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आवरण कथा/ महिला किसान: मोर्चे पर महिलाएं

दो महीने से अधिक वक्त से डटे किसान मोर्चों में महिलाओं की बढ़-चढ़कर भागीदारी इस आंदोलन को सबसे अलग बनाता है
नए कृषि कानून के खिलाफ महिला किसान भी मैदान में

राजधानी दिल्ली की सीमा पर दो महीने से अधिक वक्त से डटे किसान मोर्चों में महिलाओं की बढ़-चढ़कर भागीदारी इस आंदोलन को सबसे अलग बनाता है। दिल्ली के चारों ओर पांच बड़े कुछ छोटे मोर्चों पर कड़ाके की ठंड और कई बार बारिश और कोहरे में लिपटे दिन-रात में महिलाएं, 90 वर्ष से ऊपर की उम्र तक के बुजुर्गों और बच्चों का घेरा भला किस इतने बड़े पैमाने पर कब देखा गया है। औरतें पंजाब और हरियाणा से सिंघू और टिकरी बॉर्डर बड़ी संख्या में हैं तो गाजीपुर सीमा पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से थोड़ी कम तादाद में महिलाएं डटी हैं। पलवल में मथुरा, बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से महिलाओं के थोड़े छोटे जत्थे हैं। राजस्थान के सिरे पर शाहजहांपुर सीमा पर राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा जैसे कई राज्यों से छोटे-छोटे महिला जत्थे अपनी मौजूदगी दर्ज कर रहे हैं।

महिला किसानों को बड़ा हुजूम टिकरी बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (उगरांहा) के बैनर तले है। पंजाब के 14 जिलों में असर रखने वाले इस संगठन में महिला किसानों की बड़ी भागीदारी है। महिलाएं मोर्चे पर ही नहीं डटी हैं, खासकर पंजाब और हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पुरुषों की गैर-मौजूदगी में खेती और गृहस्थी का जिम्मा भी अकेले उठा रही हैं। पंजाब में प्रमुख पर्व लोहड़ी पर 20,000 से अधिक जगहों पर कृषि कानून की प्रतियां जलाकर महिलाओं ने ही इसे जनांदोलन का रूप दिया है। 26 जनवरी की किसान गणतंत्र ट्रैक्टर परेड में भी 200 से अधिक महिलाएं ट्रैक्टरों पर ड्राइवर की सीट संभालेंगी।   

पंजाब के मोगा से टिकरी मोर्चे में पहुंची बीकेयू उगरांहा की किरनजीत कौर मानती हैं कि “पंजाब की महिलाएं और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर अपने गांवों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। पहला कदम कृषि कानूनों को वापस कराना है और हम ये हासिल करके रहेंगे।” जालंधर के लाडोवाल गांव से सिंघु बॉडर्र पर धरने में शामिल भागो कौर कहती हैं, “खेती करके ही परिवार का गुजारा होता है। जब जमीन ही नहीं रहेगी तो खेती कैसे होगी और परिवार कैसे चलेगा। 10 जनवरी से आंदोलन में शामिल होने आई हरियाणा के गोहाना के बिचपड़ी गांव की बोहती देवी कहती हैं, “किसान मजबूरी में सड़क पर बैठे हैं और कानून रद्द हो जाएंगे तो सभी खुशी से अपने घर चले जाएंगे।” होशियारपुर (पंजाब) के गांव माहिलपुर की सतिंदरदीप कौर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट  ने दो महीने के लिए किसानों को लटका दिया है पर हम कृषि कानून रद्द होने तक यहां से नहीं हटेंगे। हम अपनी खेती और परिवार बचाने यहां आए हैं। अपना हक लेकर जाएंगे।

हरियाणा का सियासी संकट

हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर संकट के बादल हर दिन घने होते जा रहे हैं। खाप पंचायतों ने गठबंधन के सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और नेताओं का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। 70 से अधिक गांवों के सरपंचों ने इनके नेताओं के गांवों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। जजपा के 10 विधायकों में 6 खुलकर किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। दो निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, बलराज कुंडू पहले ही गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। जजपा के विधायकों के समर्थन वापसी के लिए उठे बागी सुरों की सूरत में भाजपा की अगुआई वाली सरकार खतरे में है। इस खतरे को हवा देने वाली कांग्रेस अपने लिए अवसर तलाश रही है। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का कहना है, “मौजूदा हालात में अंदरखाने अल्पमत में चल रही गठबंधन सरकार के कई विधायक हमारे साथ हैं। हालात पैदा होने पर संविधान के अनुरूप कांग्रेस हरियाणा में अपने 31 विधायकों के साथ सरकार बनाने की कोशिश करेगी।” मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला का कहना है कि किसान आंदोलन की आड़ में सत्ता के सपने देखती कांग्रेस अपने विधायकों को ही संभाल ले, वही बड़ी बात है।

लेकिन किसानों के गुस्से का ज्यादा खामियाजा जजपा को भुगतना पड़ रही है। ग्रामीण पृष्ठभूमि खासकर किसानों के दम पर दो साल पहले इनेलो से टूटकर उभरी जजपा के प्रति इन दिनों बढ़ती नाराजगी को भुनाने के लिए इनेलो सक्रिय हो गई है। इनेलो प्रधान महासचिव अभय चौटाला के विधानसभा से इस्तीफे ने भतीजे दुष्यंत पर भाजपा से किनारा करने का दबाव बढ़ा दिया है।

2019 के विधानसभा चुनाव में 90 में से 40 सीटें जीत बहुमत से दूर रही भाजपा ने दूसरी बार सत्ता की सीढ़ियां दुष्यंत चौटाला की जजपा के 10 विधायकों के समर्थन से चढ़ी। जजपा के भाजपा को समर्थन देने के कुछ समय बाद से ही जजपा के अंसतुष्ट विधायकों की अगुआई करने वाले नारनौंद के विधायक राम कुमार गौतम ने कहा कि समय रहते सही फैसला नहीं लिया तो जजपा जनता की नजरों से उतर जाएगी। हिसार के बरवाला से जजपा विधायक जोगी राम सिहाग ने आउटलुक से कहा, "जब तक तीन कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते मैं कोई पद कैसे स्वीकार कर सकता हूं?” कलायत से जजपा के विधायक ईश्वर सिंह भी मौजूदा हालात में भाजपा को समर्थन जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं।

विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा, “मैं अविश्वास प्रस्ताव लाऊंगा और पता लग जाएगा कि हरियाणा का कौन नेता किसान के समर्थन में है और कौन खिलाफ खड़ा है?”

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