भारत को "सुख-दुख का साथी" बताते हुए अमेरिका ने कहा कि उसके साथ होने वाली मंत्री स्तरीय बातचीत राजनयिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर संबंधों को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत की स्थिति का कैसे उपयोग किया जाए, इस वार्ता में इसी विषय पर चर्चा होगी।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री जेम्स मेट्टिस अगले महीने टू प्लस टू का नाम की मंत्री स्तरीय बातचीत के लिए भारत आएंगे। पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान दोनों देश वार्ता के लिए राजी हुए थे।
इससे पहले, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई में अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ बैठक के लिये वॉशिंगटन गई थीं जिसे अमेरिका ने स्थगित कर दिया था।
प्रधान उप सहायक सचिव एलिस वेल्स ने उम्मीद जताई कि भारत के साथ 6 सितंबर की प्रस्तावित मंत्री स्तरीय वार्ता की शुरुआत के बाद और भी आगे प्रगति होगी।
एलिस ने कहा, "यह राजनयिक और सुरक्षा प्राथमिकताओं की एक श्रृंखला पर चर्चा करने और हमारी भागीदारी बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। वास्तव में यह भारत के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने का संकेत है।"
उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही भारत अमेरिकी राष्ट्रपति की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के साथ ट्रंप प्रशासन की दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत रणनीतियों में भी शामिल है।
अमेरिका ने भारत को 2016 में प्रमुख रक्षा भागीदार का दर्जा दिया था। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग 2008 में शून्य डॉलर से बढ़कर आज 18 अरब डॉलर हो गया है।
एलिस वेल्स के अनुसार अमेरिका भारत के साथ सैन्य अभ्यास को और आगे बढ़ाना चाहता है। भारत और अमेरिका के बीच इस साझेदारी को कैसे नए स्तर पर ले जाया जा सकता है, इसलिए यह सिर्फ रक्षा अधिग्रहण पर आधारित नहीं होगा, बल्कि यह चुनौतियों की पहचान करने और मिलकर कैसे उनका समाधान किया जाए, इसका तरीका होगा।