एक जमाना था जब खिलाड़ी सिर्फ मैदान में दिखते थे। आज उनकी ज़िंदगी खुद एक फिल्म है। संघर्ष से शिखर तक का सफर, चोटों से जूझना, रिश्तों की उथल-पुथल, और देश के लिए खेलने का जुनून। अब लोग सिर्फ उनका खेल नहीं, उनके पीछे की कहानी भी जानना चाहते हैं। जब ये कहानियां बड़े परदे पर उतरती हैं, तो खेल सिर्फ खेल नहीं रहता, वह एक प्रेरणा बन जाता है। भारत में सिनेमा और खेल दोनों जुनून हैं, दोनों भावना हैं। जब किसी खिलाड़ी की कहानी फिल्मों में बदलती है, तो वह सिर्फ एक चरित्र नहीं बनता, बल्कि पूरे देश की उम्मीदों, सपनों और संघर्षों का प्रतिनिधि बन जाता है। यही वजह है कि हाल के वर्षों में खिलाड़ियों की बायोपिक्स ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर कमाल किया, बल्कि दिलों में भी जगह बनाई।
भाग मिल्खा भाग (2013)
मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित यह फिल्म उनके बचपन की कठिनाइयों से लेकर अंतरराष्ट्रीय धावक बनने तक के शानदार सफर को सिलसिलेवार ढंग से बखूबी दिखाती है।
सचिन: अ बिलियन ड्रीम्स (2017)
यह डॉक्यू-ड्रामा सचिन तेंडुलकर के क्रिकेट सफर के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी की झलक भी देती है। फिल्म में खुद सचिन की मौजूदगी इसे और खास बनाती है।
83 (2021)
कपिल देव की कप्तानी में भारत की पहली वर्ल्ड कप जीत को दर्शाती इस फिल्म में रणवीर सिंह ने कपिल का किरदार बखूबी निभाया। यह एक ऐतिहासिक जीत का जश्न है।
मैरी कॉम (2014)
प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म मैरी कॉम के संघर्ष और जीत की प्रेरणादायक कहानी है।
एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी (2016)
रांची के एक साधारण लड़के से भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बनने तक की यह कहानी युवाओं के दिलों को छू गई। सुशांत सिंह राजपूत की अदाकारी और धोनी की शांत छवि ने फिल्म को बड़ी सफलता दिलाई।
साइना (2021)
बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की यह बायोपिक उनके अनुशासन और मेहनत को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती है।
शाबाश मिठू (2022)
मिताली राज के जीवन पर बनी यह फिल्म भारतीय महिला क्रिकेट के संघर्ष और उपलब्धियों को उजागर करती है।