कीर स्टारमर (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री) शो से प्यार करते हैं, तो इसके कुछ कारण हैं, डीजे रेंटन ने हाल ही में नेटफ्लिक्स पर आए धारावाहिक अडॉलेसेंस के बारे में अपने ब्लॉग पोस्ट में यह लिखा है। यह अब वैश्विक चर्चा का विषय बन गया है। यह शृंखला कामगार तबके से आने वाले 13 वर्षीय एक श्वेत लड़के जेमी मिलर की कहानी पर है, जिसके ऊपर एक लड़की की हत्या का आरोप है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, हम पुरुषों की ऑनलाइन दुनिया से वाकिफ होते जाते हैं, जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है। ये जगहें यौन अस्वीकृति के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने के लिए मर्दानगी और हिंसा को पनाह देती हैं। जेमी इसी चक्कर में फंस गया था जबकि उसके कामकाजी माता-पिता सोचते रहे कि वह तो अपने कमरे में चुपचाप बंद है।
रेंटन की टिप्पणी में ब्रिटिश प्रधानमंत्री और शो के लेखक जैक थॉर्न के बीच डाउनिंग स्ट्रीट में हुई बैठक का संदर्भ है। इस बैठक में शो के निर्माता जो जॉनसन के साथ-साथ नेशनल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू चिल्ड्रन, मूवम्बर और चिल्ड्रन सोसाइटी जैसी धमार्थ संस्थाएं शामिल थीं। बैठक का लक्ष्य ऑनलाइन वेबसाइटों की जहरीली सामग्री पर चर्चा करना था, जो बच्चों को आसानी से उपलब्ध है और सवाल था कि कैसे उन्हें उस सामग्री से बचाया जाए। बैठक में स्टारमर ने खुद को एक अभिभावक के रूप में प्रस्तुत किया और बताया कि अपने किशोर बच्चों के साथ शो को देखना कितना कठिन लेकिन महत्वपूर्ण था। प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्होंने माना कि बच्चों को इस नुकसान से बचाने के लिए कोई आसान नुस्खा मौजूद नहीं है।
हाल के वर्षों में ब्रिटेन की सरकार द्वारा ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर हिंसा के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। जैक थॉर्न ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है और 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया तक पहुंचने से प्रतिबंधित करने में ऑस्ट्रेलिया की राह का पालन करने का समर्थन किया है। 2023 में ब्रिटिश संसद ने ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम पारित किया था, जिसमें इंटरनेट को सभी के लिए सुरक्षित स्थान बनाने के लिए ‘‘एक नया नियामक ढांचा’’ पेश किया गया था।
इस अधिनियम के माध्यम से, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के कुछ कर्तव्य तय किए गए हैं और स्पष्ट रूप से यह आश्वस्त करने को कहा गया है कि ‘‘वयस्कों की तुलना में बच्चों के लिए सुरक्षा का उच्च मानक अपनाया जाए।’’ इसमें बच्चों को ‘‘विकृति के जोखिम’’ से रोकने के लिए ‘‘देखभाल के कर्तव्यों’’ वाला अंश भी शामिल है। उसमें पोर्नोग्राफी का खास जिक्र है और उस पर नियंत्रण पर जोर दिया गया है।
एक ओर तो जोर रोकथाम के ऊपर है: यानी ऐसे नीतिगत उपायों को लागू करना जो बच्चों को हिंसक और स्त्री-द्वेषी ऑनलाइन सामग्री तक पहुंचने से रोके। दूसरी तरफ देखभाल के कर्तव्य के रूप में सुरक्षा के सिद्धांत का समर्थन है। स्टारमर ने अब कहा है कि शायद इस अधिनियम को और मजबूत करने की आवश्यकता है, जबकि अन्य शिक्षा विशेषज्ञों ने रिलेशनशिप, सेक्स ऐंड हेल्थ एजुकेशन के पाठ्यक्रम में पूर्ण बदलाव का आह्वान किया है, जो ब्रिटिश स्कूलों में पढ़ाया जाता है। नया पाठ्यक्रम युवाओं को शायद गलतफहमी, विषाक्त मर्दानगी और एंड्रयू टेट जैसे इनफ्लुएंसरों के असर से बचा पाए। इस सब को देखते हुए नेटफ्लिक्स ने घोषणा की है कि जनहित में वह माध्यमिक विद्यालयों में इस शो की मुफ्त स्ट्रीमिंग करेगा।
अडॉलेसेंस ने सरकार, धर्मादा संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और निगमों के पहले से मौजूद तंत्र में अपना प्रभाव पैदा किया है, लेकिन साथ ही माता-पिता, शिक्षकों और जनता के बीच बड़े पैमाने पर पोर्नोग्राफी के ऑनलाइन जोखिम और बच्चों पर सभी प्रकार की चरमपंथी हिंसा के प्रभावों के बारे में चिंता में इजाफा किया है। स्टारमर का खुद मानना था कि इस फिल्म में कुछ ऐसी गहरी सांस्कृतिक वजहें हैं, जो हमेशा ही नीतिगत उपायों और अच्छे कानूनों की जद से बाहर रहेंगी।
