वीजा और आव्रजन पर कठोर रवैया अपनाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब जन्म के आधार पर नागरिकता मामले को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि वह यह आदेश देना चाहते हैं कि अमेरिका में गैर-नागरिकों और शरणार्थियों के बच्चों के लिए जन्म के आधार पर नागरिकता का अधिकार खत्म कर दिया जाए। वह अमेरिका में अगले सप्तगाह होने वाले मध्यावधि चुनाव प्रचार के दौरान कई बार आव्रजन और शरणार्थियों के मुद्दे पर कड़ा बयान दे चुके हैं।
समाचार एजेंसी के मुताबिक, अमेरिकी टीवी चैनल एचबीओ के एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि वह अपनी सख्त आव्रजन नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, 'मेरे कहने का मतलब है कि मैं एक कार्यकारी आदेश पारित कर यह लागू कर सकता हूं। ह्वाइट हाउस के वकील मेरे इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे हैं।'
कोर्ट में लड़नी पड़ सकती लंबी लड़ाई
ट्रंप ने हालांकि साफ नहीं किया कि कितनी जल्द वह इस पर कार्रवाई करेंगे। ट्रंप का मानना है कि शरणार्थी मसले को केंद्र में लाकर वह अपनी सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों को उत्साहित करने में सफल होंगे। इससे रिपब्लिकन को संसद में बहुमत बनाने में मदद मिल सकती है। लेकिन केवल कार्यकारी आदेश पारित कर अमेरिका में जन्म के आधार पर नागरिकता का अधिकार खत्म करना ट्रंप के लिए आसान नहीं है। इसके लिए उन्हें कोर्ट में लंबी लड़ाई भी लड़नी पड़ सकती है।
क्या है अमेरिकी कानून?
अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत अमेरिका में जन्म लेने के बाद बच्चे को स्वत: ही अमेरिका की नागरिकता मिल जाती है। दरअसल, इसी में कहा गया है, 'सभी लोग जो अमेरिका में जन्मे हैं, अमेरिका के नागरिक माने जाएंगे।'
भारतीय भी हो सकते हैं प्रभावित
यदि राष्ट्रपति यह निर्णय लेते हैं तो इससे भारतीय भी प्रभावित होंगे। दरअसल, भारतीय माता-पिता के जन्मे हजारों बच्चे (इनमें गेस्ट वर्कर वीजा और विजिटर वीजा होल्डर्स के बच्चे भी शामिल हैं) अपने आप हर साल अमेरिकी नागरिक बन जाते हैं। मौजूदा कानून के तहत नवजात के माता-पिता की आवासीय स्थिति को जाने बगैर ही अमेरिका में जन्मा कोई भी बच्चा जन्म से नागरिक मान लिया जाता है। यह बच्चा किसी भी दूसरे अमेरिकी नागरिक को मिलने वाले अधिकारों और सुविधाओं को पाने का हकदार बन जाता है। बच्चे के जन्म के बाद अमेरिकी बर्थ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया जाता है।