आम आदमी पार्टी (आप) ने विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी करके प्रदेश में तेजी से चढ़ रही गर्मी में कुछ और तपिश पैदा कर दी है। पार्टी प्रदेश संगठन को भंग करके नया स्वरूप देने की मुहिम में जुट गई है। आप पिछले साल नगरीय निकाय चुनावों में अपनी मौजूदगी का एहसास करा चुकी है। पार्टी ने सिंगरौली नगर निगम में करीब 9,000 वोटों से जीत हासिल की थी। आज प्रदेश में पार्टी का एक मेयर और 51 पार्षद हैं। सिर्फ सात महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। इस जीत से लोगों में आप के प्रति दिलचस्पी जागी है और इससे प्रदेश में विकल्प का दरवाजा खुल सकता है।
आप 2023 के विधानसभा चुनाव में कदम रखेगी तो यह उसकी दूसरी कोशिश होगी। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 0.66 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 2022 के नगरीय निकाय चुनावों में आप ने कुछ सीटों पर चुनाव लड़कर 7 प्रतिशत वोट हासिल कर लिया है। इसके चलते पार्टी का मध्य प्रदेश में आत्मविश्वास बढ़ गया है। पार्टी खुद को भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश कर रही है। कांग्रेस और आप का वोट बैंक लगभग एक जैसा है, इसलिए पार्टी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है। यह 2022 के नगरीय निकाय चुनाव में भी दिखा। पार्टी ने सिंगरौली नगर निगम में बंपर जीत दर्ज करके मेयर पद भाजपा से हथिया लिया। मतलब लोगों ने विकल्प कांग्रेस को नहीं, बल्कि आप को माना। इसका असर आसपास की पांच विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है।
कुछ राजनैतिक जानकारों के अनुसार, प्रदेश में आप की एंट्री के चलते कांग्रेस की 51 सीटों पर प्रभाव पड़ता दिख रहा है। इसमें 26 वे सीटें हैं, जहां कांग्रेस 2018 में 7 हजार से कम वोटों से जीत पाई थी। ग्वालियर-चंबल संभाग की 10 शहरी सीटों पर भी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी के संकेत हैं। इसकी एक वजह यह है कि प्रदेश में कांग्रेस के परंपरागत वोटर मुस्लिम, एससी और एसटी तबके हैं। दरअसल इनमें काफी सीटें वे हैं, जहां 2018 में कांग्रेस ने 7 हजार से कम वोटों से जीत दर्ज की थी। आप का दावा है कि प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस के कई मौजूदा विधायक विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आप का दामन थामेंगे।
बैतूल में कुंबी समाज संगठन के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे आप के दिल्ली की जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रवीण देशमुख ने दावा किया कि कई सामाजिक संगठन पार्टी से जुड़ने के लिए तैयार हैं। उनका दावा है कि कई पूर्व और वर्तमान विधायक, पूर्व मंत्री आप से जुड़ने जा रहे हैं और पार्टी 2023 के चुनाव में पूरी दमदारी से उतरने जा रही है। आप के पूर्व उपाध्यक्ष (भोपाल) प्रदीप खंडेलवाल कहते हैं, ‘‘प्रदेश में आप खास रणनीति के तहत सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। फिलहाल पार्टी संगठन के विस्तार का काम प्रमुखता से कर रही है।’’
जानकारों का मानना है कि आप ने गुजरात विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन अगर मध्य प्रदेश में दोहरा दिया तो कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ पांडे कहते हैं कि आप के ज्यादा वोटर शहरी क्षेत्र के हैं, इसलिए अगर आप की ओर झुकाव होता है तो दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों कांग्रेस और भाजपा नुकसान हो सकता है। मध्य प्रदेश की राजनीति अब तक भाजपा और कांग्रेस तक सीमित रही है, लेकिन 2022 के निकाय चुनावों से आप और एआइएमआइएम ने भी प्रदेश में दखल दे दी है। 2013 में दिल्ली में पहला चुनाव लड़कर सत्ता पर काबिज होने वाली और पंजाब के चुनावों में अपने प्रदर्शन से सबको चौंका चुकी आप क्या मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है? यह देखना दिलचस्प होगा।
प्रदेश में आप पार्टी खास रणनीति के तहत सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी
प्रदीप खंडेलवाल, पूर्व उपाध्यक्ष (भोपाल), आप