भारत ने अभी दो महीने पहले ही इस बंगले को अधिग्रहित किया है। मोदी ने इस स्मारक का उद्घाटन करते हुए कहा कि दलितों के इस दिग्गज नेता का समानता और न्याय का संदेश आज भी प्रासंगिक है। महाराष्ट्र सरकार ने इस बंगले को अधिग्रहित किया है। उत्तर पश्चिम लंदन में 10 किंग हेनरी रोड स्थित यह तिमंजिला बंगला 2050 वर्ग फुट में फैला हुआ है। अगस्त में इसे 32 लाख से 40 लाख पौंड की अनुमानित लागत में अधिग्रहित किया गया जिसका खर्च महाराष्ट सरकार ने उठाया।
मोदी और उनके साथ गए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने इस बंगले में स्थापित डा. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह नया स्मारक डा. बाबा साहब अंबेडकर संग्रहालय के नाम से जाना जाएगा। यहां आने पर मोदी की आगवानी फड़णवीस और महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले ने की। फड़णवीस ने कहा कि बाबा साहब से जुड़े कुछ बहुत ही विशेष दस्तावेजों और पत्रों को इस संग्रहालय में रखा जाएगा। इनमें उनके कुछ लेख भी शामिल हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण वह पत्र है जो डा. अंबेडकर ने जर्मन भाषा में बान विश्वविद्यालय को लिखा था। उन्होंने कहा कि यह पत्र उनकी व्यापक विद्वता को दर्शाता है। फड़नवीस ने उम्मीद जताई कि यह संग्रहालय युवा छात्रों और दुनिया के अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा।
छह कमरों वाली इस इमारत में अभी रख-रखाव एवं मरम्मत का काम जारी है लेकिन जिस एक मंजिल का अवलोकन आज मोदी ने किया, उसे 20 नवंबर तक आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद मरम्मत एवं रख-रखाव कार्य के लिए इसे बंद कर दिया जाएगा और संभवत: नव वर्ष से इसे फिर ससे जनता के लिए खोल दिया जायेगा। राजकुमार बडोले ने बताया कि इस संग्रहालय की योजना को लेकर अभी भी विचार विमर्श जारी है।
इससे पहले ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई जा रही है जो न केवल भारतीय संविधान बल्कि हमारे संसदीय लोकतंत्र के भी शिल्पकार थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि बाबा साहब ने कमजोर और दबे तथा हाशिये पर खड़े लोगों के उत्थान के लिए काम किया। मानवता के प्रति अपनी सेवाओं के उच्च मूल्यों के लिए हमें प्रेरित किया जिससे पूरी मानवता के लिए न्याय, समानता, अवसर और गरिमामयी भविष्य निर्मित किया जा सके।