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ब्रिटेन में जातिगत उत्पीड़न और रोहित वेमुला का मुद्दा उठा

साउथ एशिया सोलिडेरिटी ग्रुप द्वारा आयोजित बैठक में छात्रों ने उठाई जातिगत भेदभाव को खत्म करने का मामला
ब्रिटेन में जातिगत उत्पीड़न और रोहित वेमुला का मुद्दा उठा

जाति का सवाल भारत से लेकर ब्रिटेन तक में भारतीयों और भारतीय डायसपोरा के बीच गंभीर चिंता का विश्व बना हुआ है। जैसे-जैसे दुनिया एक ग्लोबल गांव में तब्दील होती जा रही है, वैसे-वैसे एक घटना या एक सवाल पर दुनिया भर में प्रतिक्रिया तेज होती है। भारत और ब्रिटेन में जातिगत भेदभाव खिलाफ संयुक्त आवाज उठ रही है। इसी क्रम में लंदन में साउथ एशिया सोलिडेरिटी ग्रुप और एसओएएस साउथ एशियन डायस्पोरा सोसायटी ने लंदन विश्वविद्यालय में एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने शिरकत की और रोहित वेमुला को इंसाफ दिलाने की मांग भी उठाई।

इस बैठक में भारत से भाकपा माले की पॉलित ब्यूरो सदस्य और जेएनयू छात्र संघ की पूर्व संयुक्त सचिव कविता कृष्णनन और कास्ट वॉच यूके की चेयरपर्सन सत पाल मुमेन ने दोनों देशों में दलित मुद्दे पर चल रहे संघर्षों के बारे में अपने विचार रखे। मुमेन ने ब्रिटेन में दलितों की स्थिति, उनके संघर्षों के बारे में बताया कि वहां छुपा हुआ भेदभाव और नस्लवाद है दलित समुदाय के प्रति, खासतौर से सिख और हिंदु समुदायों में। उन्होंने कई ऐसे उदाहरण दिए जहां दलितों के साथ बेदभाव की घटनाएं होती है, नौकरी, स्कूलों में दोहरा व्यवहार रखा जाता है।

कविता कृष्णन ने भारत में चल रहे रोहित वेमुला को इंसाफ दिलाने के आंदोलन और जेएनयू आंदोलन के बारे में विस्तार से बताया। कविता ने रखा कि किस तरह से रोहित की मौत ने दलित छात्रों के प्रति संस्थागत का भेदभाव की परतों को उघाड़ दिया है।

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