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चीन का दुस्साहस: उत्तराखंड में एक किलोमीटर तक चीनी सेना की घुसपैठ

पिछले साल भी उत्तराखंड से चीनी सेना की घुसपैठ की खबर आई थी।
चीन का दुस्साहस: उत्तराखंड में एक किलोमीटर तक चीनी सेना की घुसपैठ

भारत और चीन के बीच चल रहे डोकलाम सीमा विवाद के बीच खबर है कि 25 जुलाई को चीन की सेना ने उत्तराखंड में घुसपैठ की थी। एएनआई के मुताबिक, 25 जुलाई को सुबह 9 बजे के आसपास चीनी सेना उत्तराखंड के बाराहोती से 800 मीटर से 1 किमी तक भारतीय सीमा में घुस आई थी। पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने माना है कि चमोली जिले के बाराहोती में कुछ चीनी सैनिक घुस आए और जानवरों को चरा रहे चरवाहों को धमकाया। आटीबीपी के जवानों के विरोध के बाद चीनी सैनिकों को वापस लौटना पड़ा। अधिकारियों के मुताबिक चीनी सैनिक इलाके में दो घंटें तक मौजूद रहे ।

आईटीबीपी के अधिकारियोें का कहना है कि चीनी सैनिक इस इलाके में घुस आते हैं और भारतीय सैनिकों के विरोध के बाद वापस चले जाते हैं, ऐसा पहले भी होता रहा है। 

उधर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 27-28 जुलाई को चीन की यात्रा पर थे। इस दौरान उन्होंने ब्रिक्स देशों के सुरक्षा सलाहकार की बैठक में हिस्सा लिया और अपने चीनी समकक्ष एवं स्टेट काउंसलर यांग जेची से मुलाकात की। हालांकि, अभी डोकलाम मुद्दे का कोई भी हल नहीं निकल पाया है और दोनों ही देशों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में इस नए मामले के सामने आने से दोनों देशों के बीच विवाद और बढ़ सकता है। 

बाराहोती सीमा क्षेत्र

बाराहोती उत्तराखंड की राजधानी से 140 किमी दूर है। उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों की तीन चौकियों में से एक यहां है। इस इलाके में आईटीबीपी के जवानों को उनके हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। 

वर्ष 1958 में दोनों देशों ने 80 वर्ग किलोमीटर के बाराहोती क्षेत्र को एक विवादित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया था, जहां कोई भी पक्ष अपने सैनिक नहीं भेजेगा। 1962 के युद्ध में भी चीनी सेना 545 किलोमीटर के मिडिल सेक्टर में नहीं घुसी थी और उसने अपना ध्यान पश्चिमी (लद्दाख) और पूर्वी (अरूणाचल प्रदेश) सेक्टरों पर केंद्रित रखा था। 

इस युद्ध के बाद भारतीय सैनिकों ने इस क्षेत्र में बंदूक की बैरल नीचे करके यहां गश्त करना शुरू कर दिया था। हालांकि, सीमा विवाद सुलझाने की कोशिशों के तहत जून 2000 को भारत सरकार बाराहोती, कौरिल और शिपकी चौकियों में आईटीबीपी के जवानों को बगैर हथियार सादे कपड़ों में तैनात करने पर सहमत हो गई थी। 

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