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24 जुलाई 2023 · JUL 24 , 2023

आवरण कथा/सिनेमाई अफसाने: परदे पर पीड़ा

फिल्मों के किरदार जिस तरह कैंसर से लड़ते हैं और जीत हासिल करने के बाद पूरी ऊर्जा से सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं, उसे देखकर करोड़ों लोगों को प्रेरणा मिलती है
सफर का एक दृश्य

हिंदी सिनेमा में कैंसर पर आधारित कई बेहतरीन फिल्में बनी हैं। इन फिल्मों को देखकर न केवल कैंसर की पीड़ा और जटिलता का ज्ञान होता है, बल्कि जिस जिजीविषा से कैंसर पीडि़त लोग बीमारी का सामना करते हैं, वह भी अद्वितीय है। इन फिल्मों के किरदार जिस तरह कैंसर से लड़ते हैं और जीत हासिल करने के बाद पूरी ऊर्जा से सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं, उसे देखकर करोड़ों लोगों को प्रेरणा मिलती है। एक नजर:

सफर (1970): निर्देशक असित सेन की फिल्म। राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर और फिरोज खान मुख्य भूमिका में नजर आए। मुख्य किरदार अविनाश कैंसर की बीमारी से पीडि़त है और इस कारण वह नीला से शादी नहीं करना चाहता। नीला, जो अविनाश की प्रेमिका के अलावा एक डॉक्टर है और अविनाश का इलाज कर रही होती है, वह इस स्थिति को स्वीकार करते हुए शेखर से विवाह कर लेती है। शेखर नीला से प्रेम करता है लेकिन शक के कारण वह अपना और नीला का वैवाहिक जीवन तबाह कर लेता है।

अंखियों के झरोखों से (1978)

अंखियों के झरोखों से

निर्देशक हिरेन नाग की फिल्म। अभिनेता सचिन पिलगांवकर और अभिनेत्री रंजीता मुख्य भूमिका में नजर आए। मुख्य किरदार अरुण और लिली एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं और शुरुआती नोकझोंक से शुरू हुआ उनका रिश्ता प्यार में बदल जाता है। दोनों के परिवार वाले उनकी शादी के लिए राजी हो जाते हैं मगर तभी मालूम पड़ता है कि लिली को कैंसर है। लिली की कैंसर से मृत्यु हो जाती है और अरुण उसकी यादों के सहारे जीवन जीता है।

दर्द का रिश्ता (1982)

दर्द का रिश्ता

निर्देशक सुनील दत्त की फिल्म। मुख्य भूमिका में अभिनेता सुनील दत्त, अभिनेत्री रीना रॉय, अभिनेत्री स्मिता पाटिल नजर आईं। मुख्य किरदार रवि और अनुराधा डॉक्टर दंपती हैं, जो विदेश में रहकर शोध कार्य करते हैं। रवि को नौकरी के कारण भारत लौटना पड़ता है लेकिन अनुराधा विदेश में रहना चाहती है, जिस कारण उनका तलाक हो जाता है। भारत में रवि की दूसरी शादी आशा से होती है लेकिन आशा भी उनकी बेटी खुशबू को जन्म देकर मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। खुशबू बड़ी होती है तो उसे पता चलता है कि वह कैंसर से पीडि़त है। अनुराधा खुशबू का इलाज करती है और इस दौरान रवि और अनुराधा के बीच के संबंधों में परिवर्तन आता है।

मिली (1975) 

मिली

निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म। जया बच्चन, अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में नजर आए। मुख्य किरदार मिली एक खुशमिजाज लड़की है। शेखर एक उदास, गुस्सैल आदमी है। मिली से जब शेखर की मुलाकात होती है तो उसके स्वभाव में परिवर्तन आता है। शेखर, मिली से प्रेम करने लगता है कि तभी उसे ज्ञात होता है कि मिली कैंसर से पीडि़त है। शेखर के भीतर द्वंद्व युद्ध चलता है लेकिन अंतत: शेखर मिली का साथ देता है और हाथ थाम लेता है।

