उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पिछले साढ़े चार साल का कार्यकाल काफी घटनाओं और चर्चाओं से भरा रहा है। उन्हें न केवल अपने विकास कार्यक्रमों के लिए सराहा गया, बल्कि कई विवादास्पद फैसलों के लिए आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी हैं। अगले विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बाकी हैं, उनकी सरकार कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर की बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। रुबेन बनर्जी और गिरिधर झा के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे उनकी सरकार महामारी से निपटी और पूरा भरोसा जताया कि 2022 में भाजपा सत्ता में लौटेगी। प्रमुख अंश:
कोविड-19 की दूसरी लहर ने तबाही बरपा कर दिया है, क्या आपकी सरकार इसके लिए तैयार थी?
हमने स्थिति से निपटने के लिए आंशिक कर्फ्यू और आक्रामक टीकाकरण की रणनीति के साथ 3टी (टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट) के मॉडल को सफलतापूर्वक लागू किया है। इसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। 23 अप्रैल को राज्य में 310,700 संक्रमण के मामले थे और वह उसका चरम था। उस समय से आज राज्य में संक्रमण के मामलों में 70 फीसदी की कमी आई है। रिकवरी रेट 94.3 फीसदी हो गई है, जबकि पॉजिटिविटी रेट घटकर 1.6 फीसदी रह गई है।
इस दौरान हमने 4.70 करोड़ से अधिक टेस्ट किए हैं, जो किसी भी राज्य के मुकाबले अधिक है। हमारी 3टी नीति ने उन विशेषज्ञों की आशंकाओं को खारिज कर दिया, जो कह रहे थे कि उत्तर प्रदेश में एक दिन में संक्रमण के एक लाख से ज्यादा मामले दर्ज हो सकते हैं। हमारे समग्र दृष्टिकोण और संयुक्त प्रयासों से संक्रमण के मामलों में कमी आई।
यह सही है कि दूसरी लहर प्रचंड और भीषण रही है। उसकी प्रचंडता कुछ समय के लिए सिस्टम पर भारी पड़ी। म्यूटेंट वायरस की भयानकता का अंदाजा किसी को नहीं था। मुझे नहीं लगता कि हममें से कई भी संक्रमण की ऐसी भीषण रफ्तार के लिए तैयार था। फिर भी, हमने कभी हालात को बेकाबू होने नहीं दिया। पहली लहर के बाद से मैं हर रोज स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठकें कर रहा हूं। हम आवश्यक सावधानियां बरतने, बुनियादी ढांचे के निर्माण और लोगों में जागरूकता बढ़ाने पर लगातार काम कर रहे हैं। वायरस के अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव और प्रकोप से ऑक्सीजन की मांग में तेजी आ गई थी। ऑक्सीजन की मांग इतनी बढ़ेगी, इसका अंदाजा नहीं था। इन सब विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दूसरी लहर से निपटने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा मौजूद था।
आपकी सरकार के लिए दूसरी लहर कितनी अलग रही है?
जब पहली लहर आई, तो हमारे पास कोविड-19 टेस्ट के लिए एक भी प्रयोगशाला नहीं थी। हमें पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में सैंपल भेजने पड़ते थे। अब हमारे पास रोजाना 1.75 लाख आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की क्षमता है। हम पिछले साल से कोविड मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। जब 2020 में आगरा में शुरुआती मामले दर्ज किए गए, तो हमें मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेजना पड़ता था क्योंकि हमारे पास इलाज की सुविधा नहीं थी। आज हमारे पास 80,000 ऑक्सीजन युक्त आइसीयू बेड हैं। हम स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। निरंतर निगरानी के साथ, हम कोविड संक्रमण की शृंखला तोड़ने और दूसरी लहर के प्रकोप को कम करने में कामयाब रहे हैं। इसके अलावा, हमने टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए वैश्विक निविदा भी जारी की।
पहली लहर के विपरीत, इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमण खतरनाक रूपसे फैला है।आप इस चुनौती से कैसे निपट रहे हैं?
