इसके लिए चयनित भारतीयों में शीसेज की संस्थापक एवं सीईओ तृषा शेट्टी (25) शामिल हैं। शीसेज की शुरूआत पिछले साल हुई। यह एक ऐसा मंच है जो भारत में महिला यौन उत्पीड़न के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने के लिए महिलाओं को शिक्षित, उनका पुनर्वास एवं उन्हें सशक्त बनाने का काम करता है। भूख जैसे मुद्दे के समाधान एवं बेकार भोज्य पदार्थों विशेषकर शादी के आयोजनों एवं जश्न के दौरान बर्बाद होने वाले भोजन को जरूरतमंद लोगों को देने के लिए 2014 में शुरू किए गए फीडिंग इंडिया के संस्थापक अंकित कवात्रा (24) का नाम भी चयनित भारतीयों में शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से 17 चयनित युवाओं में भारतीय-अमेरिकी करण जेराठ (19) का नाम भी शामिल हैं। करण ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े समुद्री तेल रिसाव बीपी डीप वाटर होरीजन ऑयल स्पिल के बाद एक समाधान के तौर पर स्रोत में तेल का रिसाव रोकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि ये 17 युवा परिवर्तन लाने वाले हैं, ये युवाओं की सरलता के परिचायक हैं और सतत विकास के लक्ष्य के लिए उनके विशिष्ट नेतृत्व एवं प्रतिबद्धता के लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।
शीसेज महिलाओं को बेहद अनोखे तरीके से उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध कराता है जिनमें कानूनी पहुंच, चिकित्सकीय एवं मनोवैग्यानिक समर्थन शामिल है। तृषा ने कहा, मैंने यह महसूस किया कि अगर मुझे किसी रेस्तरां के बारे में ऑनलाइन जानकारी चाहिए तो सारी जानकारी उपलब्ध है लेकिन जब बात यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं की आती है तो ऐसी कोई जानकारी मौजूद नहीं होती, ऐसे में मैंने कुछ करने का फैसला किया। युवाओं पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत के कार्यालय से युवा नेताओं पर दिए गए एक बयान के मुताबिक तृषा और समूची शिक्षा, मनोरंजन एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थापित संस्थानों के साथ मिलकर काम करने के उनके टीम वर्क ने एक नेटवर्क बनाने में मदद की जो यौन उत्पीड़न के हर स्तर को स्वीकार करता है और इसके खिलाफ लड़ाई में हर तरह की सहायता मुहैया कराता है।
शैक्षणिक कार्यशालाओं के जरिए यह संगठन अब तक 60,000 युवा लोगों को शामिल करने में सफल रहा है और तृषा अब लैंगिक समानता पर सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
कवात्रा के संगठन का भारत में 28 शहरों में 2,000 से भी अधिक स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं का नेटवर्क है जो बचे हुए भोजन को बचाने एवं जरूरतमंद तथा भूखे लोगों में वितरित करने का काम करता है। महज 22 वर्ष की उम्र में कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ने वाले कवात्रा ने कहा कि उन्होंने बचे हुए भोजन और भारत की भूख की समस्या से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि भारत में किसी विवाह समारोह में जितना भोजन बर्बाद होता है उसे देखकर मैं चकित रह गया जबकि देश में 19.4 करोड़ लोग कुपोषित हैं। संगठन के पीछे का विचार किसी जलसे, कार्यक्रम और शादी के आयोजनों के दौरान अत्यधिक भोजन को एकत्र करना और इन्हें जरूरतमंद लोगों में वितरित करना है और अब एक भी व्यक्ति भूखा नहीं रहे यही इसका लक्ष्य है।
संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम में अपने संबोधन में कवात्रा ने कहा कि वह यूएन यंग लीडर में चयनित किए जाने पर बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। वहीं जेराठ एक वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी हैं जिनका जन्म भारत में हुआ और वह मलेशिया में पले-बढ़े और फिर वह 13 वर्ष की उम्र में अमेरिका आ गए। जेराठ ने कहा कि जब टेक्सास स्थित उनके घर से महज 30 मिनट की दूरी पर बीपी तेल का रिसाव हुआ तब उन्होंने कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, मैंने महसूस किया कि इस तरह का रिसाव हर दिन होता है इससे हमारे समुद्र एवं पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मुझे इसका हल ढूंढना ही था।
भाषा