चुनाव से ठीक 10 दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए कांटे का मुकाबला बना हुआ है और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस तथा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही अत्यंत कड़े मुकाबले वाले राज्यों में ‘लोकप्रिय मत’ हासिल करने के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं।
सीएनएन द्वारा इस चुनाव के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर किए गए अंतिम सर्वेक्षण में पाया गया कि 47 प्रतिशत मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हैरिस का समर्थन करते हैं और इतने ही प्रतिशत मतदाता चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप का समर्थन करेंगे।
न्यूयॉर्क टाइम्स/सिएना कॉलेज के 20 से 23 अक्टूबर के बीच किए गए अंतिम राष्ट्रीय सर्वेक्षण में दोनों उम्मीदवारों को 48-48 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है। शेष चार प्रतिशत मतदाताओं को अभी अपनी प्राथमिकता तय करनी है।
फाइनेंशियल टाइम्स और मिशिगन यूनिवर्सिटी के रॉस स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा किए गए एक अलग सर्वेक्षण से पता चला है कि 44 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ट्रंप पर भरोसा किया, जबकि 43 प्रतिशत ने हैरिस पर भरोसा जताया।
हालांकि, ‘फाइव थर्टीएट पोल ट्रैकर’ के विश्लेषण से पता चला है कि हैरिस को 1.7 प्रतिशत अंकों के साथ ट्रंप पर थोड़ी बढ़त हासिल है।
व्हाइट हाउस की दौड़ जीतने के लिए 538 चुनावी मतों में से 270 वोट हासिल करने होंगे। सात ऐसे राज्य हैं, जहां दोनों उम्मीदवारों के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है और देश का अगला राष्ट्रपति तय करने में इनकी निर्णायक भूमिका होगी। इन राज्यों में जॉर्जिया, मिशिगन, एरिज़ोना, पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलिना, विस्कॉन्सिन और नेवाडा शामिल हैं।
लगभग सभी सर्वेक्षणों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का पता चलने के साथ ट्रंप और हैरिस अपने अभियान के अंतिम चरण में अधिक ‘लोकप्रिय मत’ हासिल करने के अपने प्रयास मजबूत कर रहे हैं।
रैलियों के आखिरी दौर में, हैरिस महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रजनन अधिकारों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जबकि ट्रंप अपने प्रवासन विरोधी विचारों को उजागर कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने शुक्रवार को ह्यूस्टन में एक रैली की, जहां उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि महिलाओं के प्रजनन अधिकार बहुत मौलिक क्यों हैं।
टेक्सास और 13 अन्य अमेरिकी राज्यों में गर्भपात पर सख्त प्रतिबंध है। राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार यह कहते हुए प्रतिबंध हटाने पर जोर दे रही हैं कि महिलाओं को प्रजनन अधिकार मिलने चाहिए।