कनाडा में खालिस्तान पर उभरे हालिया तनाव का सबसे ज्यादा असर पंजाब पर पड़ा है क्योंकि खालिस्तानियों की जड़ें पंजाब से जुड़ी हैं। ताजा मामला कनाडा में खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़े सक्रिय गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला द्वारा पंजाब के एक कारोबारी को दिए गए धमकी भरे फोन कॉल का है। बीते 2 अक्टूबर को मोहाली में पुलिस ने डल्ला के दो गुर्गे गिरफ्तार किए, जो उसके कहने पर वसूली के लिए कारोबारी को धमकी देने आए थे। डल्ला के खिलाफ हत्या, जबरन वसूली जैसे अपराधों के अलावा आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसे आतंकवादी घोषित किया है। वह एनआइए की जांच के दायरे में आए कई मामलों में भी आरोपी है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के बड़े व्यापारियों से कनाडा में बैठे गैंगस्टर्स द्वारा फिरौती मांगने के सबूत केंद्रीय जांच एजेंसियों को मिले हैं। फिरौती से वसूली गई रकम का इस्तेमाल खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने में किया जा रहा है।
पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कनाडा के कैलगरी, वैंकूवर और टोरंटो में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी में शामिल गैंगस्टर्स के पंजाब में सक्रिय गुर्गे बड़े कारोबारियों से फिरौती वसूली करते हैं।”
गुरुपतवंत पन्नू
कनाडा के कई गुरुद्वारों द्वारा खालिस्तान समर्थकों को फंड मुहैया कराने का मामला बीते 21 सितंबर को लोकसभा में उठा था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने इस मामले पर कहा था, “कनाडा में कई गुरुद्वारे निज्जर और पन्नू के कब्जे में हैं। यहां से हर हफ्ते ट्रूडो, उनके मंत्रियों और उनकी पार्टी को दान दिया जाता है। इसी के चलते पन्नू और निज्जर जैसे खालिस्तानी आतंकियों के पक्ष में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बयान दे रहे हैं।”
बिट्टू ने कहा था कि गुरुद्वारों में जमा दान से आतंकियों, उनके परिवार के सदस्यों और स्लीपर सेल की मदद की जा रही है ताकि पंजाब में फिर से उग्रवाद फैलाया जा सके।
गौरतलब है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर को अपनी संसद में दिए एक बयान में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को हुई हत्या का आरोप भारतीय एजेंसियों पर लगाया था। नब्बे के दशक में कनाडा जाकर प्लंबर का काम करने वाला निज्जर खालिस्तान समर्थक संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू के अलावा ‘खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ)’ से भी जुड़ा था। निज्जर की हत्या के विरोध में खालिस्तानियों ने कनाडाई पुलिस की मौजूदी में किए धरने-प्रदर्शनों में भारतीय तिरंगा फूंका। कनाडा से शुरू हुई खालिस्तानी गतिविधियां अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी बढ़ी हैं। अमेरिका के सन फ्रांसिस्को में 2 जुलाई को इंडियन कॉन्सुलेट में खालिस्तान समर्थक भीड़ ने आग लगा दी थी। इसी दूतावास पर इस साल मार्च में भी हमला हुआ था।
कनाडा की एनडीपी पार्टी के सांसद जगमीत सिंह
‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रमुख गुरुपतवंत पन्नू किस हद तक पंजाब में अशांति फैलाने की फिराक में हैं इसका अंदाजा चंडीगढ़ से पंजाब कवर करने वाले मीडिया को पन्नू द्वारा अकसर भेजी जाने वाली प्री-रिकॉर्डेड फोन कॉल्स से लगाया जा सकता है। आउटलुक संवाददाता को भी आई कॉल्स में से 23 अगस्त की कॉल में अमृतसर दरबार साहिब स्थित अकाल तख्त पर खालिस्तान के लिए अरदास करने वालों को पांच हजार डॉलर या 4.1 लाख रुपये देने की पेशकश की गई थी। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर पंजाब में ग्राम पंचायत से तिरंगा हटाने और उसकी जगह खालिस्तान का झंडा फहराने के लिए 200 डॉलर के ईनाम की पेशकश की गई थी। पन्नू ने भारतीय सेना में शामिल होने से इनकार करने वाले किसी भी व्यक्ति और सेना छोड़ने वाले सिख सैनिकों को उनके वेतन से पांच हजार रुपये ज्यादा देने का ऐलान किया था।
