यह समूह चाहता है कि भारत के आरएसएस को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए और इस मामले में एक अमेरिकी अदालत ने शीर्ष अमेरिकी राजनयिक को तलब किया है। न्यूयार्क के साउदर्न डिस्टिक्ट के अटॉर्नी प्रीत भराड़ा ने न्यायाधीश लॉरा टेलर स्वेन से आग्रह किया है कि सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) की ओर से दायर 26 पृष्ठों वाली शिकायत पर जवाब देने के लिए सरकार को और अधिक समय दिया जाए।
अधिकार समूह ने जनवरी में मुकदमा दायर किया था जिसमें उसने यहां की अदालत से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की है। मुकदमे में आरएसएस पर फासिस्ट विचारधारा में विश्वास रखने और उसका पालन करने, एक धर्म तथा सांस्कृतिक पहचान के साथ भारत को एक हिंदू राष्ट्र में तब्दील करने के लिए एक आवेशपूर्ण, विद्वेषपूर्ण और हिंसक अभियान चलाने का आरोप लगाया है। मुकदमे में प्रतिवादी बनाए गए केरी को मामले में समन जारी किया गया था और इस पर जवाब देने के लिए उन्हें दो महीने का वक्त दिया गया था। शिकायत पर सरकार को 24 मार्च तक जवाब देना था और भराड़ा ने आवेदन दाखिल करने के लिए 14 अप्रैल तक का समय देने का आग्रह किया है।
भराड़ा ने कहा, जवाब देने की जगह सरकार शिकायत को खारिज कराने की दिशा में बढ़ना चाहती है और अपने आवेदन एवं इससे संबंधित दस्तावेजों को अंतिम रूप देने के लिए उसे और अधिक समय की जरूरत है। अटॉर्नी गुरपतवंत सिंह पन्नून ने कहा कि एसएफजे के मुताबिक, मुकदमा दायर करने के समय से भारतीय मीडिया में ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा के कई मामले खबरों में छाए रहे, जिनमें एक चर्च को आग लगाने और एक नन के साथ कथित बलात्कार जैसे मामले सुर्खियों में रहे।
पन्नून ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ खतरे के बढ़ने और लगातार हिंसा के इस्तेमाल को इसमें शामिल करने के लिए समूह शिकायत को संशोधित करेगा। डिक्लेरेटी लॉसूट में अदालत से आग्रह किया गया है कि आरएसएस, उससे जुड़ी संस्थाओं और उसकी मातहत संस्थाओं को विदेशी आतंकवादी संगठन के तौर पर घोषित किया जाए तथा खासकर आरएसएस को स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (एसडीजीटी) में शामिल किया जाए।