फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में कानूनी आव्रजन पर जब ट्रंप से राय मांगी गई तो उन्होंने कहा, हमें चाहे अच्छा लगे या नही, वे भुगतान करते हैं,...हम बहुत लोगों को शिक्षा देते हैं, जो बहुत तेज-तर्रार होते हैं। हमें देश में उन लोगों की जरूरत है। उन्होंने कहा, आप जानते हैं, वे हार्वर्ड जाते हैं, वे अपनी कक्षा में प्रथम हैं और वे भारत से हैं। वे वापस भारत जाते हैं और अपनी कंपनियां स्थापित करते हैं और संपत्ति अर्जित करते हैं और सबसे बड़ी बात कि वे बहुत लोगों को रोजगार देते हैं।
हालांकि अपने अभियान की शुरुआत से ही ट्रंप एच-बी वीजा कार्यक्रम को खत्म करने की वकालत करते रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी कामगारों के लिए बहुत अनुचित है। भारत से हजारों युवा इसी वीजा पर अमेरिका की विभिन्न कंपनियों में काम करते हैं। जाहिर है कि ट्रंप एक ओर भारतीयों को मिल रही रोजगार की सुविधा छीनकर वापस अपने देश के लोगों को देना चाहते हैं और दूसरी ओर भारत के ऐसे तेजतर्रार दिमाग वाले छात्रों को अमेरिका में ही रोकने के पक्षधर हैं जो भारत में नई नौकरियां सृजित कर सकते हैं।
एच-1बी वीजा के कुछ पहलुओं के बारे में उन्होंने कहा, कई लोग इस देश में रहना चाहते हैं। मेरे ख्याल से कोई व्यक्ति जो इस देश में कॉलेज के दौरान वर्षों तक रहता है, उसे उसी दिन देश से बाहर नहीं निकाला जाना चाहिए जिस दिन वह स्नातक की डिग्री हासिल कर लेता है, जैसा कि हमलोग करते हैं। प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियां और भारतीय आईटी पेशेवर इस एच-1बी वीजा कार्यक्रम का लाभ उठा रहे हैं।