खालिस्तानी आतंक और पंजाबी मूल के गैंगस्टरों के कई देशों में फैले गठजोड़ के मद्देनजर पंजाब के पुलिस महानिदेशक रहे दिनकर गुप्ता को केंद्र सरकार ने जून 2022 में एनआइए का महानिदेशक बनाया था। खालिस्तानी आतंकवाद के चरम के दौरान आइपीएस में भर्ती हुए गुप्ता ने तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल की अगुवाई में आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) में काम किया था। आठ साल आइबी में रहे गुप्ता ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में दो साल तक डीजीपी रहते हुए कनाडा में बैठे गैंगस्टरों के पंजाब में सक्रिय गैंग पर शिकंजा कसने के अलावा 50 के करीब आतंकी साजिशों का भंडाफोड़ किया था। कनाडाई कनेक्शन वाले खूंखार गैंगस्टर की सूची ‘ए-लिस्टर गैंगस्टर्स’ में शामिल 38 गैंगस्टर में से 21 पर कसे गए शिकंजे में से कई गिरफ्तार हुए और कई का सफाया हो गया। इनमें खूंखार गैंगस्टर विक्की गोंडर भी शामिल था।
गैंगस्टर गोल्डी बराड़
भारत-कनाडा के बीच संबंधों में उठे ज्वार को पंजाब के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एंव प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन डाॅ. एएस मित्तल ने आउटलुक से बातचीत में कहा, “भारत-कनाडा के संबंधों में गहराए तनाव से सबक लेने की जरूरत है। पाकिस्तान की सीमा से सटे होने के कारण कई चुनौतियों से घिरे पंजाब के सामाजिक-आर्थिक संकट के कारण ही यहां के बहुत से लोग सुनहरे भविष्य की तलाश में कनाडा जाने को मजबूर हुए, लेकिन दुर्भाग्य से कनाडा की धरती भारत के खिलाफ खालिस्तान के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गई। दर्जनों गैंगस्टर, खालिस्तानी सरगनाओं की पनाहगाह कनाडा की एजेंसियां उनकी गतिविधियों की जानकारी भारतीय एजेंसियों को देने को तैयार नहीं हैं। तीन-चार पीढ़ियों से वहां रह रहे जिन पंजाबियों ने अपने खून-पसीने से कनाडा को भी खुशहाल किया आज वही कनाडा खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों को अपने वोट की राजनीति की खातिर मोहरा बना कर पंजाब में अशांति फैलाने की फिराक में है।”
खालिस्तान से जुड़े लोगों के यहां छापेमारी
पिछले चार दशक से पंजाब को खालिस्तान बनाने की हसरत पालने वाले चरमपंथी कनाडा में ही पलते रहे हैं। अस्सी के दशक में आतंक की दस्तक के साथ ही बड़े पैमाने पर पंजाबियों के पलायन से कनाडा को ‘मिनी पंजाब’ कहा जाने लगा। 1980 तक पंजाब से पलायन करने वाले 35 हजार सिखों की संख्या आज आठ लाख पार कर गई है, जो कनाडा की आबादी का दो फीसदी से अधिक है जबकि भारत में यह अनुपात डेढ़ फीसदी है। बढ़ती आबादी के साथ कनाडा की चुनावी राजनीति में पंजाबियों का वर्चस्व बढ़ा और पंजाब मूल के कई लोग वहां मंत्री-सांसद भी बन गए। भारत की लोकसभा में 13 सिख सांसद हैं जबकि कनाडा में 15 सिख सांसद हैं। इस पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने तो यहां तक टिप्पणी की है कि, “मेरी कैबिनेट में मोदी कैबिनेट से ज्यादा मंत्री सिख हैं।”
29 मई, 2022 को पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मुख्य आरोपी कनाडा में सक्रिय गैंगस्टर सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ अभी तक पंजाब पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। इस मामले की जांच कर रही एनआइए के आरोपपत्र के मुताबिक कनाडा में खालिस्तान समर्थक और गैंगस्टर का गठजोड़ ड्रग्स और हथियारों की तस्करी से होने वाली कमाई से खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। पंजाब से जुड़े इनके तार के चलते एनआइए ने हाल ही में खालिस्तान समर्थक ‘सिख फॉर जस्टिस’ के गुरुपतवंत पन्नू की चंडीगढ़ और अमृतसर स्थित करोड़ों की प्रॉपटी कब्जे में ली है।
इधर पंजाब पुलिस ने 25 सितंबर को कनाडा में सक्रिय आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े लखबीर सिंह लांडा और उसके सहयोगियों के 48 ठिकानों पर छापेमारी की है। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लखबीर सिंह लांडा के साथ काम करने वाला गोल्डी बराड़ कनाडा में रहकर भारत में वसूली और हथियारों की तस्करी करवा रहा है। आरोपपत्र के मुताबिक गोल्डी के साथी सतबीर सिंह उर्फ सैम पुरी को लेकर पंजाब की जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई ने भी माना है कि उसे कई बार सैम से पैसे मिले थे।