हर किसी की वित्तीय योजना का जीवन बीमा अनिवार्य हिस्सा होता है; और इसमें भी कई विकल्प हैं जिनमें किसी को भी चुना जा सकता है। हां, सभी विकल्प एक जैसे नहीं है, हर में कुछ अलग-अलग है। इसलिए, जीवन बीमा के तीन मोटे प्रकार को समझना महत्व का है। ये हैं- टर्म प्लान, पुराने एंडोमेंट प्लान, और यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाएं (यूलिप)। ये एक-दूसरे से अलग हैं।
टर्म प्लान
यह जिंदगी कवर का सबसे शुद्ध रूप है। जिंदगी के जोखिम का बीमा होता है। प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस के चीफ बिजनेस ऑफिसर (सीबीओ) कार्तिक चक्रपाणि कहते हैं: ‘‘टर्म इंश्योरेंस को वित्तीय सुरक्षा का आधार माना जाता है। किसी अनहोनी की स्थिति में यह आपके प्रियजनों के लिए शुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। परिवार में कमाने वाले के असामयिक मृत्यु की स्थिति में इससे ऐसी रकम मुहैया होती है कि परिवार के कामकाज जारी रह सकें, पढ़ाई, दवाई, रिहायश और रोजमर्रा के खर्च चलते रहें।’’
इसलिए, यह जरूरी है कि टर्म प्लान आपकी अनुपस्थिति में इन खर्चों के लिए पर्याप्त हो। फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) राजीव चुघ कहते हैं, ‘‘बेहतर तो यही होगा कि आप अपनी सालाना आमदनी का 10-15 गुना रकम का बीमा करवाएं, ताकि मौजूदा देनदारियां, पढ़ाई वगैरह के आगे के खर्चों और महंगाई का ख्याल रखा जा सके।’’
पुराने प्लान
एंडोमेंट और तयशुदा रिटर्न वाली पुरानी जीवन बीमा योजनाएं जीवन बीमा और तय बचत मुहैया करती हैं। इनमें एकमुश्त या कुछ चरणों में निश्चित परिपक्वता राशि की गारंटी होती है। पॉलिसी बाजार में जीवन बीमा के सीबीओ विवेक जैन कहते हैं, ‘‘ये योजनाएं उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जो पूंजी सुरक्षा चाहते हैं, या जिनके खास लक्ष्य हैं, जैसे बच्चे की पढ़ाई वगैरह के लिए पैसे जुटाना। या जो कुछ कटौती करके भी बचत करना चाहते हैं।’’
इसका प्रमुख आकर्षण कर बचत है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(10डी) के तहत परिपक्वता राशि आय कर-मुक्त है, बशर्ते वार्षिक किस्त 5 लाख रुपये या उससे कम है। यह ज्यादा कर देने के दायरे वाले लोगों के लिए खासकर मुफीद है, जो कर चुकाने के बाद ठीक-ठाक रकम बचा लेना चाहते हैं। टर्म प्लान की तरह ही इसमें भी पुरानी कर व्यवस्था के तहत धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक किस्त भुगतान में कर छूट मिलती है।
चक्रपाणि कहते हैं, “ये योजनाएं व्यावहारिक पूंजी आवंटन के हिसाब से चलती हैं। इसमें किस्त का एक हिस्सा जीवन बीमा कवरेज के लिए होता है, और बाकी का हिस्सा स्थिर, निश्चित आय वाले साधनों में निवेश किया जाता है।”
मसलन, 20 साल की अवधि के लिए 1 लाख रुपये के वार्षिक किस्त वाले 35 वर्षीय व्यक्ति के लिए, योजना हर साल 5 प्रतिशत की गारंटीकृत बीमा राशि प्रदान कर सकती है। हालांकि, यह ध्यान में रखना चाहिए कि गारंटीकृत रिटर्न का मतलब है कि रिटर्न कम है, और महंगाई से कोई लेना-देना न हो। ऐसा इसलिए नहीं होता है कि ये निश्चित आय वाले साधनों में निवेश करते हैं, बल्कि इसलिए कि इनमें लागत ज्यादा आती है। फिर भी, इनमें गारंटीशुदा फायदा और लंबे वक्त की स्थिरता मिलती है, जिसे जोखिम की परवाह न करने वाले कई लोग बेहतर मानते हैं। अगर आप भी इन्हीं योजनाओं के भरोसे अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करना चाहते हैं, तो हो सकता है, शायद यह बढ़िया सोच नहीं हो सकती। लेकिन इनसे आपके कर्ज का कुछ हिस्सा चुकाने में आपको कुछ मदद जरूर मिल सकती है। इसलिए इसमें निवेश से पहले इस बारे में देखें।
यूलिप
