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उपलब्धियों की मिसाल

सहकारिता और एफपीओ के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाली संस्थाओं को किया गया सम्मानित
बिहार स्टेट मिल्क कोऑपरेटिव फेडरेशन की चेयरपर्सन एन. विजयलक्ष्मी और एमडी शिखा श्रीवास्तव को सम्मानित करते केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह

मौका था आउटलुक एग्रीकल्चर एंड स्वराज अवार्ड्स के सालाना जलसे का और इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने सहकारिता और एफपीओ के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वालों को सम्मानित किया। सहकारिता और एफपीओ के क्षेत्र में कुल नौ संस्थाओं को प्राथमिक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय वर्ग में ये अवार्ड दिए गए। आइए, जानते हैं उन संस्थानों के बारे में जो चुपचाप कृषि के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं और जिन्हें स्वराज अवार्ड देकर उनके काम को प्रोत्साहित किया गया।

श्रेष्ठ प्राथमिक सहकारी समिति

यह अवार्ड ओडिशा की मयूरभंज गोटरी डेवलपमेंट कोऑपरेटिव सोसायटी को दिया गया। इसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉक्टर प्रियब्रत माझी और सेक्रेटरी निबेदिता माझी हैं। मयूरभंज सोसायटी की शुरुआत 2016 में 51 किसानों के साथ हुई थी और इसके अधिकांश सदस्य आदिवासी हैं। सोसायटी के 5,000 से अधिक सदस्य हैं, जिनमें 4,000 महिलाएं हैं। 500 स्वयं सहायता समूह भी इससे जुड़े हैं। प्रियब्रत माझी कहते हैं, “हम 10,000 किसानों के साथ काम करते हैं। पहले आदिवासियों की तीन में से एक ही बकरी बचती थी। अब उनकी बकरियां बचने लगी हैं। धान के सीजन में दो बकरियां बेचकर वे खेती के कई सामान लाते हैं। गांव में बकरियों को एटीएम कहा जाता है। 10 बकरी होने पर 50,000 रुपये उसके पास होते हैं।”

श्रेष्ठ प्राथमिक सहकारी समिति (महिला)

यह अवार्ड असम के माजुली क्षेत्र की रेंगम वीमेन इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसायटी को मिला। इसकी चेयरपर्सन करुणा कुटुम और सेक्रेटरी दीपा रानी पयुन हैं। असम के सुदूर क्षेत्र माजुली में गरीब महिलाओं को लेकर 2011 में इस सोसायटी की शुरुआत हुई। दीपा रानी पयुन बताती हैं, “शुरुआत में केवल 24 महिलाएं साथ में जुड़ीं, जो अब बढ़कर 161 तक पहुंच गई हैं।”

श्रेष्ठ जिला सहकारी समिति

यह अवार्ड कर्नाटक के दावणगेरे जिले की तुमकोस सोसायटी के हिस्से आया। इसके चेयरमैन शिवकुमार और एमडी मधु एनपी हैं। यह संस्‍था सुपारी के बिजनेस में किसानों को लोन देती है। इसके 11,000 सदस्य हैं और सालाना कारोबार लगभग 600 करोड़ रुपये का है। शिवकुमार बताते हैं, “हम किसानों को खेती के सभी जरूरी सामान भी मुहैया कराते हैं। जैसे- मोटर, पाइप, फर्टिलाइजर। दस साल पहले हमारा कारोबार 20 करोड़ रुपये का था। पहले कुछ दिक्कतें हुईं, लेकिन बाद में चीजें ठीक होती गईं।”

श्रेष्ठ जिला सहकारी समिति (महिला)

यह सम्मान गुजरात की श्री मोरबी डिस्ट्रिक्ट वीमेन कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर यूनियन लिमिटेड (मयूर डेयरी) के नाम रहा। इसकी चेयरपर्सन हंसाबेन मगनभाई वडाविया और एमडी प्राणजीवन कुंदरिया हैं। यह भारत की पहली महिला मिल्क कोऑपरेटिव यूनियन है। इसकी शुरुआत 11 मई 2016 को हुई। इसका प्रोडक्शन 34,500 लीटर प्रतिदिन है। सोसायटी पहले साल से ही मुनाफे में आ चुकी है।  प्राणजीवन कुंदरिया कहते हैं, “हमने पहले साल करीब 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया, जिसमें ढाई करोड़ का मुनाफा हुआ। दूसरे साल टर्नओवर बढ़कर 130 करोड़ हो गया, जिसमें 7.30 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। 6,200 महिला सदस्य हैं और मोरबी जिले में 60 फीसदी लोगों तक हमारी पहुंच है।”