हमने ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ा दी है। विभिन्न अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में 490 से अधिक ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। हम ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक केंद्र को 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर प्रदान कर रहे हैं। पहली लहर के दौरान जब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य में पहुंचे, तो हमने ऐसा तंत्र स्थापित किया, जिसमें प्रवासियों को आइसोलेशन सेंटर में क्वारंटीन करने की आवश्यकता थी, जो हर गांव में बनाए गए थे। हमने ग्रामीणों से अपने प्रवासी रिश्तेदारों का पंजीकरण कराने और उन्हें 15 दिनों के लिए क्वारंटीन करने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि इस साल आने वाले प्रवासियों की संख्या कम रही लेकिन हमने उनकी जांच के लिए आइसोलेशन और क्वारंटीन सेंटर बनाए।
हमारी निचले स्तर तक की योजना, घरों के दौरे, लगातार निगरानी और लोगों से बार-बार संपर्क करने की योजना की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सराहना की है। हमारी निगरानी टीमें मेडिकल किट बांट रही हैं, सभी गांवों में लोगों में लक्षणों की जांच कर रही हैं। ऐसे ही कदम हमने पिछले साल भी उठाए थे। हमने कभी भी चीजों को हल्के में नहीं लिया क्योंकि ये टीमें पहली लहर के बाद से अपना काम जारी रखे हुए हैं। एक साल में हम राज्य के 24 करोड़ लोगों में से 17 करोड़ लोगों तक पहुंचे हैं। हालांकि कई विशेषज्ञों की राय थी कि ग्रामीण इलाकों में कोविड जंगल की आग की तरह फैल जाएगा, हमने उन्हें गलत साबित कर दिया। अप्रैल के पहले सप्ताह से 20 मई तक लगभग 1.2 करोड़ टेस्ट किए गए, जिनमें से 65 फीसदी ग्रामीण इलाकों में किए गए। कम से कम 68 फीसदी गांव अब कोविड के लक्षणों से मुक्त हैं।
लेकिन उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की कमी से अनेक लोगों की मौत की खबरें आईं...
मैं आपको बता दूं कि उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। हालांकि कुछ अस्पतालों से ऑक्सीजन की कमी को लेकर चेतावनी जरूर मिली थी, लेकिन जब उनमें से कई की जांच की गई तो पर्याप्त ऑक्सीजन पाया गया। समस्या का सामना करने के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत बढ़ा दी गई थी। संभव है कि कुछ स्थानों पर स्टॉक खत्म होने के बाद उसे अंतिम समय पर व्यवस्थित किया गया हो, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई थी।
वास्तव में हम ऐसा तंत्र कायम करने वाले पहले राज्य हैं जिसमें ऑक्सीजन आपूर्ति का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया गया। हमारे पास इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं थे लेकिन हमने झारखंड से ऑक्सीजन प्राप्त करने की व्यवस्था की। हमें केंद्र सरकार से पर्याप्त सहायता मिली। वायु सेना ने ऑक्सीजन संयंत्रों तक टैंकर भेजने के लिए अपने विमान दिए। इन टैंकरों को रेलवे ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेनों के जरिए हम तक पहुंचाया। राज्य में दूसरी लहर के पहले ऑक्सीजन की अधिकतम 350 मीट्रिक टन मांग हुआ करती थी, लेकिन हमने एक दिन में 1,100 मीट्रिक टन की व्यवस्था की, जो टैंकरों की जीपीएस ट्रैकिंग के कारण संभव हो सका।
साथ ही, हम ‘ऑक्सीजन ऑडिट’ लागू करने वाले पहले राज्य हैं, जिसे कई राज्यों ने अपनाया है। हमने ऑडिट में पाया कि पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के बावजूद, कुछ अस्पताल कमी की शिकायत कर रहे थे। इसलिए उसके इस्तेमाल पर नजर रखना जरूरी था। यही नहीं, ऑडिट के बाद कई संस्थानों में ऑक्सीजन की खपत में 20 प्रतिशत की कमी आई। इससे हमें ऑक्सीजन की आपूर्ति के प्रबंधन में मदद मिली। अभी तक, हमारे पास राज्य में अतिरिक्त ऑक्सीजन है। अब हम केंद्र सरकार और उद्योगों की मदद से अस्पतालों में करीब 450 ऑक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं। सभी जिला अस्पतालों में अब अलग से ऑक्सीजन प्लांट लगेंगे। जहां तक दवाओं की बात है, सरकार ने गंभीर रूप से बीमार मरीजों को रेमडेसिविर के इंजेक्शन नि:शुल्क मुहैया कराए। आवश्यक दवाओं की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए कोविड-19 दवाओं की कालाबाजारी में शामिल लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) भी लगाया गया।
उत्तर प्रदेश में संदिग्ध कोविड पीडि़तों के शवों को नदियों में प्रवाहित करने या नदी के किनारे दफनाए जाने की खबरेंआईं? यह कैसे हुआऔर इसे रोकने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं?
