पिछले करीब डेढ़ साल से यहां कुछ लोगों की तरफ से मांग की जा रही थी कि सरकार सभी को न्यूनतम सैलरी दे वो भी बिना कोई काम किए। इस मांग के बाद सरकार ने एक जनमत संग्रह कराया, जिसमें देश के 78% लोगों ने इसे ठुकरा दिया है। इसी के साथ यह प्रस्ताव खारिज हो गया है। दरअसल यहां ज्यादातर लोगों के पास काम नहीं है। फैक्ट्रियां में लोगों की जगह रोबोट ने ले ली है, जिससे देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। काम कम होने से देश में गरीबी और असमानता बढ़ती जा रही है। इस वजह से लोगों ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू होने की मांग की थी। लेकिन 22% लोगों ने जहां इस प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की, वहीं 78% लोगों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया जिससे यह प्रस्ताव खारिज हो गया।
अगर ये पास हो जाता तो सरकार को हर महीने देश के सभी नागरिकों और 5 साल से वहां रह रहे उन विदेशियों को, जिन्होंने वहां की नागरिकता ले ली है, उन्हें बेसिक सैलरी देनी होती। दुनिया में पहली बार है जब ऐसे किसी प्रस्ताव को किसी देश में नागरिकों के बीच रखा गया था। इस प्रस्ताव में लोगों से पूछा गया था कि क्या वे देश के नागरिकों के लिए एक तय इनकम के प्रावधान का समर्थन करते हैं या नहीं? इन नागरिकों में वे लोग भी शामिल थे, जो स्विट्जरलैंड में पांच साल से ज्यादा लंबे समय से बतौर कानूनी निवासी के तौर पर रह रहे हैं।