पिछले चार महीने से सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी की चीर-फाड़ में लगी मीडिया, खुद ही नए भंवर में फंस गई है। एक तरफ जहां तीन चैनलों पर टीआरपी में हेर-फेर का मुंबई पुलिस ने आरोप लगा दिया है, वहीं बॉलीवुड इंडस्ट्री की चार एसोसिएशन और 34 प्रोडक्शन हाउस ने दो चैनलों और उनके चार पत्रकारों के खिलाफ दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की है। आरोप है कि इन न्यूज चैनलों ने बॉलीवुड हस्तियों के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक रिपोर्टिंग की है। इस बीच, जिस रिया चक्रवर्ती को मीडिया ने सुशांत की मौत का करीब-करीब जिम्मेदार मान लिया था, उन्हें मुंबई हाइकोर्ट से जमानत मिल गई है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रिया किसी ड्रग रैकेट का हिस्सा नहीं थीं। उसने कहा, “हम इस बात को नहीं मान सकते कि रिया ड्रग डीलर के साथ हैं। कोई ड्रग का सेवन करता है तो वह दोषी है, लेकिन वह ड्रग रैकेट का हिस्सा नहीं हो सकता है।” हालांकि, रिया के भाई शौविक चक्रवर्ती और अब्दुल बासित परिहार को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है।
लगता है, रिया पर कोर्ट की टिप्पणी ने बॉलीवुड को मीडिया के खिलाफ एकजुट होने की ताकत दी है। दिल्ली हाइकोर्ट में अपनी याचिका में सभी प्रोडक्शन हाउस ने दो न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाऊ और उनके चार पत्रकार अर्णब गोस्वामी, प्रदीप भंडारी, नविका कुमार और राहुल शिवशंकर पर मीडिया ट्रायल का आरोप लगाया है।
याचिका में मांग की गई है कि सभी बॉलीवुड हस्तियों का मीडिया ट्रायल न किया जाए और उनकी निजता के अधिकार में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाई जाए। साथ ही यह भी आश्वस्त किया जाए कि ये चैनल केबल टीवी (रेगुलेशन) एक्ट 1994 के तहत निर्धारित प्रोग्राम कोड का पालन करें। इन सबने यह भी मांग की है कि चैनल पर चली आपत्तिजनक सामग्रियां हटाई जाएं। हालांकि इन आरोपों का सभी आरोपियों ने खंडन किया है। आरोप लगाने वालों में द प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ इंडिया, द सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन, द फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल, स्क्रीन-राइटर्स एसोसिएशन सहित यशराज फिल्म्स, धर्मा प्रोडक्शंस, आमिर खान प्रोडक्शंस, सलमान खान वेंचर्स, रोहित शेट्टी पिक्चर्स, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट, कबीर खान फिल्म्स जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
ये प्रोडक्शन हाउस जिस मीडिया ट्रायल की बात कर रहे हैं, टीआरपी घोटाला उस पर से कुछ हद तक पर्दा हटाता है। आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीआरपी घोटाले का खुलासा किया। मुंबई पुलिस का दावा है कि ऊंची टीआरपी लेने के लिए चैनल धांधली करते थे। ग्राहकों को खास चैनल देखने के लिए पैसे दिए जाते थे। इसमें चैनलों की मदद रेटिंग के लिए मीटर लगाने वाली कंपनी हंसा के पूर्व कर्मचारियों ने की थी।
मुंबई पुलिस के अनुसार इस खेल में रिपब्लिक टीवी, फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा के लोग शामिल थे। पुलिस ने सबूतों के आधार पर फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा के मालिकों को गिरफ्तार भी कर लिया है। जबकि रिपब्लिक टीवी के संबंधित लोगों से पूछताछ की तैयारी है।
मुंबई पुलिस की एफआइआर में इंडिया टुडे का भी नाम शामिल है। लेकिन पुलिस ने यह स्पष्ट किया है कि एफआइआर में इंडिया टुडे का नाम तो है लेकिन किसी भी आरोपी या गवाह ने इसे प्रमाणित नहीं किया है। आरोपियों और गवाहों ने रिपब्लिक टीवी, फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा का नाम लिया है, और उसके आधार पर जांच की जा रही है।