राज्य में नदी के किनारे दफनाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। कुछ ग्रामीण एक निश्चित समय के दौरान हिंदू परंपरा के अनुसार अपने मृतकों का दाह संस्कार नहीं करते हैं और शवों को नदियों में प्रवाहित कर देते हैं या उन्हें नदी के किनारे दफना देते हैं। बेशक, यह तरीका हानिकारक है। हमने नदियों और जल निकायों के किनारे राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और प्रांतीय सशस्त्र बल को तैनात किया है। पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को भी सतर्क किया है कि कोई भी लाश नदी में न फेंकें। इसके साथ ही लोगों के बीच सरकार जागरूकता पैदा करने का भी काम कर रही है।
इसके अलावा नगर निगम अपने अधिकार क्षेत्र के सभी श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार का खर्च वहन करेंगे। इस तरह के अंतिम संस्कार के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। अंतिम संस्कार में होने वाले खर्च का वहन शहरी निकायों द्वारा अपने संसाधनों से या राज्य वित्त आयोग से वहन किया जाएगा। प्रत्येक अंतिम संस्कार पर अधिकतम 5,000 रुपये तक खर्च किए जाएंगे।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को डर है कि कोविड-19की तीसरी लहर भी आएगी क्या इससे निपटने के लिए सरकार की तैयारी अब बेहतर है?
हम अप्रत्याशित स्थिति के लिए तैयारी कर रहे हैं। पहली, दूसरी और अब तीसरी लहर से निपटने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं। सभी मेडिकल कॉलेजों में बच्चों के लिए 100 बिस्तरों वाले आइसीयू (पीआइसीयू) वार्ड तैयार किए जा रहे हैं। अगले 15 दिनों में सभी 75 जिलों में कम से कम एक पीआइसीयू स्थापित किया जाएगा। लखनऊ में लोकबंधु अस्पताल मातृ एवं शिशु कोविड देखभाल केंद्र के रूप में कार्य करेगा। सभी सुविधाओं के साथ हर जिला अस्पताल में बच्चों के लिए तैयार किए गए बिस्तर ‘रक्षा कवच’ के रूप में काम करेंगे। दूसरी लहर के प्रकोप की रोकथाम और बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए बॉम्बे हाइकोर्ट ने भी हमारे मॉडल की प्रशंसा की है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने बाल चिकित्सा आइसीयू बेड की संख्या बढ़ाने के लिए हमारी सरकार की तैयारी का संज्ञान लिया। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को यूपी मॉडल को लागू करने की सलाह भी दी।
हमने बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों में 50 से 100 बिस्तर और सभी जिला अस्पतालों में 20-30 बिस्तर के पीआइसीयू स्थापित करने का निर्णय लिया है। एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए पीआइसीयू, एक महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए एनआइसीयू (नवजात गहन देखभाल इकाई) और महिला अस्पतालों में पैदा हुए बच्चों के लिए एसएनसीयू की स्थापना की है। जरूरत पड़ने पर गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को इन बिस्तरों पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके पहले पूर्वांचल के बच्चों में इंसेफेलाइटिस की समस्या से भी हम सफलतापूर्वक निपट चुके हैं और राज्य में जापानी इंसेफेलाइटिस के मामलों में 95 फीसदी तक कमी आई है।
मुख्यमंत्री के रूप में आप अपने अब तक के कार्यकाल को कैसे देखते हैंक्या आप कुछ ऐसा करना चाहते हैं जो आप अब तक नहीं कर पाए?
