राज्य गठन के बीस साल बाद भाजपा ने दोबारा चुनाव जीतकर ही मिथक नहीं तोड़ा, बल्कि अपना चुनाव हारे युवा पुष्कर सिंह धामी को ही फिर से सत्ता की कमान सौंपकर नई परंपरा कायम भी की। अब मुख्यमंत्री धामी समान नागरिक संहिता उत्तराखंड की जरूरत बताते हैं जबकि राज्य में अल्पसंख्यक आबादी बेहद थोड़ी है। क्या है उनकी दलील और क्या हैं नए सियासी सूत्र? ऐसे तमाम सवालों के साथ उनकी राजनैतिक-आर्थिक चुनौतियों पर उनसे आउटलुक के लिए अतुल बरतरिया ने बातचीत की। संपादित अंश:
उत्तराखंड के सियासी इतिहास का मिथक तोड़ते हुए भाजपा ने दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत लेकर सरकार बनाई है। इसे आप कैसे देखते हैं और इस जीत का श्रेय किसको देना चाहेंगे?
मैं इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास केंद्रित नीतियों, हमारे समर्पित कार्यकर्ताओं और उत्तराखंड की विवेकशील जनता को देना चाहूंगा। जनता के मुख्य सेवक के रूप में मैं तो केवल एक माध्यम था। प्रधानमंत्री जी की दिखाई राह पर चलते हुए हमने राज्य में सर्वस्पर्शी विकास को गति देने का काम किया और यही कारण है कि जनता ने हमें फिर से एक बार सेवा का अवसर दिया।
खटीमा सीट से खुद की हार पर क्या कहना चाहेंगे? क्या भाजपा के लोगों ने ही 2012 में बीसी खंडूड़ी की तरह आपको हरवाने का काम किया?
मैं ऐसा नहीं मानता। भारतीय जनता पार्टी एक परिवार की तरह है। हमारे एक-एक कार्यकर्ता ने पूरे समर्पण के साथ इस चुनाव में तय की गई जिम्मेदारियों को निभाया है। मैं खटीमा की देवतुल्य जनता द्वारा दिए गए जनादेश को स्वीकार करता हूं। खटीमा मेरा घर है और मैं खटीमा का बेटा। आने वाले दिनों में खटीमा से मेरा रिश्ता और भी अधिक मजबूत होगा।
चुनाव हारने के बाद भी भाजपा आलाकमान ने आप ही पर भरोसा जताया है। क्या माना जाए कि आलाकमान ने आपके आठ महीने के काम और चुनाव में आपकी मेहनत पर अपनी मुहर लगाई है?
भरोसा तो जनता ने जताया है। जैसा मैंने पहले कहा कि मैं तो केवल एक माध्यम हूं। उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में यह मेरा परम कर्तव्य है कि मैं पल-प्रतिपल राज्य के विकास का कार्य करूं।
अब आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी? आपकी सरकार पंचवर्षीय योजना पर काम करेगी या फिर प्राथमिकताओं पर समयबद्ध तरीके काम होगा?
विकास के मामले उत्तराखंड आज तक वह स्थान हासिल नहीं पाया जो इसे हासिल कर लेना चाहिए था। प्रदेश में न तो संभावनाओं की कमी है और न ही क्षमता की। हमारा प्रयास केवल इतना है कि हम इन संभावनाओं और क्षमताओं को वह आकार दे सकें, जिसके आधार प्रदेश की प्रगति हो। हम चाहते हैं कि वर्ष 2025 में जब प्रदेश अपनी स्थापना की रजत जयंती रहा हो, तब तक हम उत्तराखंड को हर मानक पर सर्वश्रेष्ठ बना दें।
उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी पर नियंत्रण न होने की बात लगभग हर सरकार के समय में सुनी जाती रही है। आपके सहयोगी मंत्रियों ने तो अभी से ही सचिवों की एसीआर लिखने का अधिकार देने की मांग शुरू कर दी है। इस पर आपका क्या कहना है?
बीती सरकारों का तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन मैंने जब से मुख्य सेवक का दायित्व संभाला है तब से सरकार और अधिकारियों के बीच समन्वय निरंतर बेहतर होता जा रहा है। प्रदेश में अनेक ऐसे कर्मठ अधिकारी हैं जो जनसेवा को सर्वोच्च वरीयता देते हुए कार्य कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों का उत्साह बढ़ाना सरकार की ही जिम्मेदारी है।
सरकारी खजाने की हालत खराब बताई जा रही है। अधिकांश पैसा नॉन प्लान पर ही खर्च हो रहा है, हर सरकार कर्ज लेकर ही काम करती रही है। खजाने की आय बढ़ाने और नॉन प्लान का खर्च कम करने के लिए सरकार क्या कदम उठाने जा रही है?
