किस तरह से चीजों और खबरों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा सकता है, इसकी एक और मिसाल सामने आई है। पांच मार्च को दिल्ली में शकंर शाद मुशायरा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में हुआ, जिसमें भारत और पड़ोसी देशों के रसूख वाले शायरों ने अपनी नज्में पढ़ी। नज्में पढ़ने वालों में मशहूर शायर, वैज्ञानिक और फिल्मनिर्माता गौहर रजा ने भी अपनी नज्म पढ़ी। इस नज्म को बहुत दाद मिली। इस नज्म के कुछ अंशों को देशद्रोही और अफजल गुरू के समर्थन वाला बताना एक टीवी न्यूज चैनल ने शुरू किया। इस तरह से एक शायर और जाने-माने वैज्ञानिक को बदनाम करने का कड़ा विरोध हो रहा है और इसके खिलाफ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन में अपील करने की तैयारी हो रही है।
जी न्यूज ने अपने कार्यक्रम में इस मुशायरे में गौहर रजा द्वारा पढ़ी गई गजल के कुछ अंश को दिखाकर एंकर इसे खुद-ब-खुद देशद्रोह, जेएनयू और अफजल गुरू से जोड़कर दिखाने लगते हैं। जी न्यूज द्वारा गौहर रजा पर किए जा रहे इस वैमन्सयपूर्ण हमले के विरोध में एक बयान जारी किया जा रहा है, जिसमें इस तरह के प्रयास की कड़ी निंदा की गई है।
विडंबना यह है कि जिस नज्म पर यह सारा खेल खेला जा रहा है, उसमें धर्म के आधार पर नफरत की मुखालफत की गई है और आग कुरेदने वालों के खिलाफ बातें कही गई हैं। इस नज्म की चंद लाइनें यूं हैं-
धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी
मसली कलियां, झुलसा गुलशन, जर्द खिजा दिखलाएगी
यूरोप जिस वहशत से अब भी सहमा सहमा रहता है
खतरा है वह वहशत मेरे मुल्क में आग लगायेगी....
उधर, गौहर रजा के खिलाफ उनके निस्टार्ड दफ्तर में एक बेहद दुर्भावनापूर्ण ई-मेल भेजा गया है जिसमें उन्हें इस्लामी आतंकवाद से जोड़ा गया है। गौरतलब है कि गौहर रजा राष्ट्रीय स्तर के सम्मानित शायर और वैज्ञानिक हैं।