2017 में चुनाव से पहले हमारी पार्टी ने बहुत विचार-विमर्श के बाद लोक कल्याण संकल्प पत्र तैयार किया था। हमने इसे सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर पूरी ताकत से लागू किया। मैं पहला मुख्यमंत्री हूं जिसने सरकार बनने के एक साल के भीतर सभी 75 जिलों का दौरा किया। हमने प्रत्येक जिले के विकास के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। मेरी यात्राओं ने मुझे स्थानीय मुद्दों को समझने का अवसर दिया। इससे हमें अपने लक्ष्य के अनुसार योजना बनाने और राज्य भर में जमीन पर अच्छे परिणाम प्राप्त करने में मदद मिली।
2017 में जब आपने प्रदेश की कमान संभाली तो आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
उत्तर प्रदेश की छवि! जब राज्य में हमारी सरकार बनी थी, तो देश-विदेश में उत्तर प्रदेश को लेकर लोगों की जो धारणा थी उसे बदलने की सख्त जरूरत थी। हमने अनेक प्रयास किए और मुझे खुशी है कि हम इसे बदलने में सफल रहे। पिछले चार वर्षों में हमने एक बीमारू (पिछड़ा) राज्य को सक्षम और दुर्जेय राज्य में बदल दिया है। मुझे याद है कि जब मैं मुख्यमंत्री बना तो हर वित्तीय संस्थान और बैंक हमसे दूरी बनाए हुए थे। कोई भी यूपी को पैसा नहीं देना चाहता था और कोई हमारे साथ किसी प्रोजेक्ट के लिए सहयोग नहीं करना चाहता था। जब हमें किसानों का कर्ज माफ करना था, तो हमने बांड जारी करने के लिए बैंकों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हमारे फोन का जवाब तक नहीं दिया गया। लेकिन आज हमारे प्रयासों का ही नतीजा है कि अब परिदृश्य बदल चुका है। आज हम अगर कोई प्रोजेक्ट हाथ में लेते हैं तो सभी बैंक और वित्तीय संस्थान सहयोग करने के लिए लाइन में लग जाते हैं। यह हमारी बड़ी उपलब्धि है। हमने हर क्षेत्र में ऐसा काम किया है।
यूपी में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं।पिछली बार के विपरीत, इस बार विपक्ष शायदअलग-अलग लड़े।क्या आपका रास्ताआसान हो गयाहै?
राजनीति में इस तरह की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। लोकसभा चुनाव में दलों ने एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ा था। यूपी की जनता इन राजनीतिक दलों की हकीकत से वाकिफ है। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने हमारी डबल इंजन वाली सरकार के जरिए यूपी का विकास आश्वस्त करने की बात कही थी। हमने जिस तरह के विकास कार्य किए हैं, उससे हमने लोगों के दिलों में जगह बनाई है। लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री अपने वादों पर खरे उतरे हैं और हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है। जनता जानती है कि विपक्ष नकारात्मकता से भरा है और उसने अपने कार्यकाल में कुछ नहीं किया, न ही वे भविष्य में कुछ करेंगे। वे सब अगले विधानसभा चुनाव में फिर हारेंगे।
क्या यूपी की राजनीति में प्रियंका गांधी वाड्रा की सक्रिय मौजूदगी से विपक्ष, खासकर कांग्रेस की संभावनाओं पर कोई फर्क पड़ेगा?
कोई कांग्रेसी भी देख सकता है कि राज्य में उनकी स्थिति क्या है। 2014, 2017 और 2019 के चुनावों के साथ-साथ उपचुनावों के नतीजों ने दिखाया है कि कांग्रेस आज कहां खड़ी है। कहा जाता है कि किसान आंदोलन से कांग्रेस को फायदा होगा, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
आपके विरोधी अक्सर आरोप लगाते हैं कि आपके कार्यकाल में यूपी में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है?
राज्य में बढ़ते निवेश और लोगों की धारणा में बदलाव इस बात का बड़ा प्रमाण है कि राज्य में कानून का शासन है। यह दिखाता है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी या बहुजन समाजवादी पार्टी के पिछले शासन के दौरान यूपी में किस तरह की कानून-व्यवस्था थी और आज क्या है।
आप यूपी के बाहर भी अपनी पार्टी के लोकप्रिय और बहुप्रतीक्षित स्टार प्रचारक हैं...
