उन्होंने कहा कि आज उद्योंगों को नवाचार के साथ लगातार आगे बढ़ना है क्योंकि आईटी का बुनियादी काम स्वचलित उन्नत नवाचार जैसे कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) और क्लाउड कंप्यूटिंग के सहारे तकनीकी दुनिया में चलता है।
उन्होने कहा कि कोड लेखन और परीक्षण सबसे अकुशल उद्योग है जो अभी अस्तित्व में है। गुप्ता ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में तत्काल क्रांति की जरूरत है। यहां ज्ञान देने के तरीके में बदलाव किए जाने की जरूरत है। अब व्याख्यान देने की जगह संवादात्मक, डिजिटल और सहभागी होकर शिक्षा देने की जरूरत है। उन्होंने भारत सहित दुनिया के प्रमुख देशों में युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी पर भी चिंता जताई। गुप्ता ने कहा कि भारत में हर साल दो करोड़ रोजगार सृजित किए जाने की जरूरत है पर आंकड़ा इससे काफी दूर है। उन्हेंने कहा कि भारत में कौशल विकास के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं क्योंकि कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते हैं। यह सरकारी योजना बन गई है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सारे युवक कुशल हो कर निकल रहे हैं फिर कहा, ‘नहीं’।
भारतीय-अमेरिकियों पर बढ़ रहे घृणा अपराध के सवाल पर उन्होंन कहा कि इस बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लोगों को उनके अधिकार के बारे में शिक्षा दिए जाने की जरूरत है। रजत गुप्ता गोल्डमैन सैच्स के निदेशक भी रह चुके हैं। उन्हें भेदिया कारोबार के आरोप में दो साल की सजा भी दी गई थी। अब वह मुक्त हैं और सामाजिक कामों में सक्रिय हो गए है। पिछले साल उन्होंने व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन के चेयरमैन का काम भी संभाला है। यह संस्था आईआईटी के पूर्व छात्रों ने बनाई है जो अमेरिका में ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। (एजेंसी)