श्रेष्ठ राज्य सहकारी समिति

बिहार स्टेट मिल्क कोऑपरेटिव फेडरेशन को यह सम्मान मिला। इसकी चेयरपर्सन एन. विजयलक्ष्मी और एमडी शिखा श्रीवास्तव हैं। यह सोसायटी सुधा डेयरी के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसके तहत 22,455 समितियां हैं। इसकी स्थापना 1983 में हुई थी और आज इसका टर्नओवर 3000 करोड़ से ज्यादा है। एन. विजयलक्ष्मी ने बताया कि यह सोसायटी प्रोफेसर कुरियन के हाथों ऑपरेशन फ्लड के दौरान शुरू हुई थी। इससे 11.63 लाख सदस्य जुड़े हैं और 2017-18 में हमें करीब 50 करोड़ का मुनाफा हुआ।

श्रेष्ठ राज्य सहकारी समिति (महिला)

यह अवार्ड झारखंड वीमेन सेल्फ सपोर्टिंग पोल्ट्री कोऑपरेटिव फेडरेशन के खाते में गया। इसकी अध्यक्ष अंजना सरदार और उपाध्यक्ष भगवती देवी हैं। इस सहकारी संघ की स्थापना 31 मार्च, 2005 को हुई। इसमें आज 10 प्राथमिक पोल्ट्री सहकारी समितियां हैं। समिति महिलाओं को मुर्गीपालन के लिए पूंजी, चूजा, दाना, दवाई, वेटनरी सेवा और बाजार प्रबंधन की सुविधाएं मुहैया कराती है। 2017-18 में इसने लगभग 150 करोड़ का कारोबार किया गया। भगवती देवी बताती हैं, “इसकी शुरुआत सिर्फ नौ महिलाओं के साथ हुई। आज पूरे फेडरेशन में 1,000 महिलाएं हैं। महीने में समिति की महिलाएं 10,000 रुपये तक की कमाई कर लेती हैं।”

श्रेष्ठ सहकारी समिति (राष्ट्रीय)

नेशनल फेडरेशन ऑफ फिशर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड (फिशकोफेड) को यह पुरस्कार मिला। इसके एमडी बीके मिश्रा और चेयरमैन टी. प्रसाद हैं। यह सोसायटी मछली पालन को प्रोत्साहित करती है। इस सोसायटी के 32 लाख सदस्य हैं। इसकी स्थापना 1980 में हुई। बीके मिश्रा बताते हैं, “प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत इसने 26 लाख 65 हजार मछली पालकों को बीमा कवर कराया।”

सहकारिता को प्रोत्साहित करने के
लिए राष्ट्रीय संस्थान का पुरस्कार 

यह अवार्ड राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के नाम रहा। एनसीडीसी किसानों की सहकारी संस्थाओं को फाइनेंस उपलब्ध कराने से लेकर ट्रेनिंग देने का काम करती है, जिसका फायदा आज देश भर के किसान उठा रहे हैं। एनसीडीसी ग्रामीण औद्योगिक सहकारी क्षेत्रों और जल संरक्षण, सिंचाई तथा लघु सिंचाई, कृषि-बीमा, कृषि-ऋण जैसी ग्रामीण क्षेत्रों की कुछेक अधिसूचित सेवाओं के लिए परियोजनाओं को फंड मुहैया कराता है। एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक ने बताया कि वे फाइनेंसिंग के अलावा कोऑपरेटिव को बिजनेस मॉडल विकसित करने में भी सहायता करते हैं। उन्होंने बताया कि इन तमाम परियोजनाओं को वित्तीय मदद पहुंचाने के बावजूद उनका एनपीए शून्य है और यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि है।

श्रेष्ठ एफपीओ

बिहार के नालंदा जिले की एफपीओ ईएसकेपीसीएल के खाते में यह सम्मान गया। इससे करीब 1,700 किसान जुड़े हुए हैं। 2013 में इसकी शुरुआत हुई और यह मिट्टी की जांच, डेटा प्रोवाइड करने का काम करती है। ईएसकेपीसीएल के चेयरपर्सन कौशलेंद्र बताते हैं, “एफपीओ एग्री बिजनेस सेंटर मॉडल पर काम करती है और यह फ्रेंचाइजी के रूप में पंचायत लेवल पर आंत्रप्रेन्योर बनाने का काम भी कर रही है।”

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