देश के चोटी के कुश्ती खिलाड़ी भारतीय कुश्ती संघ के मुखिया भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी और इस्तीफे की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। सिंह के खिलाफ सात महिला खिलाडि़यों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दी थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने के बाद दो एफआइआर दर्ज की गई है। एक एफआइआर नाबालिग द्वारा करवाई गई है और यह पॉक्सो कानून के तहत है। खिलाडि़यों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि अब तक सिंह की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। इन खिलाडि़यों में सभी हरियाणा के हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता हैं। उनके समर्थन में अब हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सारी खाप पंचायतें उतर आई हैं।
कुश्ती खिलाडि़यों ने पहली बार जनवरी में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुश्ती संघ के दफ्तर के सामने धरना दिया था, जो सिंह के दिल्ली स्थित बंगले से ही चलता है। इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के ओलंपिक पदक विजेता विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और अंशु मलिक प्रमुख थे। आरोप था कि भाजपा सांसद और कुश्ती के प्रशिक्षक बरसों से महिला खिलाडि़यों का यौन उत्पीड़न करते आ रहे हैं। उस वक्त पहली बार इन खिलाडि़यों ने कुश्ती संघ को भंग करने की मांग उठाई थी। इसके बाद सरकार ने जब आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति बनाने की बात कही, तो धरना उठा लिया गया।
ताजा धरना फिर अप्रैल में दिल्ली के जंतर-मंतर पर चालू हुआ। इसमें तीन मांगें प्रमुख थीं- बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी, जांच समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना और भारतीय कुश्ती संघ को भंग किया जाना। खिलाडि़यों की शिकायत थी कि उनकी समस्या के समाधान की दिशा में जांच समिति की रिपोर्ट में कुछ नहीं किया गया है। सात कुश्ती खिलाडि़यों ने अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई लेकिन दिल्ली पुलिस ने एफआइआर दर्ज नहीं की। इसके बाद खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट गए। 25 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारीख तय की। खिलाडि़यों की तरफ से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पैरवी की और दिल्ली पुलिस की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता प्रस्तुत हुए थे।
दो एफआइआर फिर भी गिरफ्तारी नहीं
सुप्रीम कोर्ट में 28 अप्रैल को सुनवाई के तत्काल बाद ही दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो एफआइआर दर्ज की। इनमें एक मुकदमा पाक्सो एक्ट में है। इसके बावजूद अब तक सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई है। तब से ये खिलाड़ी जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो एफआइआर दर्ज की हैं। दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने मुताबिक, “पहली प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की संबंधित धाराओं के साथ पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज की गई है। यह एक नाबालिग के आरोपों के आधार पर दायर की गई थी। दूसरी प्राथमिकी अन्य शिकायतकर्ताओं की शिकायतों की व्यापक जांच के लिए शील भंग करने से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।”
किसान नेताओं के साथ बजरंग पुनिया
बृजभूषण शरण सिंह ने एफआइआर के बाद पॉक्सो वाले एफआइआर पर बयान दिया था कि उन्होंने जांच समिति को एक ऑडियो टेप सौंपा था जिसमें बजरंग पुनिया द्वारा किसी नाबालिग लड़की का इंतजाम करने की बात कही गई थी। इसी नाबालिग लड़की का इस्तेमाल पाक्सो ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कराने के लिए किया गया है। उनके मुताबिक कुश्ती संघ का इस लड़की से कोई लेना-देना नहीं है। दूसरा मुकदमा आइपीसी की धारा 354 के तहत है जो किसी महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग से संबंधित है। इसमें न्यूनतम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा दी जाती है और जुर्माना भी लगाया जाता है। यह संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है। आइपीसी की धारा 354ए भी सिंह पर लगाई गई है। यह यौन उत्पीड़न से संबंधित है जिसमें तीन साल तक की अवधि के लिए कठोर कारावास या जुर्माना या दोनों के दंड का प्रावधान है।
