इसके साथ ही अमेरिका ने मिसाइल तकनीक कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) में शामिल किए जाने की भारत की मुहिम को भी समर्थन देने की घोषणा कर दी है। विदेश विभाग की ओर से भारत-अमेरिका सामरिक और वाणिज्यिक वार्ता के समापन पर जारी कल एक संयुक्त बयान में कहा गया, अमेरिका मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम में भारत की सदस्यता के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और अन्य वैश्विक अप्रसार निर्यात नियंत्रण समूहों में समर्थन की पुष्टि करता है। एमटीसीआर में भारत के प्रवेश का समर्थन करते हुए अमेरिका ने यह भी कहा है कि इसके बाद वह उसके साथ सशस्त्र ड्रोन जैसी संवेदनशील मिसाइल प्रौद्योगिकी साझा कर पाएगा। इस साल की शुरुआत में भारत ने मिसाइल और अंतरिक्ष तकनीक में कारोबार को नियंत्रित करने वाले 34 देशों के समूह एमटीसीआर की सदस्यता के लिए औपचारिक तौर पर आवेदन दिया था। एमटीसीआर में सदस्यता से भारत तकनीक पर नियंत्रण रखने वाली शासन व्यवस्था के नजदीक आएगा। एमटीसीआर की अगली पूर्ण बैठक अब होने वाली है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के दावे के बारे में इस बयान में कहा गया है कि अमेरिका अपनी तरफ से सुरक्षा परिषद सुधार के साथ स्थायी सदस्य के तौर पर भारत के समर्थन की पुष्टि करता है। इसके अनुसार, दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में असरदार भूमिका निभाते रहेंगे जैसा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर में वर्णित है। संयुक्त बयान के मुताबिक, भारत और अमेरिका दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतरसरकारी वार्ता (आईजीएन) में भागीदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। एशिया में सफल सहयोग निर्माण पर दोनों देश एशिया-प्रशांत एवं हिंद महासागरीय क्षेत्र के लिए संयुक्त सामरिक दृष्टिकोण के तहत सहयोग जारी रखने का स्वागत करते हैं, जिसपर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सहमत हैं।
अमेरिका ने यमन में संघर्ष के दौरान अमेरिकी नागरिकों सहित विदेशी नागरिकों को वहां से निकालने में भारत के नेतृत्व और नेपाल में भूकंप के बाद राहत कार्यक्रमों में अमेरिका एवं भारत के बीच सहयोग की सराहना की। वैश्विक संकट के दौरान नागरिकों की जरूरतों की पूर्ति के लिए भारत और अमेरिका एक सहयोगी के तौर पर काम करने पर दृढ़ हैं। अफगानिस्तान में उच्च स्तरीय विमर्श जारी रखने की वकालत करते हुए दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि एक संप्रभु, स्वतंत्र और समृद्ध अफगानिस्तान से ही क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के हित जुड़े हैं और साथ ही वे आतंकवाद तथा चरमपंथ से मुकाबले के लिए वैश्विक प्रयासों को जारी रखेंगे।