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18 मार्च 2023 · MAR 18 , 2024

क्रिकेट: बल्ले का यश

टीम इंडिया को शायद यशस्वी जायसवाल के रूप में दूसरा सहवाग मिल गया
यशस्वी जायसवाल

यशस्वी जायसवाल के रूप में  भारत को क्‍या दूसरा वीरेंद्र सहवाग मिल गया है? जायसवाल भी स्पिनरों को अधिक देर तक छकाते हैं और सहवाग की तरह खुद के दम पर मुकाबला बदलने का माद्दा रखते हैं। चाहे शतक के करीब हों या दोहरे शतक के, गेंद पाले में आई तो छक्का उड़ाने में उन्हें झिझक नहीं होती। अपने पहले तीन टेस्ट शतकों को ‘डैडी हंड्रेड’ में बदलने वाले यशस्वी का बेखौफ अंदाज बेजोड़ है। उत्तर प्रदेश के गांव से मायानगरी मुंबई, फिर आजाद मैदान से भारतीय क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम तक उनका सफर उतार-चढ़ाव भरा जरूर रहा। पर जब 22 वर्ष का बाएं हाथ का यह बल्लेबाज परिवार से दूर पहुंच कर टेंट को अपना घर बना रहने लगा, तब उसने मेहनत और लगन से शतकों की झड़ी लगा दी।

दिसंबर 2001 में उत्तर प्रदेश के भदोही में साधारण परिवार में जन्‍मे यशस्वी बचपन से ही क्रिकेट के प्रति जुनूनी थे। 12 वर्ष की उम्र में यशस्वी के माता-पिता उन्हें मुंबई ले गए। छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले उनके पिता भूपेंद्र जायसवाल और मां कंचन जायसवाल के आग्रह पर एक परिचित डेयरी मालिक ने शुरू में मुंबई में यशस्वी को रहने के लिए छत जरूर मुहैया कराई, लेकिन इस शर्त पर कि युवा खिलाड़ी को दुकान में हाथ बंटाना पड़ेगा। यशस्वी का मन खेल में रमा था, इसलिए रोजाना दुकान पर काम करना मुश्किल होने लगा। लिहाजा, बल्ले और कुछ सामान के साथ यशस्वी की सपनों की खोज फिर शुरू हो गई।

सपने बड़े होते हैं तो संघर्ष भी कड़ा होता है। उन्होंने घर पर कुछ नहीं बताया। युवा खिलाड़ी को एक क्रिकेट टीम के साथ छत भी तलाशनी थी। इसी तलाश ने यशस्वी को उनके 'इमरान अंकल' से मिलवाया। हाथों में बल्ला और कंधे पर कुछ सामान लेकर वे आजाद मैदान पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात मुस्लिम यूनाइटेड क्लब का संचालन करने वाले इमरान से हुई। इमरान ने यशस्वी से कहा कि वह अगर एक मैच में अच्‍छा रन बना पाया तो उसे टेंट में रहने की इजाजत मिल जाएगी। यशस्वी मैच में रन भी बना पाए और मैदान कर्मियों के साथ टेंट में ही रहने लगे।

आज जिन हाथों से यशस्वी दुनिया के श्रेष्ठ गेंदबाज जेम्स एंडरसन को छक्के मार रहे हैं, कभी वे हाथ पानी पुरी बेचा करते थे। वे आजीविका के लिए खाली समय में पानी पुरी बेचा करते थे। यशस्वी कहते हैं कि मुंबई में उन्हें हर कदम पर समस्या नहीं, सीख मिली।

अचानक एक दिन मुंबई स्थित कोच ज्वाला सिंह की नजर युवा खिलाड़ी की प्रतिभा पर पड़ी तो वे दंग रह गए। सिंह ने न केवल यशस्वी को प्रशिक्षित करने का फैसला किया बल्कि उसे आवास भी उपलब्ध कराया। इससे उसके भीतर जैसे असफल होने का डर निकल गया। यही शायद हमेशा खुलकर खेलने का कारण भी बना। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने सफलता की ओर पहला कदम तब उठाया, जब उन्होंने मुंबई में स्कूल स्तर के शीर्ष टूर्नामेंटों में से एक, हैरिस शील्ड के एक बहु-दिवसीय मैच में आश्चर्यजनक 319 रन बनाए और 13 विकेट झटके। उसके बाद यशस्वी ने स्कूल स्तर पर और फिर मुंबई अंडर-16 और अंडर-19 टीमों के लिए ढेर सारे रन बनाए। अक्टूबर 2019 में 50 ओवर की विजय हजारे ट्रॉफी में जायसवाल ने 113, 22, 122, 203 और नाबाद 60 रन बनाए। वे 17 साल और 292 दिन की उम्र में लिस्ट ए और वनडे सहित 50 ओवर के क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए। इसी के चलते 2020 में उनका चयन भारतीय अंडर-19 टीम में हो गया।

