पठानकोट पर आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत की सुरक्षा व्यवस्था और सुरक्षा एजेंसियों की सक्षमता पर सवाल उठाए हैं। रक्षा विश्षेज्ञ और पूर्व अधिकारियों का मानना है कि ये सुरक्षा प्रणाली में गहरी चूक और खामी को दर्शाता है, जिसे ठीक किया जाना चाहिए।
पूर्व रॉ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल आरएसएन सिंह का कहना है कि अभी तक ऐसा हमला तभी हुआ है जब हम दुश्मन की तैयारी को भांप नहीं पाए या उसके इरादे को भेद नहीं पाए। इस हमले से यह बात भी साफ हुई है कि पाक के आंतकी संगठनों ने सीमा पर नशे की तस्करी करने वालों का रूट पकड़ा है और देश में इसके जरिए बड़ी सेंध लगाई है।
रक्षा विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि इंटेलिजेंस की चेतावना या संकेत को कैसे नजरंदाज किया गया। कैसे आतंकियों ने ठीक उसी नाले से दोबारा घुसपैठ की, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले की थी। इतनी लंबी चौड़ी योजना के साथ आंतकी घटना को अंजाम दे रहे थे, ऐसे में सीमा सुरक्षा बल क्या कर रहा था। चेतावनी के बाद पठानकोट एयरबेस को पूरी तरह से सुरक्षित क्यों नहीं किया गया, जबकि पिछले आंतकी हमले के समय भी इसकी जरूरत महसूस की गई थी। सेवानिवृत्त मेजर जनरल सतबीर सिंह का कहना है कि ये बहुत बड़ी सुरक्षा खामी है। आंतकी किस तैयारी के साथ आए थे, इसका अंदाजा इस बात से होता है कि वे 25 किलोमीटर अंदर घुस आए औऱ इतने घंटों तक गोलीबारी करते रहे। यह शर्मनाक है। रक्षा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस हमले से सबक लेते हुए कड़ी चौकसी बरतने की जरूरत है। और कमजोरियों को स्वीकार करते हुए उनमें सुधार करने की भी जरूरत है।