यह लोकप्रियता मेरी नहीं, पार्टी की है। इसके पीछे प्रधानमंत्री का विजन, उनके विकास और सुशासन मॉडल का क्रियान्वयन और स्वीकार्यता है। आज प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में यूपी सही दिशा में आगे बढ़ा है।
आपके कुछ निर्णयों पर विवाद भी हुए हैं।इस पर आप क्या कहेंगे?
मैं हमेशा राज्य के हित में हर कदम उठाता हूं। इस राज्य के 24 करोड़ लोगों के प्रति मेरी प्रतिबद्धता है और उनकी सुरक्षा और समृद्धि मजबूत करने के लिए अथक प्रयास करना मेरी जिम्मेदारी है।
आप सख्त प्रशासक के रूप में भी जाने जाते हैं, लेकिनआरोप लगते रहे हैं कि आपकेअधीन यूपी पुलिस निरंकुश हो गई है?
यूपी पुलिस न तो हतोत्साहित है और न ही निरंकुश। वह कानून के दायरे में काम कर रही हैं। ये आरोप उन लोगों ने लगाए हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक हितों के लिए अपने समय में पुलिस का दुरुपयोग किया। पिछले चार वर्षों में प्रशासन ने बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के अपना काम किया है, और परिणाम हर क्षेत्र में दिखाई दे रहे हैं।
आपके आलोचक कहते हैं कि आपके कार्यकाल में यूपी के अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना है...
पिछले चार साल में राज्य में एक भी दंगा नहीं हुआ है। यह न केवल राज्य के हित में है बल्कि उन सभी लोगों के लिए भी है जिन्हें दंगों का खमियाजा भुगतना पड़ता है। अब हर त्योहार बिना किसी व्यवधान या अराजकता के शांति से मनाए जाते हैं। मुझे लगता है कि हर समुदाय संतुष्ट है और सुरक्षित महसूस करता है। हमने सभी के लिए सुरक्षा का वादा किया है, और किसी को भी कानून तोड़ने की अनुमति नहीं है। सभी को कानून के दायरे में रहना है। सरकार का काम हर किसी की बात सुनना और व्यापक जनहित में कदम उठाना है। लेकिन अगर कोई सुनना नहीं चाहता है, संवाद करने से इनकार करता है और कानून का उल्लंघन करता है, तो सरकार को कार्रवाई करनी होगी। लोगों को विरोध करने का अधिकार है। किसी को भी विरोध प्रदर्शन करने से कोई नहीं रोक रहा है, लेकिन किसी को भी आगजनी या तोड़फोड़ या मारपीट करने का अधिकार नहीं है।
आपके विरोधी आप पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने काआरोप लगाते हैं।
हम ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं करते। ये उनके बयान हैं जो ध्रुवीकरण करते हैं।
लेकिन आपके कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ फैसले विवादास्पद निकले ... जैसे एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन, लव जेहाद कानून या कथित माफिया की संपत्ति को जब्त या ध्वस्त करने काअभियान।
जनता को ऐसे काम की उम्मीद है। पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से मुआवजा मांगना कोई गलत बात नहीं है। अगर किसी ने सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जा करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया है, तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उस पर कार्रवाई करे। किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक संपत्ति हड़पने और अराजकता का माहौल बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आपके शासनकाल में शुरू हुआ है।आप इसके बारे में कैसा महसूस करते हैं?
यह हमारे लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री के प्रयासों से ही अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है। मैं आभारी हूं कि प्रधानमंत्री खुद अयोध्या आए और मंदिर की नींव रखी। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर पूरा देश और यहां के लोग उत्साहित हैं।
अगर आप अगले साल सत्ता में लौटते हैं, तो यूपी के लिए आपका रोडमैप क्या होगा?
हमारे पास पहले से न केवल 5 साल के लिए, बल्कि 10 और 15 साल के लिए रोडमैप है, और वे सभी एक साथ चल रहे हैं। यह तय है कि भाजपा यूपी में अपने काम के दम पर सत्ता में वापस आती रहेगी। यहां सिर्फ भाजपा को रहना है।