टीआरपी के फर्जीवाड़े में रिपब्लिक टीवी का नाम आने पर चैनल के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी ने कहा कि वे मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस कमिश्नर इसलिए गलत आरोप लगा रहे हैं क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच को लेकर हमने उनसे सवाल किए थे। मुंबई पुलिस कमिश्नर को सार्वजनिक रूप से माफीनामा जारी करना चाहिए या फिर वे कोर्ट में हमारा सामना करने को तैयार रहें।
सवाल है कि अर्णब गोस्वामी जिस जांच पर सवाल उठा रहे हैं, उसका क्या हुआ? तो उसकी परिणिति अब समझ में आने लगी है। एम्स दिल्ली की फॉरेंसिक रिपोर्ट ने सुशांत की मौत को आत्महत्या बताते हुए ‘मर्डर थ्योरी’ को खारिज कर दिया है और मुंबई के कूपर अस्पताल की रिपोर्ट पर सहमति जताई है। हालांकि अभी सीबीआइ की रिपोर्ट का सभी को इंतजार है।
एम्स के फॉरेंसिक मेडिकल बोर्ड के चेयरमैन डॉ. सुधीर गुप्ता ने आउटलुक से कहा, “रिपोर्ट में वही बातें हैं, जो पैनल के सामने आईं। गले में फंदे के अलावा शरीर पर अन्य किसी चोट का निशान नहीं था। हाथापाई के भी सबूत नहीं मिले। यह आत्महत्या का मामला है। आगे की जानकारी सीबीआइ देगी। एजेंसी को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है।”
हालांकि एम्स की रिपोर्ट पर सुशांत सिंह के पिता का केस लड़ रहे वकील विकास सिंह ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने सीबीआइ निदेशक को पत्र लिखकर नई फॉरेंसिक टीम गठित करने की मांग की है। उनका कहना है कि अंतिम रिपोर्ट सीबीआइ को देनी है। वह बताए कि सुशांत की मौत आत्महत्या थी या हत्या। एम्स इस बात को कैसे कह सकता है?
आउटलुक से बातचीत में विकास सिंह कहते हैं, “पत्र का अभी तक जवाब नहीं मिला है। एम्स के डॉ. गुप्ता ने जो बातें पहले कही थीं, उससे वे पीछे हट रहे हैं। उन्होंने पहले सुशांत की मौत को ‘दो सौ फीसदी मर्डर’ का मामला बताया था। एक बात और समझनी चाहिए कि एम्स को सिर्फ कूपर अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट पर राय देनी थी। वह इसे गले में फंदा का मामला बता सकता हैं, लेकिन यह आत्महत्या है, ऐसा कैसे कहा जा सकता है? इसे तो जांच एजेंसी को तय करना है। मुझे अभी तक रिपोर्ट भी नहीं मिली है।” सीबीआइ का कहना है कि जांच पेशेवर तरीके से की जा रही है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। एजेंसी अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।
फिलहाल पूरे मामले की तफ्तीश तीन केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) कर रही हैं। एनसीबी की एंट्री होने के बाद ड्रग्स का नया एंगल जरूर आ गया। इस मामले में रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक के साथ-साथ अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, सारा अली खान समेत कई लोगों की एनसीबी के पास पेशी हो चुकी है। यही नहीं, शुरुआती जांच के बाद आउटलुक को दिए इंटरव्यू में एनसीबी प्रमुख राकेश अस्थाना ने कहा था कि हम पूरे मामले की तह तक जाएंगे। इसमें किसी को नहीं बख्शा जाएगा। लेकिन जिस तरह से रिया की जमानत पर कोर्ट की टिप्पणी आई है, उससे लगता है कि एनसीबी को आने वाले समय में पुख्ता केस बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।
ड्रग्स थ्योरी पर वकील विकास सिंह का कहना है, “सुशांत मामले का ड्रग्स मामले से कोई लेना-देना नहीं है। एजेंसियों को सिर्फ इस बात की पुष्टि करनी है कि रिया यदि सुशांत को ड्रग्स देती थीं तो उनकी इच्छा से देती थीं या उनकी मर्जी के बिना।”
इस पूरे प्रकरण की गुत्थी उलझती जा रही है। मामले में राजनीति से लेकर सभी तरह के एंगल शामिल होने के बाद देखना यह है कि एजेंसियां किन सवालों के जवाब सामने लेकर आती हैं। जिनका लोगों को इंतजार है, उनमें सबसे अहम है कि सुशांत की मौत कैसे हुई, बॉलीवुड में ड्रग्स का कनेक्शन कितना गहरा है और मीडिया की भूमिका क्या है।