ज्यादातर लोग पहाड़ों की रानी शिमला की परिभाषा सिर्फ माल रोड, रिज, जाखू मंदिर, कुफरी और नारकंडा के रूप में देते हैं। भीड़ भरे शिमला से महज 40 किमी दूर खड़ा पत्थर जाइए। आसमान से बातें करते हुए घने देवदार के जंगल , छोटी-छोटी नदियां, झरने, चरवाहे ऐसा मन मोह लेते हैं कि आप यकीन करेंगे कि आप शिमला में हैं। कुप्पड़ के लिए दिल्ली से शिमला तक सडक़ मार्ग का 360 किलोमीटर सफर तय करना होगा। पहला पड़ाव शिमला हो सकता है। अगले दिन सडक़ मार्ग से 85 किलोमीटर दूर, 2700 मीटर ऊंचाई पर खड़ा पत्थर दूसरा पड़ाव होगा। हालांकि शिमला से खड़ा पत्थर की दूरी ज्यादा नहीं है लेकिन संकरी सडक़ पर वाहन धीरे-धीरे चलते हैं। इसलिए इस तैयारी से जाइए कि रात आपको खड़ा पत्थर में रुकना होगा।
अगले दिन खड़ा पत्थर से कुप्पड़ चोटी पर जाने की तैयारी कीजिए। रोमांच, पुरातन इतिहास, ट्रेकिंग और प्रकृति का मनोरम और विशाल दोनों रूप देखने को मिलेंगे। कहीं तीखी चढ़ाई तो कहीं घास के मैदान। रास्ते में बर्फीले लेकिन मीठे पानी की छोटी सी नदी। यहां जाने के लिए स्लीपिंग बैग और टेंट साथ रखना होगा।
कुप्पड़ जाते वक्त घने जंगल के बीच रोमांच और डर का मजा लेना चाहते हैं तो रास्ते में गिरिगंगा में रुक सकते हैं। यहां हजारों साल पुराने मंदिर हैं। पास में छोटी सी नदी बहती है। हिमालयी भालुओं से संभल कर रहना होगा। अगले दिन घने जंगली रास्ते में कुछ जगहों पर पेड़ों की टहनियां पकड़ कर चढऩा होगा। इसके लिए आपके पास कम वजन, मजबूत पकड़ और बेहतरीन जूते होने चाहिए। स्थानीय लोगों के अनुसार गिरिगंगा से कुप्पड़ जाने में दो घंटे लगते हैं लेकिन महानगरों के लोग आमतौर पर पांच से सात घंटे में पहुंचते हैं। सारी थकान उस वक्त उतर जाती है जब कुप्पड़ पहुंचने पर मीलों फैले घास के मैदान दिखाई देते हैं।
यहां टेंट लगाएं। खाना पकाएं। करीब से दिख रहे चांद और सितारों भरे आसमान के नीचे गहरे काले अंधेरे का मजा लें। रात भर आग न बुझने पाए इसका ध्यान रखें। अगले दिन खड़ा पत्थर लौट आएं। अगर अपने शहर नहीं लौटना हो तो वहां से 30 किमी रोहड़ू में जा सकते हैं। यहां हाटकोटि (स्थानीय देवी) मंदिर है। वहां दर्शन करने के बाद आप चिड़गांव में फिशिंग का मजा ले सकते हैं।
कैसे जाएं
खड़ा पत्थर जाने के लिए शिमला का जुबड़हट्टी हवाई अड्डा है। वहां से शिमला के लिए टैक्सी सेवा है। दिल्ली और चंडीगढ़ से शिमला तक के लिए कई ट्रेन और बस सेवाएं भी है। गर्मियों में पहले से बुकिंग कराना सही रहता है। शिमला में रात रुकने के लिए सरकारी और गैर सरकारी होटल हैं। शिमला से खड़ा पत्थर जाने के लिए बस सेवा और टैक्सी दोनों हैं। खड़ा पत्थर में रात रुकने के लिए बहुत कम जगहें उपलब्ध हैं। खाने-पीने की इच्छा का दुकानें भी रात में जल्दी बंद हो जाती हैं। फिर रोहड़ू जाते हैं तो रुकने की कोई दिक्कत नहीं है।
कब जाएं
खड़ा पत्थर मार्च से लेकर सितंबर तक जाना ही सही रहता है। हालांकि बर्फबारी दिसंबर में होती है लेकिन सिंतबर से मौसम ठंडा हो जाता है।