अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ लेने के साथ ही अमेरिका और समूची दुनिया अनिश्चित-से उतार-चढ़ाव के लिए तैयार हो रही है। कोई ठीक-ठीक नहीं जानता कि अगले चार वर्षों में क्या-क्या होने जा रहा है। ट्रम्प बेशक दावा करते हैं कि वे अमनपसंद हैं और दुनिया भर में चल रहे बड़े युद्धों को खत्म करना चाह रहे हैं, हालांकि कुछ महीने पहले तक वे विदेशी युद्धों में जुड़ने या विश्व शांति के लिए अमेरिकी सैनिकों को कहीं भेजने के खिलाफ थे। दरअसल, राष्ट्रपति के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान ही अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को हटाने के लिए तालिबान के साथ समझौते हुए थे, लेकिन हाल में उन्होंने मार-ए-लागो में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ग्रीनलैंड पर कब्जा करने, अमेरिका की बनाई पनामा नहर पर फिर काबिज होने और कनाडा को अमेरिका से जोड़ने की धमकी देकर दुनिया भर में सनसनी फैला दी। उन्होंने ग्रीनलैंड और पनामा में सैन्य हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया और कहा कि कनाडा के साथ आर्थिक एकीकरण कनाडाई लोगों के लिए अच्छा होगा।
ट्रम्प के इन बयानों के धमाकों से दुनिया हैरान है। क्या वे इन देशों को कब्जाना चाहते हैं या यह मोलतोल की कोई शुरुआती धौंस-पट्टी है? अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रम्प की नजर ग्रीनलैंड पर थी। डेनमार्क का ग्रीनलैंड पर नियंत्रण है और वह अमेरिका का नाटो सहयोगी है। वहां पहले ही अमेरिकी फौज मौजूद है और कई जानकारों का मानना है कि वह वाशिंगटन के लिए रणनीतिक महत्व का है। उसकी नजर ग्रीनलैंड में प्रचुर मात्रा में महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार है। ट्रम्प मेक्सिको खाड़ी का भी नाम बदलकर अमेरिका खाड़ी रखना चाहते हैं। उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा, "हम मेक्सिको खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका खाड़ी करने जा रहे हैं, जो सुंदर-सा छल्ला है। यह बहुत बड़े इलाकों को कवर करता है। अमेरिकी खाड़ी, कितना सुंदर नाम है न!"
बावजूद इसके उन्होंने अपने कार्यकाल की शुरुआत इजरायल-हमास युद्ध-विराम समझौता करवा कर सकारात्मक तरीके से की है। ट्रम्प चाहते थे कि उनके पदभार संभालने से पहले गाजा पर इजरायल का युद्ध समाप्त हो जाए और वे ऐसा करने में कामयाब भी रहे। यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है क्योंकि पिछले साल जो बाइडन सरकार ठीक ऐसा ही समझौता करवाने में नाकाम रही थी। बाइडन सरकार के वार्ताकारों की टीम में जुड़े ट्रम्प के दूत स्टीवन विटकॉफ ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को आंख दिखाकर युद्ध-विराम समझौते पर दस्तखत करने को राजी कर लिया। ट्रम्प ने शपथ ग्रहण से पहले वाशिंगटन में अपनी विजय रैली में विटकॉफ की प्रशंसा की थी, जिन्होंने इस समझौते को संभव बनाया।
यह शांति समझौता टिकेगा या नहीं यह तो अभी देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल सब ठीक-ठाक हो गया है। कैदियों की पहली अदला-बदली हो चुकी है, बंदूकें शांत हैं, और उम्मीद है कि गाजा में बड़े पैमाने पर मदद पहुंचेगी जिससे इस क्षेत्र के लंबे समय से तबाह लोगों को कुछ राहत मिलेगी।
कुछ दिन पहले एनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ट्रम्प ने कहा था, "अमेरिका को फिर आदर मिलना चाहिए, और उसे फौरन आदर मिलना चाहिए। लेकिन आदर तो पहला पायदान है जिसका मैं इस्तेमाल कर रहा हूं।" उन्होंने न सिर्फ हमास, बल्कि इजरायल के नेताओं को भी धमकी दी, "अगर वे हमारा आदर करते हैं, तो सब ठीक रहेगा। अगर वे हमारा आदर नहीं करते हैं, तो नरक टूट पड़ेगा।" जाहिर है, वे यह तय करना चाहते हैं कि यह समझौता हो जाए।
इससे पहले ट्रम्प दावा कर चुके हैं कि सत्ता में आने के चौबीस घंटे के भीतर वे यूक्रेन युद्ध को समाप्त करवा देंगे। अभी तक इस दिशा में बहुत कुछ नहीं हुआ है, लेकिन भविष्य में वे रूस और यूक्रेन के बीच समझौता करवाने की कोशिश कर सकते हैं।
