शेखावाटी का सिरमौर
सीकर हर्ष पर्वत के ताज से सुशोभित, अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा, भक्ति-ज्ञान-कर्म की त्रिवेणी और राजस्थान के शेखावाटी का मुख्य शहर है। इसकी स्थापना विक्रम संवत 1744 रामनवमी के दिन राव दौलत सिंह ने की थी। सीकर पर ग्यारह राजाओं ने राज किया। अंतिम शासक राव राजा कल्याण सिंह के नाम पर महाविद्यालय, चिकित्सालय, बाल मंदिर, बाल वाटिका और चौक का नामकरण हुआ। सीकर का राज परिवार नेपाल राजघराने से संबंधित है। कल्याण सिंह और नेपाल की रानी का प्रेमप्रसंग विख्यात है। रानी की मृत्यु के बाद युवराज उनकी समाधि पर रहने लगे और उनकी स्मृति में प्रकाश स्तंभ का निर्माण करवाया। सीकर की राजकुमारी हिमानी सरकार का विवाह नेपाल के राजकुमार पारस सरकार से हुआ।
धार्मिक समृद्धि
किंवदंती है कि औरंगजेब की सेना जब हर्ष पर्वत पर हर्ष और जीण माता मंदिर पहुंची तो जीण धाम की रक्षक मधुमक्खियों ने हमला बोल दिया, जिससे सबको भागना पड़ा। मंदिर की ख्याति औरंगजेब ने बखान की और यहां आज भी दिल्ली दरबार का दीपक जलता है। जीण भवानी और खाटूश्याम के जयकारों से गगन मंडल गुंजायमान रहता है। फाल्गुन में लक्खी मेले में श्याम सरकार के जयकारे लगाते श्रद्धालु नंगे पांव, सिर पर सिगड़ी और निशान लेकर खाटूधाम पहुंचकर लखदातार के दर्शन करते हैं। सीकर स्थित राजा गोपीनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। कथा प्रचलित है कि एक बार मोचीवाड़ा में आग लग गई। पानी का अभाव था। अत: लोग राजा से मदद मांगने दौड़े और राजमहल के ऊपर आकर राजा गोपीनाथ को बेतहाशा पुकारने लगे। चमत्कार स्वरूप बेमौसम बरसात हुई और आग बुझ गई। सुभाष चौक स्थित गणेश मंदिर तथा नगरसेठ के मंदिर में दर्शनार्थ सीकरवासी तड़के ही पहुंचते हैं।
संस्कृति का शिखर
संस्कृति की प्रचलित परंपराओं के फलस्वरूप गणगौर और तीज की सवारी प्रसिद्ध है। तीज-त्योहारों पर सोलह शृंगार सहित पारंपरिक परिधानों में, समूह में गीत गाती महिलाएं सुर देती हैं। सीकर सांस्कृतिक मंडल धूमधाम से तीज-त्योहार मनाता है। स्वर्ण-प्रेमी जाट महिलाएं एक से डेढ़ किलो सोना पहने दिखती हैं। यहां बंधेज, गोटा-किनारी और रंगाई का काम प्रसिद्ध है। चुनड़ी, पीला, पोमचा, बंधेज के दुपट्टे कला के अद्भुत नमूने हैं।
बहुरंगी छटा
जानकी प्रसाद इंदौरिया के प्रयासों से सीकर की बहुरंगी सामाजिक-सांस्कृतिक छटा निखरी है। रामलीला मैदान में स्थानीय कलाकारों की रामलीला में दर्शक आनंदित होते हैं। कहते हैं कि यहां की रामलीला में रावण का पात्र निभाने वाले हरिराम बहड़ ने रामानंद सागर की रामायण में रावण की भूमिका का प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
अरावली घाटी में खारे पानी की झील रैवासा के किनारे प्रसिद्ध शक्तिपीठ जानकीनाथ मंदिर है। रामानंद संप्रदाय के अग्रदेवाचार्य महाराज ने 525 वर्ष पूर्व इसकी स्थापना की थी। अयोध्या से जुड़े पीठाधीश्वर श्री राघवाचार्य महाराज वेदांती की ज्ञान-भक्ति और विद्वता की मिसाल दी जाती है। अग्रदेवाचार्य महाराज के शिष्य नाभादास द्वारा रचित ‘भक्तमाल’ प्रतिनिधि ग्रंथ है। जैन धर्म के मुख्य स्थल ‘दीवान जी की नसियां’ के अलावा जैन मंदिर हैं। दिगंबर शाखा के महान संत यहां विहार करते और प्रवचन देते हैं। आचार्य तरुण सागर अधिकतर यहीं चौमासा करते थे। यहां गोगा पीर के मेले सहित विभिन्न अवसरों पर सांप्रदायिक सौहार्द प्रशंसनीय है। सीकर का महल, किला, मंदिर, छतरियां और हवेलियां स्थापत्य कला के खूबसूरत नमूने हैं। यहां प्राचीन, ताम्रयुगीन पुरातात्विक गणेश्वर सभ्यता समाई है। पहाड़ी क्षेत्रों में मिलते यूरेनियम तथा अन्य कीमती खनिज देश को आर्थिक मजबूती प्रदान करते हैं।
देश के विकास में भागीदारी
सीकर प्रगतिशील किसानों के कृषि-कार्यों से व्यापार-वाणिज्य में अग्रणी है। यहां एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी रसीदपुरा स्थित है। गेहूं-चना, मूंग-मोठ, सरसों, प्याज, बाजरा, मूंगफली तथा ग्वार मुख्य फसलें हैं। सीकर में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस, टीबी औषधालय ‘सांवली’ के अलावा बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं। शिक्षा की छोटी काशी नाम से विख्यात शिक्षण संस्थानों में देशभर से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते हैं। ‘पिपराली’ वैदिक आश्रम प्राकृतिक चिकित्सा और योग का केंद्र है। सीकर ने भैरोंसिंह शेखावत और डॉ. प्रतिभा देवीसिंह पाटिल जैसे दिग्गज नेता दिए हैं। सीकर के प्रतिष्ठित उद्योगपति जमनालाल बजाज के स्कूटरों ने घर-घर की शोभा बढ़ाई। सीकर तकनीकी-विज्ञान, संचार-सूचना, प्रौद्योगिकी, कृषि-पशुपालन, व्यापार-वाणिज्य, शिक्षा-स्वास्थ्य के साथ साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी रहा है।
खानपान के शौकीन
मान्यता है, एक बार गोपीनाथ मंदिर के पुजारी भगवान को भोग लगाना भूल गए तो भगवान स्वयं मिठाई ले आए। जाट बहुल क्षेत्र होने से बाजरे की रोटी और दही का बहुतायत से प्रयोग होता है। मिलन के समोसे मुंह में पानी लाते हैं। घंटाघर के पास लादूराम हलवाई के पेड़े-लड्डू के शौकीनों की लंबी कतारें लगती हैं। लोग रामजीलाल की कुल्फी, कल्याण सर्कल स्थित कुल्फी कॉर्नर पर आइसक्रीम का लुत्फ उठाते हैं। सीकरवासियों की पसंदीदा नानी गेट स्थित जवाहर जी पंड्या के दहीबड़े, चाट और गरम जलेबियां हैं।
(कवयित्री-लेखिका)