इस फिल्म पर चर्चा के बहाने कई मायनों में, हम उन बुनियादी सवालों पर वापस आ गए हैं जो सामाजिक समस्याओं से संबंधित सभी मुद्दों पर ध्यान खींचते हैं, यानी संस्कृति और अर्थशास्त्र के बीच क्या संबंध है? क्या हम दोनों को अलग कर सकते हैं? हम अपने स्कूलों के लिए राज्य का वित्तपोषण लगातार गिरते जाने पर गौर किए बगैर लड़कों और किशोरों के बीच विषाक्त मर्दानगी की संस्कृति के मुद्दे से कैसे निपट सकते हैं? परीक्षा और रेटिंग पर जोर की वजह से स्कूल कारखानों में बदल दिए गए हैं। संगीत, खेल और अन्य पाठ्येतर गतिविधियों को गंभीर रूप से कम कर दिया गया है और कक्षा के आकार में वृद्धि हुई है। अधिक काम करने और कम वेतन पाने वाले शिक्षकों से तो शायद ही छात्रों के जीवन में कोई निजी अंतर्दृष्टि होने की उम्मीद की जा सकती है। जेमी की तरह कम मजदूरी, छिटपुट नौकरियों पर कई पारियों में काम करने वाले माता-पिता इस तथ्य में शायद सांत्वना पा सकते हैं कि कम से कम उनका बच्चा घर पर है और डार्क वेब से अनजान रहते हुए खतरनाक सड़कों पर नहीं घूम रहा है। मुझे याद नहीं है कि मैंने अपनी बेटी को मनोरंजन के लिए कितनी बार कोई उपकरण पकड़ा दिया है, सिर्फ इसलिए कि मुझे अपना काम समय से पूरा करना था।
स्टारमर ने शो को कठिन पाकर भी क्यों पसंद किया, उसके पीछे मुझे ऐसा लगता है कि वे सरकार को स्कूलों और श्रमिक वर्ग के समुदायों के कल्याण के अपने कर्तव्य से बरी होना चाहते हैं। वे इसे सांस्कृतिक समस्या बताकर स्त्री-द्वेष को निजी दायरे में ले आते हैं जिससे युवाओं की आपराधिकता के प्रति कठोर प्रतिक्रिया आसान हो जाती है। इसमें स्कूली शिक्षकों और माता-पिता की कहीं कोई जगह नहीं दिखती। इसमें पुलिसिया व्यवस्था पर भरोसा करता है। इसके विपरीत, एनएसपीसीसी की निदेशक मारिया नियोफाइटो ने कहा है, ‘‘ऑनलाइन दुनिया स्त्री-द्वेषी सामग्री से प्रदूषित है जिसका युवाओं की सोच और व्यवहार के विकास पर सीधा असर पड़ रहा है।’’
अडॉलेसेंस की चर्चा में हमें यह भी याद रखना चाहिए कि ऑनलाइन स्त्री-द्वेष आखिरकार व्यापक स्तर पर फैले स्त्री-द्वेष का ही रूप है, जो नवउदारवादी ब्रिटेन की राजनैतिक अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। आज के ब्रिटेन में आर्थिक अलगाव और सामाजिक विसंगतियों से जूझते कई उत्तरी और मिडलैंड के शहर हैं, जैसे यॉर्कशायर में रॉदहैम, ओल्डहैम, टेलफोर्ड, बैनबरी और अन्य। ‘ग्रूमिंग गैंग’ घोटाला इन्हीं की पैदाइश था। इसमें 12 से 16 वर्ष की आयु के बीच की हजारों युवा और कामकाजी वर्ग की गरीब श्वेत महिलाओं को कामकाजी वर्ग के श्वेत ब्रिटिश पुरुषों के नेटवर्क द्वारा यौन शोषण के लिए तैयार किया जा रहा था, जो ज्यादातर इन शहरों की गिग अर्थव्यवस्थाओं में काम करते थे। यह मुद्दा उतना ही ध्यान देने योग्य है जितना अडॉलेसेंस में उठाया गया है।
जबसे उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है, पहली बार मैं स्टारमर से खुद को जोड़ कर देख पा रही हूं क्योंकि मुझे भी अपनी किशोर बेटी के साथ यह फिल्म देखना मुश्किल लगा था। बतौर मां और नारीवादी, मुझे इस बात की भी चिंता है कि वह तेजी से हिंसक हो रही दनिया में कैसे अपनी रह बनाएगी क्योंकि शोषण के नए-नए क्षेत्र उभरते जा रहे हैं जहां स्त्री-द्वेष और विषाक्त मर्दानगी का खेल चल रहा है। सोशल मीडिया की पहुंच नियंत्रित करके मैं थोड़े समय के लिए ही रोक सकती हूं। कहीं ज्यादा अहम कर्तव्य यह होगा कि उसे स्त्री-द्वेष का सामना करने के लिए आवश्यक भावनात्मक और बौद्धिक संसाधनों से लैस किया जाए तथा एक बेहतर दुनिया बनाने के सामूहिक प्रयासों का हिस्सा बना जाए।
“फिल्म कुछ ऐसी गहरी सांस्कृतिक वजहों की ओर इशारा करती है, जो हमेशा ही नीतिगत उपायों और कानूनों की जद से बाहर बनी रहेंगी”
कीर स्टारमर, प्रधानमंत्री, ब्रिटेन
(रश्मि वर्मा वारविक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी और तुलनात्मक साहित्य की प्रोफेसर हैं और फेमिनिस्टव डिसेन्ट नामक पत्रिका के संस्थापक संपादकीय समूह की सदस्य हैं। विचार निजी हैं)