प्रधानमंत्री से प्रेरणा पाकर हम प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। सरकारी खजाने को और अधिक मजबूत बनाने के लिए हम विभिन्न विकल्पों पर विमर्श कर रहे हैं और हम जल्द ही इस विषय पर राज्य हितकारी रूपरेखा लेकर आपके सामने प्रस्तुत होंगे।
गैरसैंण में स्थायी राजधानी राज्य गठन के बाद से ही अहम मुद्दा रहा है। त्रिवेंद्र सरकार ने इसे तीसरा मंडल बनाने के साथ ही ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया, लेकिन इस पर कोई काम आगे नहीं हुआ। आपकी सरकार का इस पर क्या नजरिया है?
गैरसैंण एक स्थान नहीं, बल्कि हम सभी की भावनाओं का केंद्र है। हम इसके सर्वांगीण विकास के लिए पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध हैं। यहां विकास परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है और इनमें से कई जल्द ही पूर्ण भी होने वाली हैं। मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि गैरसैंण को लोगों की आशाओं के अनुरूप ही विकसित किया जा रहा है।
उत्तराखंड में भू-कानून भी एक मुद्दा बन गया है। पिछली सरकार के समय में आपने एक आयोग का गठन किया था। अब इस पर सरकार आगे कैसे और क्या-क्या काम करने वाली है?
इस विषय पर हम बेहद संजीदा हैं और किसी भी स्तर पर प्रदेशवासियों के हितों के साथ समझौता नहीं होने देंगे। भू-कानून को लेकर बनी समिति अपना कार्य कर रही है और जनता से मिल रहे सुझावों के आधार पर ही हम नए भू-कानून का खाका तैयार करेंगे।
राज्य में पलायन एक बड़ी समस्या है। पर्वतीय जनपदों से मैदानी जनपदों की ओर पलायन होता रहा है। रोजगार की तलाश में युवा पहाड़ छोड़ रहे हैं। इस दिशा में सरकार क्या ठोस कदम उठाने जा रही है?
मैं इससे इनकार नहीं कर रहा कि पहाड़ से पलायन एक चिंता विषय है। लेकिन आपको बता दूं कि अब हालात बदल रहे हैं। राज्य में अभिनव प्रयोग हो रहे हैं। पशुपालन, पर्यटन, साहसिक खेलों और कई दूसरे माध्यमों से पहाड़ का युवा अब न केवल स्वयं आजीविका अर्जित कर रहा बल्कि युवाओं को रोजगार भी प्रदान कर रहा। हम जहां एक तरफ सरकारी सेवाओं में रिक्त स्थान भरकर युवाओं को अवसर प्रदान कर रहें हैं, वहीं स्व-रोजगार को भी बढ़ावे देने के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस समस्या का समाधान अब दूर नहीं है।
2026 में विधानसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन होना है। माना जा है कि नए परिसीमन में पर्वतीय जिलों में सीटें और कम हो जाएंगी और मैदानी इलाके का वर्चस्व हो जाएगा। इस बारे सरकार की क्या सोच है?
जनता ने हमें उत्तराखंड विकास का दायित्व दिया है। चाहे पर्वतीय क्षेत्र हो या मैदानी। लक्ष्य केवल यह कि प्रदेश के प्रत्येक भाग में रहने लोगों के जीवन स्तर को हम ऊंचा उठाएं। हम विकास को राजनीतिक नजर से नहीं देखते और न ही सीटों के दायरे में इसको रखते हैं। हमारा उद्देश्य उत्कृष्ट उत्तराखंड बनाना और हम इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं।
आपने पहली ही कैबिनेट में समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव पारित किया है और एक कमेटी बना दी है। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। इसके पीछ क्या सोच है और कैसे लागू की जाएगी?
इस विषय पर बनी कमेटी विधि विशेषज्ञों से राय लेकर समान नागरिक संहिता का खाका तैयार करेगी, उसी के आधार पर आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। कॉमन सिविल कोड उत्तराखंड की जरूरत है। चारधाम इसी राज्य में हैं और इस राज्य की सीमाएं दो देशों चीन और नेपाल से मिलती हैं। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
अगले साल 2023 में राज्य में निकायों के चुनाव होने हैं। फिर 2024 में लोकसभा का चुनाव भी होना है। चुनाव के लिए आपके पास समय बहुत कम है। ऐसे में सरकार क्या अभी से ही चुनावी मोड में आ जाएगी?
चुनाव राजनीतिक पार्टियां लड़ती हैं और आप जानते ही हैं कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा चुनावी मोड में ही रहती है। सरकार का कार्य जनता के हित में कार्य कर उसके विश्वास को हासिल करना है और हमारी सरकार दिन-रात जनसेवा के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस प्रकार से विधानसभा चुनाव में हमें जनता का आशीर्वाद मिला है भविष्य में भी ये बरकरार रहेगा।
आपने नारा दिया है - विकल्प रहित संकल्प। इसका आशय क्या है?
इसका आशय है कि जब आप कोई संकल्प लेते हैं तो उसकी सिद्धि के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं होना चाहिए। मतलब संकल्प को पूर्ण करना ही आपका एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए और इसी सोच को अपनाते हुए हमने यह नारा दिया है। मेरी सरकार ने उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ बनाने का संकल्प लिया है और हम इसे निश्चित ही हासिल करेंगे।