वे दक्षिण अफ्रीका में अंडर-19 विश्व कप में भारत की बल्लेबाजी का मुख्य आधार थे। छह पारियों में 133 के असाधारण औसत से यशस्वी ने 400 रन बनाए। वे प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे और टीम उप-विजेता रही। अपने पहले पूर्ण रणजी ट्रॉफी सीजन 2021-22 में, उन्होंने मुंबई को फाइनल तक पहुंचाने में लगातार तीन शतक बनाए। इस तगड़े प्रदर्शन ने यशस्वी के लिए इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) का रास्ता खोल दिया। राजस्थान रॉयल्स ने उन्‍हें 2.4 करोड़ रुपए में टीम में शामिल किया।

तंबू में रहने वाले के लिए इतना पैसा पगला देने के लिए काफी था, लेकिन उनका मन नहीं डोला। आइपीएल की शुरुआत में उन्हें थोड़ा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन जज्बा बरकरार रहा। उन्होंने अपने बेसिक्स पर काम किया और अपने खेल में लगातार सुधार किया। कुछ सामान्य सीजन के बावजूद राजस्थान रॉयल्स ने भी उन पर भरोसा कायम रखा। फिर आइपीएल-2023 आया और यशस्वी ने अपने बल्ले से पूरी तस्वीर बदल दी। यह सीजन उनके लिए टर्निंग प्वाइंट था। 14 मैचों में 625 रनों के साथ, उन्होंने इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द सीजन का पुरस्कार जीता। जायसवाल ने सिर्फ रन ही नहीं बनाए, बल्कि आश्चर्यजनक गति से रन बनाए। इसमें 13 गेंदों पर एक रिकॉर्ड अर्धशतक भी शामिल है। वे पहली गेंद से ही गेंदबाजों के पीछे पड़ गए, जिससे क्रिकेट जगत में उनकी चर्चा होने लगी।

उनके निरंतर प्रदर्शन और वर्षों की कड़ी मेहनत का फल तब मिला जब उन्होंने जुलाई 2023 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट कैप हासिल की। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका परिचय शानदार रहा। उन्होंने अपने पहले मैच में ही 171 रनों की विशाल पारी खेली, जिससे वह पदार्पण मैच में शतक बनाने वाले केवल 17वें भारतीय क्रिकेटर बन गए। पारी के बाद जायसवाल ने कहा था कि यह केवल शुरुआत है। इसके बाद उन्होंने जल्द ही टी-20 में भी डेब्यू किया। 2023 एशियाई खेलों में जब भारतीय क्रिकेट टीम ने गोल्ड मेडल जीता तो यशस्वी उस टीम का हिस्सा थे। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में नेपाल के सामने शतक भी जड़ा। इसी के साथ भारत के युवा सलामी बल्लेबाज मल्टी-स्पोर्ट इवेंट में देश के पहले शतकवीर बने। साथ ही उन्होंने टी-20 अंतरराष्ट्रीय में भारत के सबसे कम उम्र के शतकधारी होने के गिल के मायावी रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

हाल में 25 जनवरी से हैदराबाद में शुरू हुई भारत-इंग्लैंड टेस्ट शृंखला के पहले तीन मुकाबलों में दो दोहरे शतकों ने विश्व क्रिकेट में उनके नाम का हल्ला कर दिया है। हर कोई यशस्वी की प्रतिभा की बात कर रहा है। राजकोट में अपनी 214 रनों की पारी के दौरान जेम्स एंडरसन की गेंदबाजी पर लगातार तीन छक्के जड़कर यशस्वी ने सबको अचंभित कर दिया। उन्होंने दिखा दिया है कि वे केवल एक दो मैच खेलने नहीं बल्कि इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने आए हैं। लेकिन जैसा कि वे स्वयं स्वीकार करते हैं, यह तो केवल शुरुआत है। यशस्वी का जीवन और उनका क्रिकेट करियर इस बात का संकेत है कि संघर्षों की बारिश कितनी ही मूसलाधार और भयंकर क्यों न हो। जब बारिश रुकेगी तो धूप भी खिलेगी और सफलता का सप्तरंगी इंद्रधनुष भी नजर आएगा। हमें बस लगे रहना है। बिना किसी संशय और बिना किसी डर के चला जाए तो यशस्वी जैसा तेजस्वी परिणाम पाना असंभव नहीं।

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