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10 जून 2024 · JUN 10 , 2024

क्रिकेट: अगला द्रोण कौन

टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
द्रविड के साथ रोहित

अगले महीने टी20 विश्व कप है। हमेशा की तरह भारत को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। एक तरफ क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में वरिष्ठ खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह हैं। वहीं, दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड की विदाई लगभग तय है। बीसीसीआइ ने नया कोच चुने जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विदेशी कोच की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इस पद के लिए गौतम गंभीर, आशीष नेहरा, युवराज सिंह के नाम पर कयास लगाए जा रहे हैं। विदेशी कोच में स्टीफन फ्लेमिंग, माइक हेसन, जस्टिन लेंगर और रिकी पोंटिंग के नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा है।

पिछले 10 साल में भारत के खाते में एक भी आइसीसी ट्रॉफी नहीं आ पाई है। इसलिए जरूरी है कि नए कोच का नाम तय करने से पहले उनके हर पहलू पर गौर किया जाए, क्योंकि आने वाले कोच की छाप अगले तीन साल तक भारतीय क्रिकेट पर दिखाई देगी। राहुल द्रविड़ के कोच रहते भारत टेस्ट, वनडे और टी20आइ रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचा था लेकिन टीम कोई भी आइसीसी ट्रॉफी जीतने में असफल रही थी। उनके कार्यकाल में टीम इंडिया 2022 टी20 विश्व कप में सेमीफाइनल, 2023 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और 2023 वनडे विश्व कप में उपविजेता रही थी। हालांकि, द्रविड़ का कार्यकाल को सिर्फ ट्रॉफी के लिहाज से नहीं देखा जा सकता, क्योंकि उनकी नियुक्ति बहुत ही मुश्किल भरे समय में हुई थी।

युवराज सिंह, आशीष नेहरा, स्टीफन फ्लेमिंग, जस्टिन लेंगर, गौतम गंभीर (बाएं से दाएं)

युवराज सिंह, आशीष नेहरा, स्टीफन फ्लेमिंग, जस्टिन लेंगर, गौतम गंभीर (बाएं से दाएं) 

द्रविड़ ने न केवल खिलाड़ी के तौर पर बल्कि कोच के तौर पर भी भारत के लिए ‘दीवार’ बनने का काम किया था। राहुल द्रविड़ नवंबर 2021 में भारतीय टीम के मुख्य कोच बने थे। यह वही साल था जब टीम इंडिया विराट कोहली की अगुआई में टी20 वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज से बाहर हो गई थी। द्रविड़ उस वक्त कोच बने जब टीम में विराट कोहली को लेकर बहुत हलचल थी। दिसंबर 2021 में विराट को वनडे टीम की कप्तानी से हटाया गया। विराट की कप्तानी गाथा में 16 जनवरी, 2022 को एक अप्रत्याशित मोड़ आया, जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में शृंखला हारने के कुछ घंटों बाद ही टेस्ट कप्तान पद से इस्तीफा दे दिया। इस उथल-पुथल के बावजूद राहुल द्रविड़ ने रोहित शर्मा के साथ मिलकर उसी साल भारत को 2022 टी20 विश्व कप सेमीफाइनल तक पहुंचाया। राहुल द्रविड़ को 2023 विश्व कप के बाद मिला कार्यकाल विस्तार, जून 2024 में टी20 विश्व कप के खत्म होते ही समाप्त हो जाएगा। हालांकि आइसीसी ट्रॉफी खाते में न होने के बावजूद, यह भारतीय क्रिकेट के लिए हाल के इतिहास में सबसे सफल अवधियों में से एक रहा है।

टी20 फॉर्मेट में दबदबा: 2021 टी20 विश्व कप के लीग स्टेज से बाहर होने के बाद राहुल द्रविड़ की कोचिंग में टीम इंडिया ने खेलने का अंदाज बदला। इससे 17 द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में से 14 में विजयी रहे। इंग्लैंड और न्यूजीलैंड (2022) और 2023 में घरेलू मैदान पर ऑस्ट्रेलिया में उल्लेखनीय जीत।

वनडे क्रिकेट में सफलता: 2020 की शुरुआत से लेकर 2022 की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में द्विपक्षीय श्रृंखला के अंत तक भारत के वनडे प्रदर्शन में गिरावट थी। 18 वनडे मैचों में 11 में हार मिली थी। द्रविड़ के कार्यकाल में भारत ने 56 एकदिवसीय मैचों में से 41 में जीत हासिल की। साथ ही लगातार 10 मैच जीतकर 2023 विश्व कप का उपविजेता रहे।