यूलिप शेयर बाजार से जुड़ी बीमा योजनाएं हैं, और लॉन्च के शुरुआती दशक में अधिक किस्त और गलत-सलत बिक्री के मामलों से इनके बारे में राय अच्छी नहीं बनी। हालांकि, इधर इन योजनाओं में नाटकीय बदलाव देखने को मिला है। नियम-कायदों में बदलाव से किस्त कम हुई है, पारदर्शिता बढ़ी है और फंड का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। गो डिजिट लाइफ इंश्योरेंस के संचालन प्रमुख मैनाक अधिकारी कहते हैं, ‘‘भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने प्रबंधन शुल्क (प्रतिशत या पूरी राशि के हिसाब से) और फंड मूल्य को क्रमशः 4 प्रतिशत और 8 प्रतिशत पर सीमित कर दिया है, और यह भी कि लाभ चित्रण में उसका उल्लेख किया जाना चाहिए। बीमाकर्ताओं को मासिक आधार पर फंड प्रदर्शन पत्र भी जारी करना होगा।’’
यूलिप आज ज्यादा मुनासिब हो गए हैं, खासकर रिटायरमेंट या संपत्ति जुटाने जैसे लक्ष्यों के लिए। चुघ कहते हैं, ‘‘इक्विटी-लिंक्ड यूलिप म्यूचुअल फंड के बराबर होते जा रहे हैं और जीवन बीमा कवर की अतिरिक्त सुरक्षा भी होती है।’’जैन इस बारे में कहते हैं, ‘‘बहुत से नए जमाने के यूलिप शून्य प्रीमियम आवंटन शुल्क, शून्य प्रबंधन शुल्क और यहां तक कि परिपक्वता पर मृत्यु दर शुल्क की वापसी की पेशकश करते हैं, जिससे कुल लागत कम हो जाती है।’’
एक अतिरिक्त लाभ कर यानी टैक्स का है। 2.5 लाख रुपये तक के वार्षिक किस्त के लिए परिपक्वता आयकर धारा 10(10डी) के तहत पूरी तरह से कर-मुक्त है। इसके विपरीत, म्यूचुअल फंड सालाना 1.25 लाख रुपये से अधिक के रिटर्न पर 12.5 प्रतिशत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लगता है। इससे यूलिप बेहतर निवेश विकल्प बने हैं। हालांकि, यह याद रखना चाहिए कि यूलिप बीमा है और उसे शुद्ध इक्विटी या शेयर निवेश का विकल्प नहीं मान लेना चाहिए। इसके अलावा, कर छूट सिर्फ पुरानी कर व्यवस्था वालों के लिए है।
तो, क्या करें?
टर्म प्लान उन लोगों को लेना चाहिए, जिन पर कोई आश्रित है। आपको अपने कामकाजी वर्षों की शुरुआत में ही टर्म प्लान ले लेना चाहिए। आप युवा होते हैं तो ज्यादा कवर पाने का मतलब है कि पूरी अवधि के लिए कम किस्त। आय में वृद्धि के साथ, आपको अपना कवरेज बढ़ाना चाहिए। यूलिप उन लोगों के लिए अच्छे हैं जो बाजार से जुड़े रिटर्न के ज़रिए अपनी संपत्ति बढ़ाना चाहते हैं। जैन कहते हैं, “युवा लंबी अवधि के इक्विटी कंपाउंडिंग से लाभ उठा सकते हैं। बड़े निवेशक भी अपने लक्ष्य के करीब आने पर डेट फंड में शिफ्ट करके रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए यूलिप का इस्तेमाल कर सकते हैं। फंड और टैक्स-फ्री मैच्योरिटी के बीच स्विच करने की सुविधा यूलिप को स्मार्ट लॉन्ग-टर्म निवेश टूल बनाती है।”
पुराने गारंटीशुदा रिटर्न वाले प्लान औसत निवेशकों के लिए ठीक हैं। वे 20-30 साल तक बचत को लॉक-इन करते हैं, चाहे ब्याज दरों या बाजार कैसा भी ऊंच-नीच आए। लेकिन, इसमें रिटर्न अच्छा मिलने की उम्मीद नहीं होती है, न महंगाई से कोई लेना-देना है, इसलिए ऐसी योजनाओं में अपना पूरी रकम लगाना बुद्धिमानी भरा नहीं हो सकता है। अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर पुरानी बीमा योजना या यूलिप चुनें, लेकिन बाजार में अन्य ऋण और इक्विटी विकल्पों पर भी विचार करें। पर्याप्त कवरेज और इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के साथ टर्म प्लान पैसा जुटाने और दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के सर्वोत्तम तरीकों में एक है।
"ये योजनाएं उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जो पूंजी सुरक्षा चाहते हैं, या जिनके खास लक्ष्य हैं, जैसे बच्चे की पढ़ाई वगैरह के लिए पैसे जुटाना। या जो कुछ कटौती करके भी बचत करना चाहते हैं"
विवेक जैन, सीबीओ, पॉलिसी बाजार
सौजन्य आउटलुक मनी