विपक्ष का जमावड़ा
कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा, दीपेंदर हुड्डा, कपिल सिब्बल, प्रियंका गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर सीपीएम की नेता बृंदा कारत सहित तमाम नेता इन खिलाडि़यों के समर्थन में जंतर-मंतर पर पहुंच चुके हैं। इस क्रम में 3 मई की रात बारह बजे अचानक मामला गरमा गया जब खिलाडि़यों ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने उनके साथ मारपीट की है। मामला सोशल मीडिया पर गरमा गया क्योंकि एकाध पत्रकारों के साथ भी दिल्ली पुलिस की बदसुलूकी की बात सामने आई। उसी रात खिलाडि़यों से मिलने गई दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल, आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज और कांग्रेस नेता दीपेंदर हुड्डा को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उसके बाद अगले ही दिन सभी खापों की बैठक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुई और किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान कर दिया कि 7 मई को सर्वखाप के मुखिया और किसान नेता आंदोलन को समर्थन देने के लिए पहुंचेंगे।
7 मई की सुबह दिल्ली की हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी सीमा पर भारी पुलिसबल की तैनाती हो गई। जंतर-मंतर तकरीबन छावनी में तब्दील हो गया। फिर भी तमाम किसान नेता वहां पहुंचे और टिकैत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि यह आंदोलन लंबा चलेगा। खिलाडि़यों का समर्थन करने वाले किसान नेताओं और खाप प्रधानों की 31 सदस्यों की कमेटी ने घोषणा की कि अपना अगला फैसला वे 21 मई को लेंगे। तब तक वे बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी का इंतजार करेंगे और आंदोलन चालू रखेंगे। टिकैत ने कहा, “कुश्ती खिलाड़ियों का आंदोलन बहुत कुछ किसान आंदोलन के जैसा ही होगा। यह लड़ाई लंबी चलने वाली है और सबको तैयार रहना होगा।”
बचाव की दलीलें
उधर, बृजभूषण शरण सिंह ने 7 मई को बयान दिया है कि उनके खिलाफ खिलाडि़यों का लगाया एक भी आरोप सही साबित हो जाता है तो वे फांसी लगा लेंगे। उन्होंने दावा किया कि किसी में इतनी ताकत नहीं कि वह उनके दामन में दाग लगा दे। उनका दामन कबीर की चादर की तरह बेदाग है।
इस बीच एक ताजा घटनाक्रम में धरने पर बैठे खिलाडि़यों का समर्थन करने पर हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ ने राज्य में झज्जर, नूंह और हिसार की जिला कुश्ती इकाइयों के सचिवों को निलंबित कर दिया है। हरियाणा कुश्ती संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहतास नांदल ने झज्जर जिला कुश्ती संघ के सचिव वीरेंद्र सिंह दलाल, हिसार जिला कुश्ती संघ के सेक्रेटरी संजय सिंह मलिक और मेवात जिला कुश्ती संघ के सचिव जय भगवान को निलंबित करने का आदेश 7 मई को जारी किया। इसके अलावा नांदल ने हिसार स्थित मिर्चपुर की भगत सिंह कुश्ती आदकमी को भी निलंबित कर दिया। अकादमी के संचालकों पर आरोप है कि वे छोटी उम्र के पहलवानों को धरने पर ले गए थे। अकादमी के संचालक अजय सिंह ढांडा और जय भगवान लाठर पर प्रतिबंध लगाया गया है। माना जाता है कि नांदल भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण के खेमे के हैं।
बृजभूषण सिंह ने इस विवाद के बीच यह कहकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए दुविधा खड़ी कर दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा उनसे इस्तीफा देने को कहें तो वे तुरंत दे देंगे। इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई क्योंकि पार्टी का पूरा अमला कर्नाटक के विधानसभा चुनाव प्रचार में व्यस्त था।
इस बीच कुश्ती संघ के खिलाफ चल रहे धरने के चलते 2023 की एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप को दिल्ली से कजाकिस्तान के आस्ताना में स्थानांतरित कर दिया गया है।
कुश्ती खिलाडि़यों ने पहली बार जनवरी में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कुश्ती संघ के दफ्तर के सामने धरना दिया था