इब्राहिम अल्काजी
18 अक्टूबर 1925 - 05 अगस्त 2020
इब्राहिम अल्काजी की गणना भारतीय रंगमंच में बीसवीं सदी के शिखर पुरुषों की तरह होती है। उन्होंने अपने सर्जनात्मक कार्य से श्रेष्ठता के नए रंग प्रतिमान स्थापित किए। उन्होंने कई पीढ़ियों पर रंग संस्कार की अमिट छाप छोड़ी। हिंदी रंगमंच को राष्ट्रीय प्रतिष्ठा दिलाने और उसमें नई सर्जनात्मकता तथा ऊर्जा का संचार करने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक है। रंगकर्म को जिम्मेदारी से लेने, उसकी गंभीरता की फिक्र करने, उसके लिए उपयुक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस करते हुए उसे गहरे अनुशासन से संबद्ध करने के लिए उन्होंने नई परंपरा का सूत्रपात किया। अल्काजी ने पश्चिम की आधुनिक दृष्टि को भारतीय परिवेश में समाहित कर ऐसे रंगमंच की अवधारणा विकसित की जिसकी जड़ें हमारी परंपरा में गहरी हों और पश्चिम के स्वस्थ प्रभावों के प्रति सहज खुली हों। बीसवीं सदी के छठवें, सातवें और आठवें दशक में हिंदी रंगमंच में जो आत्मविश्वास दिखाई देता रहा है, निर्विवाद रूप से उसका श्रेय अल्काजी को जाता है।
उन्होंने रंगस्थान के कल्पनाशील और विविध उपयोग, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के नए मौलिक नाटकों के पहले-पहल श्रेष्ठ प्रदर्शन, रंग सामग्री के परिष्कार, दृश्यबंध के सुरुचिपूर्ण उपयोग आदि का निराला सिलसिला शुरू किया। इसका गहरा प्रभाव समूचे भारतीय परिदृश्य पर पड़ा। रंग निर्देशक होने के साथ-साथ वे देश के श्रेष्ठतम रंग गुरु के रूप में भी उभरे। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक के रूप में उन्होंने अनेक रंग पीढ़ियों को प्रशिक्षित किया। पिछले पचास सालों में भारतीय रंगमंच पर सक्रिय श्रेष्ठ निर्देशकों में से अधिकांश उनके शिष्य रह चुके हैं। अल्काजी की शिक्षा में स्वतंत्रता और मुक्ति का गहरा संस्कार था। यही कारण है कि उनके अधिकांश शिष्यों ने उनसे अलग राह अपनाकर अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व विकसित भी किए।
इब्राहिम अल्काजी का जन्म 18 अक्टूबर 1925 को पूना में हुआ था। रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स लंदन से नाट्य कला में उपाधि पाने के बाद उन्होंने 1954 में मुंबई में रंगकर्म के क्षेत्र में अपनी शुरुआत की। उन्होंने वहां थिएटर यूनिट ऑफ ड्रामेटिक आर्ट की स्थापना की। इसके माध्यम से एक ओर विभिन्न नाट्य प्रस्तुतियों की शुरुआत हुई और शहर में एक तरह से रंग आंदोलन की शुरुआत हुई। इस अवधि में वे नाट्य अकादमी के प्राचार्य के रूप में भी काम कर रहे थे। उनके द्वारा संपादित द थिएटर बुलेटिन उस समय रंगकर्म और सहधर्मी कलाओं पर एकमात्र प्रकाशन था। अल्काजी को 1950 में ब्रिटिश ड्रामा लीग का तारांकित प्रमाण पत्र और ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन का प्रसारण पुरस्कार मिल चुका था। 1962 में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी ने निर्देशन के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया और 1967 में वे अकादमी के फैलो भी बनाए गए। 1966 में भारत सरकार ने उन्हें जब पद्मश्री प्रदान की तब वे 41 वर्ष के थे। वे निष्प्क्ष और पारदर्शी समय के मूल्यवान रचनात्मक हस्ताक्षर बन चुके थे। बाद में उनको पद्मभूषण और पद्मविभूषण से भी नवाजा गया। 1986 में मध्य प्रदेश सरकार के रंगकर्म के राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से भी वे विभूषित हुए।
1962 से 1977 तक वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के निदेशक रहे। उस समय उनकी उम्र 37 वर्ष थी। वे 15 वर्ष इस संस्थान के प्रमुख रहे। अल्काजी ने यहां नाट्य साहित्य सिद्धांत और प्रस्तुति के तकनीकी पक्षों का गहन प्रशिक्षण शुरू किया और रंगमंच के उच्चतम प्रतिमानों के प्रति संकल्पित प्रतिबद्धता की निष्ठा जगाई।
एक कुशल परिकल्पनाकार के रूप में भी उनकी ख्याति और आदर कम नहीं था। उनकी प्रेरणा से भारत में आधुनिक रंगमंच ने समकालीन साहित्य और रूपंकर कलाओं आदि से नया अंतःसंबंध भी विकसित किया। यही नहीं, 1982 में म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट आक्सफोर्ड में इंडिया मिथ एेंड रियलिटी शीर्षक प्रदर्शनी में उनके अनेक कला प्रकाशनों की श्रृंखला और दिल्ली, चेन्नै तथा मुंबई में वार्षिक प्रदर्शनियों कीं।
इब्राहिम अल्काजी का व्यक्तित्व विराट और सम्मानबोध से भरा हुआ था। उनकी नाट्य प्रस्तुतियां विषयगत और शिल्पगत वैभव से समृद्ध मानी जाती हैं फिर चाहे वह ऐतिहासिक अंधा युग हो, ययाति हो, अषाढ़ का एक दिन हो, तुगलक हो, इन सबमें कालगत, समयगत और उत्कृष्टतागत ऐतिहासिकता मौजूद रही और आकलनकर्ताओं ने ढूंढ़कर रेखांकित भी की। उन्होंने शेक्सपीयर और कई ग्रीक नाटक भी निर्देशित किए। उनका सृजन और अपने समय के दिग्गज रंगकर्मियों मनोहर सिंह, ओम शिवपुरी, मोहन महर्षि, रामगोपाल बजाज, उत्तरा बावकर, विजया मेहता, रोहिणी हट्टंगड़ी, ओम पुरी, राजेन्द्र गुप्त, पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह के गुरु के रूप में उनका आदर इस बात का प्रमाण है कि वे एक सच्चे कलाकार थे। जिनके होने से कलाओं को, विशेषकर रंगमंच को उसका सर्वोच्च मिल सका।
(लेखक सिनेमा पर सर्वोत्तम लेखन के लिए नेशनल अवार्ड से पुरस्कृत हैं)