विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में बताया, ‘निश्चित तौर पर हम पाकिस्तान के भीतर तालिबान की हरकतों और अभियानों पर और उनके द्वारा पाकिस्तान की जनता के समक्ष लगातार पेश किए जा रहे खतरे पर यथासंभव नजर बनाए हुए हैं।’ जब उनसे पंजाब में बड़ी संख्या में तालिबान आतंकियों की मौजूदगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी को भी यह गलतफहमी है कि पंजाब क्षेत्र निगरानी के लायक रहा है। हमने उत्तरी वजीरिस्तान और उसके पास के इलाकों में अभियानों के बारे में पाकिस्तानी नेताओं से बात की है क्योंकि इन स्थानों को लंबे समय से तालिबान और अन्य चरमपंथी समूहों के सदस्यों की शरणस्थली माना जाता रहा है।
किर्बी ने कहा कि यह बेहद अस्थिर स्थिति है और हम लगातार इसपर नजर बनाए हुए हैं और हम लगातार इसपर पाकिस्तानी नेताओं के साथ चर्चा कर रहे हैं। तहरीक-ए-तालिबान से अलग होकर बने जमात उल अहरार नामक संगठन के एक आत्मघाती हमलावर ने रविवार को लाहौर के एक पार्क में खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था। इस घटना में 74 लोग मारे गए थे, जिनमें 29 बच्चे और 10 महिलाएं थीं। मृतकों में करीब 20 ईसाई थे। विस्फोट में 300 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए।
उधर, इसी सप्ताह आयोजित होने वाले परमाणु सुरक्षा सम्मेलन से पहले ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान द्वारा युद्धक परमाणु हथियारों की लगातार तैनाती किए जाने पर भी चिंता जाहिर की है। हथियार नियंत्रण एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की विदेश उपमंत्री रोज गोटेमोलर ने कहा, पाकिस्तान द्वारा युद्धक परमाणु हथियारों को लगातार तैनात किए जाने से जुड़ी हमारी चिंताएं स्थिति की वास्तविकता से संबंधित हैं। जब युद्ध क्षेत्र में परमाणु हथियारों को आगे तैनात किया जाता है, तब ये परमाणु सुरक्षा पर बढ़े हुए खतरे को रेखांकित कर सकते हैं। रोज ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में विदेशी पत्रकारों को बताया, अग्रिम स्तर पर तैनात की गई हमारी प्रणालियों पर सकारात्मक नियंत्रण अधिक कठिन है। हमने शीतयुद्ध के दौरान यूरोप में खुद से ही यह सबक लिया था। इसलिए मुझे लगता है कि यह स्थिति एक वास्तविकता है। रोज ने कहा, यह किसी देश विशेष से संबंधित नहीं है। जहां भी युद्धक परमाणु हथियार मौजूद हैं, वे परमाणु सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं को रेखांकित करते हैं।