कल हो हो (2003)

कल हो न हो

निर्देशक निखिल आडवाणी की फिल्म। मुख्य भूमिका में अभिनेता शाहरुख खान, अभिनेत्री प्रीटी जिंटा, अभिनेता सैफ अली खान नजर आए। नैना निराशावादी है। अमन ऊर्जावान और सकारात्मक है। नैना अमन से प्यार करने लगती है मगर कैंसर होने के कारण वह नैना से दूरी रखता है। करण चाहता है कि नैना का जीवनसाथी ऐसा इंसान हो, जो उसका ध्यान रख सके। अपने अंतिम समय में अमन, नैना और रोहित को करीब लाने की कोशिश करता है, जिससे दोनों एक खुशहाल जीवन बिता सकें।

आनंद (1971)

आनंद

निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में नजर आए। कैंसर के मुद्दे पर बनी सबसे उत्कृष्ट हिंदी फिल्मों में शामिल। फिल्म का मुख्य किरदार आनंद कैंसर से पीडि़त होता है और उसे स्पष्ट होता है कि उसकी मृत्यु निकट है। बावजूद इसके वह हर क्षण भरपूर आनंद से जीता है और अपने आसपास के सभी लोगों पर प्रेम लुटाता है।

अनुराग (1972)

अनुराग

निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म। अभिनेता विनोद मेहरा, अशोक कुमार, मौसमी चटर्जी, नूतन मुख्य भूमिका में नजर आए। शिवानी नेत्रहीन है और राजेश को उससे प्यार हो जाता है। राजेश, शिवानी से विवाह करना चाहता है लेकिन शिवानी का नेत्रहीन होना आड़े आता है। तब शिवानी का मित्र चंदन, जो कि कैंसर के कारण मृत्यु की गोद में समाने वाला है, नेत्रदान की पेशकश करता है, जिससे राजेश और शिवानी के विवाह के रास्ते खुल जाते हैं।

हरजाई (1981)

हरजाई

निर्देशक रमेश बहल की फिल्म। अभिनेता रणधीर कपूर, अभिनेत्री टीना मुनीम मुख्य भूमिका में नजर आए। अजय अपने दोस्तों के साथ कश्मीर घूमने जाना चाहता है और इसी चाहत में वह अपने परिजनों से झूठ बोलता है कि उसे कैंसर है। इस बीच अजय को गीता से प्यार हो जाता है और वह गीता से शादी करना चाहता है। तभी दोनों के परिवार को खबर मिलती है कि अजय को वास्तव में कैंसर है। इस खबर से रिश्तों के समीकरण बदल जाते हैं।

लुटेरा (2013) 

लुटेरा

निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने की फिल्म। मुख्य भूमिका में अभिनेता रणवीर सिंह और अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा नजर आईं। मुख्य किरदार पाखी रईस खानदान की बेटी होती है। वरुण पुरातत्ववेत्ता के रूप में पाखी से मिलता है और दोनों में प्रेम हो जाता है। वरुण धोखा देकर चला जाता है और पाखी अकेली रह जाती है। वरुण लौटता है तो पाखी कैंसर से पीडि़त हो जाती है। वरुण को ग्लानि होती है। वह पाखी की सेवा करता है और उसे जीने की उम्मीद देता है।

दिल बेचारा (2020)

दिल बेचारा

निर्देशक मुकेश छाबड़ा की फिल्म। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत और अभिनेत्री संजना सांघी मुख्य भूमिका में नजर आए। मुख्य किरदार किज्जी थाइरॉइड कैंसर से पीडि़त है जबकि मैनी गंभीर बीमारी से जूझ रहा होता है। उदासी किज्जी का स्वभाव है जबकि मैनी जोश से भरा है। मैनी और किज्जी जब नजदीक आते हैं तो किज्जी के अंदर भी जीवन के प्रति ललक पैदा होती है। दोनों एक साथ मिलकर अपनी बीमारी के दिनों को जीते हैं और एक दूसरे का हौसला बनते हैं।

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