पाकिस्तान के नियोजन एवं विकास मंत्री अहसन इकबाल ने वाशिंगटन की एक सभा में कहा, हम उम्मीद कर रहे हैं कि मार्च तक राज्यों में हो रहे चुनाव पूरे हो जाएंगे और तब संभवत: भारत के साथ शांति-वार्ता करने के लिहाज से बेहतर माहौल होगा। लेकिन हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
अमेरिका के एक शीर्ष थिंकटैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में एक सवाल के जवाब में इकबाल ने कहा कि पाकिस्तान भारत के विधानसभा चुनावों में एक चुनावी मुद्दा है।
इकबाल ने कहा, यह दुर्भाग्य की बात है कि वे चुनावी चक्र में इतने कड़े रुख अख्तियार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि हमें इससे परे जाकर सोचना चाहिए। भारत और पाकिस्तान को एकसाथ रहना है, हम अपनी भौगोलिक स्थिति तो नहीं बदल सकते लेकिन अब हमें शांति की दिशा में सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा, हमने अफगानिस्तान और भारत के साथ सक्रिय तौर पर शांति स्थापित करने की कोशिश की है और उसे जारी रखे हुए हैं क्योंकि हमारा हमारा विकास क्षेत्र में शांति पर निर्भर करता है।
इकबाल ने कहा, मुझे वर्ष 1993 के बाद का ऐसा कोई चुनाव याद नहीं है, जिसमें किसी भी नेतृत्व ने चुनाव में अतिरिक्त वोट पाने के लिए भारत को भला-बुरा कहा हो। कहने का अर्थ है कि हमारे चुनावों से भारत प्रभावित नहीं होता, कोई भी भारत पर निशाना नहीं साधता। लेकिन लगता है कि भारत में चुनावी समीकरण पाकिस्तान को निशाने पर लेने के प्रति काफी संवेदनशील है। पर, आशा है चुनाव बाद शांति-वार्ता के के लिए बेहतर माहौल होगा।
इकबाल ने एक सवाल के जवाब में आरोप लगाया कि 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के प्रति भारत की प्रतिक्रिया बिना सोचे-समझे दी गई प्रतिक्रिया है।
उन्होंने कहा कि भारत को सीपीईसी का विरोध करने के बजाय उसे सीपीईसी में शामिल होना चाहिए और विभिन्न अवसरों पर गौर करना चाहिए। सीपीईसी भारत को चीन के अधिकांश हिस्से के साथ व्यापार के लिए सबसे छोटा रास्ता उपलब्ध करवाएगा।
इकबाल ने कहा, आप इस क्षेत्र से सीपीईसी के रास्ते चीन में किसी भी स्थान तक पहुंच सकते हैं। इसलिए हम बेहद आशान्वित हैं और भारत के साथ हमारे संबंधों को सामान्य करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।