टैरिफ युद्ध
ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल की तरह अमेरिकी उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारी आयात शुल्क लगाकर चीन और बाकी दुनिया के साथ व्यापार युद्ध शुरू करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सभी 30 खरब डॉलर के अमेरिकी माल आयात पर 10 से 20 प्रतिशत टैरिफ और सभी चीनी वस्तुओं पर 60 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उनके पिछले कार्यकाल के दौरान चीन से दसियों अरब डॉलर के स्टील और एल्युमीनियम आयात पर लगभग 300 अरब डॉलर का कर लगाया गया था। भारत से आयात को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ेगा, हालांकि शुक्र है कि उनकी होड़ चीन से है इसलिए नई दिल्ली 10 से 20 प्रतिशत इजाफे के लिए काम कर सकती है।
कार्यकारी आदेश
पहले कार्यकाल के दौरान ट्रम्प को सरकार चलाने का बहुत कम अनुभव था और वे बाहरी व्यक्ति थे। तब उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को हराया था, लेकिन उनसे ज्यादा लोकप्रिय वोट पाने में नाकाम रहे थे। इससे वे बुरी तरह चिढ़े थे। इस बार उन्होंने न सिर्फ इलेक्टोरल कॉलेज या निर्वाचन मंडल, बल्कि लोकप्रिय वोट के मामले में भी जीत हासिल की है। उनका मानना है कि लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया है और उनके पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही कई कार्यकारी आदेश जारी किए जाएंगे। ट्रम्प ने घरेलू एजेंडे पर अमेरिकी चुनाव जीता। दक्षिणी सीमा से घुसपैठ वोटरों के लिए बड़ी चिंता का विषय है, इसलिए वे अपने कार्यकाल की शुरुआत में हजारों अवैध प्रवासियों को निर्वासित करेंगे। ट्रम्प ने अमेरिकी इतिहास में प्रवासियों के सबसे बड़े निर्वासन का वादा किया है। उन्होंने एनबीसी न्यूज से कहा, "यह बहुत जल्दी, बहुत जल्दी शुरू होगा। मैं यह नहीं कह सकता कि कौन से शहर होंगे क्योंकि चीजें बदल रही हैं।" उन्होंने आगे कहा, "हमें अपने देश से अपराधियों को बाहर निकालना होगा।"
उन्होंने 6 जनवरी, 2021 को कैपिटल हिल पर हमले में शामिल अपने वफादारों को माफ करने का भी वादा किया है। तब वे जो बाइडन से चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्होंने नतीजे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। वे बाइडन की जलवायु-अनुकूल ऊर्जा नीतियों को खत्म करने, जीवाश्म ईंधन और खनन परियोजनाओं के लिए कानून बदलने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। ट्रम्प के आकर्षक नारे "ड्रिल बेबी, ड्रिल" से अमेरिकी तेल और खनन क्षेत्र में उत्साह है क्योंकि उन्हें भारी मुनाफ़ा कमाने का अवसर दिखाई दे रहा है। ट्रम्प की जीत से बड़े कॉरपोरेट खुश हैं, और यहां तक कि पहले चुप रहने वाले टेक अरबपति भी ट्रम्प के साथ घुलमिल रहे हैं, जिनमें जेफ बेजोस, बिल गेट्स, मार्क जकरबर्ग और टिम कुक के साथ-साथ टिकटॉक के शू जी च्यू भी शामिल हैं।
अरबपतियों का क्लब
अपने पहले कार्यकाल के विपरीत ट्रम्प अब उस एलीट वर्ग से निपटने के लिए बेहतर तैयार हैं जिसे वे और उनके समर्थक वाशिंगटन की दलदल कहते हैं। वे प्रशासन को अपने वफादारों से भर रहे हैं जो उनकी हर इच्छा पूरी करने को तैयार हों।
इस टोली में उनके कई अरबपति दोस्त भी शामिल हैं। ट्रम्प खुद अरबपति हैं और अपने प्रशासन को कई अमीर दोस्तों से भर रहे हैं। दुनिया के सबसे अमीर एलॉन मस्क उनके दाहिने हाथ हैं। हाल ही में वाशिंगटन की एक रैली में ट्रम्प ने मस्क और उनके छोटे बेटे की तारीफ की। अमेरिकी-भारतीय उद्यमी विवेक रामास्वामी और मस्क नए प्रशासन में सलाहकार की भूमिका में हैं। वे कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं। वे संघीय खर्च को कम करना चाहते हैं और मस्क ने पिछले इंटरव्यू में कहा था कि वे लगभग 20 खरब डॉलर के खर्च में कटौती करेंगे। ट्रम्प खुद दावा करते हैं कि वे लगभग 50,000 प्रशासनिक अधिकारियों को राजनैतिक नियुक्तियों से बदल देंगे।