अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका से साथ अन्य देशों की सेनाओं की भी वापसी हो रही है। जिसके बाद पूरी दुनिया इस बात का मंथन कर रही है कि आगे तालिबान के साथ कैसे संबंध बरकरार रखने हैं। वहीं, तालिबान भी अपनी सरकार बनाने की ओर रूख कर रहा है। इस बीच चीन ने एक बार फिर तालिबान के प्रति नरम रूख अपनाने की कोशिश की है। वहीं, भारत का तालिबान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया है। भारत का कहना है कि अफगानिस्तान के हालात काफी चिंताजनक है। साथ ही पिछले दिनों सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि जो वादे तालिबान ने दोहा में किए थे, उस पर वो खड़ा नहीं उतरा।
अफगानिस्तान-तालिबान मामले पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को फोन पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की। जिसमें चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया को अब अफगानिस्तान के नए शासक तालिबान को गाइड करना चाहिए और लगातार उससे संपर्क में रहना चाहिए।
इतना ही नहीं चीन ने अमेरिका से अपील भी की है कि अमेरिका को दुनिया के दूसरे देशों से साथ भी मिलकर अफगानिस्तान में मानवीय, आर्थिक मदद पहुंचानी चाहिए। साथ ही नई सरकार को वहां की सरकार चलाने में सहयोग करना चाहिए और किसी तरह का बाहरी भार नहीं देना चाहिए।
चीन का मानना है कि अमेरिका को तालिबान का सहयोग करना चाहिए, जिससे देश में आतंकवाद-हिंसा को रोका जा सके। वहीं, इस मुलाकात को लेकर अमेरिका की ओर से कहा गया है कि वर्ल्ड कम्युनिटी को तालिबान को उसकी ओर से किए गए वादों पर खरा उतरने के लिए परखा जाना चाहिए, जो उसने अफगान नागरिकों और विदेशी नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए दिए हैं।
बता दें, चीन इससे पहले भी तालिबान के सहयोग करने की ओर रुख अपना चुका है। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे से पहले भी चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    