर्माता सलमान खान के रास्ते पर चलेंगे या नहीं, फिलहाल विश्लेषकों को ज्यादा उम्मीद नहीं
लेकिन देश में कोविड के मामलों में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि स्थिति सामान्य कब होगी। यशराज फिल्म्स सहित कई बड़े बैनर पहले ही अपनी फिल्मों की रिलीज टाल चुके हैं। अभिनेता-फिल्मकार फरहान अख्तर कहते हैं, ‘‘देश के हालत हृदय विदारक हैं। अभी हमारा ध्यान महामारी से अपने कर्मचारियों, उनके परिवारों और व्यापक समुदाय की मदद करने पर है।’’ सत्यमेव जयते के निर्माताओं का यह भी कहना है कि लोगों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और यह फिल्म बाद में प्रदर्शित होगी।
तो क्या सलमान अपनी आउट-ऑफ-बॉक्स रणनीति के साथ गेम-चेंजर के रूप में उभरेंगे या इंडस्ट्री, खासकर मल्टीप्लेक्स और सिंगल-स्क्रीन थिएटर की लुटिया डुबोएंगे, जो पहले से ही घाटे में हैं? मल्टीप्लेक्स मालिक पहले से ही उन फिल्म निर्माताओं के खिलाफ हैं जो अपनी फिल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर रिलीज कर रहे हैं क्योंकि यह उनके व्यावसायिक हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि, सलमान खेमे का मानना है कि जहां राधे के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने से दर्शकों को अपने घरों में ही फिल्म का आनंद लेने का विकल्प मिलेगा, वहीं यह थिएटर मालिकों और वितरकों के लिए भी मुनाफे का सौदा होगा, जो बड़े संकट का सामना कर रहे हैं। सलमान के एक करीबी सूत्र का कहना है कि जब ज्यादातर निर्माता सिनेमाघरों में अपनी फिल्में रिलीज करने से कतरा रहे हैं, सलमान ने अपने स्टारडम का प्रयोग फिल्म इंडस्ट्री का बेड़ा पार लगाने के लिए किया है। वे कहते हैं, ‘‘सलमान खान ने थिएटर मालिकों और प्रदर्शकों से किया अपना वादा पूरा किया है, जिन्होंने राधे को सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने अनुरोध किया था। उनका यह निर्णय साहसी है।’’
हालांकि, हर कोई इसे मुनाफे का सौदा नहीं मानता। वरिष्ठ फिल्म विश्लेषक दीपक दुआ का कहना है कि पे-पर-व्यू संस्कृति की पैठ भारतीय फिल्म प्रेमियों के बीच नहीं है और पिछले साल का ओटीटी बुलबुला भी फट गया है। दुआ कहते हैं, ‘‘कुछ छोटी फिल्में इस मॉडल पर पहले आई हैं लेकिन उन्हें पर्याप्त दर्शक नहीं मिले। दरअसल, फिल्म देखने के लिए थिएटर जाना भारत में लोगोंं के लिए पिकनिक जैसा होता है। वे उस पर 2000 रुपये खर्च कर सकते हैं, लेकिन लोग घर में फिल्म देखने के लिए 49 रुपये भी नहीं देना चाहते।’’
दुआ के मुताबिक, पिछले साल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सीधे रिलीज हुई अक्षय कुमार की लक्ष्मी (2020) और अमिताभ बच्चन की गुलाबो सीताबो (2020) जैसी कई बड़ी फिल्में उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं। वे कहते हैं, ‘‘जहां तक सलमान खान की बात है, तो उनके प्रशंसक उनकी फिल्मों को उत्सव के माहौल में देखने के लिए सिनेमाघरों में जाते हैं। ओटीटी उनकी शैली के फिल्मों के लिए उपयुक्त माध्यम नहीं है। ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर कोई फिल्म केवल अच्छी समीक्षा पर चलती है। अगर सलमान की हालिया फिल्मों का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, तो राधे के लिए उसे हासिल करना लगभग असंभव दिखता है।’’