ट्रंप ने ट्वीट की शृंखला में कहा कि क्या चीन ने हमसे पूछा था कि मुद्रा का अवमूल्यन करना (हमारी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा में बने रहना मुश्किल बनाना), उनके देश में निर्यात होने वाले हमारे उत्पादों पर भारी शुल्क लगाना या दक्षिण चीन सागर के मध्य में एक बड़े सैन्य परिसर का निर्माण करना सही होगा?
अगले ट्वीट में उन्होंने कहा मुझे नहीं लगता कि यह सही है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ताइवान के राष्ट्रपति साइ इंग वेन से फोन पर बात करके चीन को पहले ही अप्रसन्न कर चुके हैं। साल 1979 के बाद ताइवान के राष्टपति से बात करने वाले वह पहले शीर्ष अमेरिकी नेता हैं।
वाशिंगटन पोस्ट ने कहा है कि प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए ट्रंप ने ताइवान के नेता को फोन किया। यह कदम देश की बागडोर संभालने जा रहे राष्ट्रपति का जानबूझकर उकसाने वाला कदम है जो कि अतीत से बिल्कुल अलग है।
राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार के दौरान चीन ट्रंप को आए दिन निशाना बनाता रहा है। अब ट्रंप अगले माह शपथ लेंगे और ऐसे में आसार हैं कि ट्रंप का बीजिंग के प्रति रुख आक्रामक रहेगा।
चीन स्वशासित ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत मानता है। चीन ने ट्रंप की ताइवान के राष्टपति से फोन पर हुई बातचीत को लेकर अमेरिका के समक्ष राजनयिक विरोध जताया है। अमेरिकी राजनीतिज्ञ अक्सर चीन पर आरोप लगाते हैं कि वह अपना निर्यात बढ़ाने के लिए अपनी मुद्रा का जानबूझकर अवमूल्यन करता है।
ट्रंप ने चीन पर दक्षिण चीन सागर में सैन्य विस्तार करने का आरोप लगाया है। चीन संसाधन बहुल दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा करता है। वियतनाम, फिलिपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी दक्षिण चीन सागर पर अपने-अपने दावे करते हैं। जुलाई में द हेग स्थित एक अंतरराष्टीय न्यायाधिकरण ने दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर चीन के भूभागीय दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसके दावे का समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट के घोषणापत्र के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं है। (एजेंसी)