टेस्ट क्रिकेट में दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम और डब्ल्यूटीसी फाइनलिस्ट: उनके कार्यकाल में भारत टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के बाद दुनिया की दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम रही। उन्होंने इस अवधि के दौरान रेड-बॉल क्रिकेट में खेले गए 24 मैचों में से 14 जीते और 7 हारे हैं। दक्षिण अफ्रीका (2021 और 2023) में पहली श्रृंखला में जीत दर्ज करने के कुछ मौके गंवाए और 2023 में ऑस्ट्रेलिया से डब्ल्यूटीसी फाइनल में हार गए।

राहुल द्रविड़ के कार्यकाल के दौरान सामरिक निर्णयों में पर्याप्त मुखर न होना, अच्छी फीडर लाइन बनाने में विफलता कुछ विसंगतियां रही हैं। द्रविड़, अपने दिनों में तेज गेंदबाज के रूप में साहसी, निडर खिलाड़ी थे। लेकिन एक कोच के रूप में सवालों का सामना करने पर वे टाल-मटोल करने लगते हैं। 

भारत ने पिछली दो आईसीसी ट्रॉफी विदेशी कोच के कार्यकाल में जीती। 2011 विश्व कप जिताने में दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जिताने में जिम्‍बाव्वे के डंकन फ्लेचर का बड़ा योगदान रहा। हालांकि, 2007 में भारत के लालचंद राजपूत ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिलकर युवा टीम को पहले टी20 विश्व कप का विजेता बनाया था। पिछले 9 साल से भारत की कमान भारतीय कोच (रवि शास्त्री, अनिल कुंबले और राहुल द्रविड़) द्वारा संभाली गई है। इस दौरान भारत ने लगभग सभी बड़ी प्रतियोगिताओं में ट्रॉफी जीतने को छोड़कर बेहतरीन प्रदर्शन किया। विदेशी कोच के खेलने की शैली या व्यवहार टीम के लिए फायदेमंद तो सकते हैं लेकिन भारतीय कोच के साथ खिलाड़ियों को जुड़ने में आसानी होती है। बड़े मुकाबले के निर्णायक क्षणों में ज्यादातर समय में भारतीय टीम के खिलाड़ी दबाव में आ जाती है। माना जाता है कि विदेशी कोच खिलाड़ियों की मानसिकता क्षमता में बदलाव ला पाते हैं, जो टीम को लाभ पहुंचा सकता है।

भारतीय कोच और विवाद

भारतीय कोच और विवाद

कपिल देव

1999 में सचिन तेंडुलकर की कप्तानी वाली टीम के लिए मुख्य कोच नियुक्त किया गया था। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से मिली हार के बाद नेतृत्व पर सवाल उठे।।मनोज प्रभाकर ने 1994 में श्रीलंका में एक वनडे टूर्नामेंट के दौरान ऑलराउंडर को रिश्वत देने की कोशिश का आरोप लगाया। सितंबर 2000 में इस्तीफा दे दिया। बाद में सीबीआइ ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।

अनिल कुंबले

2016 में 12 महीने की अवधि के लिए मुख्य कोच के रूप में नियुक्त मिली। इस दौरान टीम को अच्छी सफलता मिली। हालांकि, 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ हार के बाद, टीम को बड़ा झटका लगा, जब अनिल कुंबले ने यह कहते हुए पद से इस्तीफा दे दिया कि कप्तान (विराट कोहली) के साथ उनके रिश्ते अस्थिर हो गए हैं।

रवि शास्त्री

कुंबले के बाद मुख्य कोच बने। आरोप लगे कि नियमों से छेड़छाड़ कर कोच बनाया गया है। 2019 विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की हार के बाद काफी आलोचना झेलनी पड़ी। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में ही उनकी टीम को टेस्ट सीरीज हराना उनके करियर की उपलब्धि रही। तमाम विवादों के बाद भी उन्होंने 4 साल की अवधि पूरी की।

ग्रेग चैपल

उनके कार्यकाल में भारतीय क्रिकेट ने अपना सबसे खराब दौर देखा। सौरभ गांगुली की सिफारिश पर मिली नियुक्ति के बाद चैपल ने सबसे पहले गांगुली को ही कप्तान और टीम से बाहर कर दिया। चैपल बीसीसीआइ के शीर्ष अधिकारियों को मेल किया जिसमें उन्हें, नेतृत्व करने के लिए ‘‘मानसिक रूप से अयोग्य’’ कहा गया। मेल लीक होने पर हंगामा हुआ।

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