चीन के बाहर अब कोरोना वायरस का प्रकोप अब अन्य देशों में भी फैल गया है। इस वायरस के कारण ईरान में अब तक 92 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमण के करीब 3000 मामले सामने आ चुके हैं। यह एक ऐसा देश है जिसके नेता खुद इस बीमारी का कहर झेल रहे हैं। वहीं, राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इससे लड़ने में मदद करने के लिए एक अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि वाशिंगटन ने "सहानुभूति का मुखौटे" पहन रखा है जबकि देश में दवाओं पर प्रतिबंध लगा रखा है।
रूहानी ने अमेरिका सहायता के प्रस्ताव पर कहा कि जिनके कारण दवा और भोजन पर प्रतिबंध है, जिन्होंने सबसे शातिर काम किया है, वे सहानुभूति के नकाब के साथ दिखाई देते हैं और कहते हैं कि हम ईरान के राष्ट्र की मदद करना चाहते हैं।"
'प्रतिबंध हटाकर करें ईमानदारी साबित'
उन्होंने कहा कि अमेरिका को मदद के लिए ईमानदार इरादे को साबित करने के लिए दवा की खरीद को रोकने वाले प्रतिबंधों को हटाना चाहिए। बता दें कि वाशिंगटन ने 2018 में तेहरान पर एक ऐतिहासिक परमाणु समझौते से हाथ खींच लिया था और प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया।
कोरोना वायरस से ईरान की सरकार के शीर्ष नेता और शीर्ष शिया धार्मिक नेता तक बीमार पड़ गए हैं। ईरान इस मामले में एकमात्र देश है जहां वायरस की चपेट में सरकार के भी लोग आ गए हैं जबकि सर्वाधिक प्रभावित चीन में ऐसा नहीं हुआ है। बढ़ते मरीजों की वजह से अस्पतालों पर दबाव बढ़ता चला जा रहा है। इस वजह से टैंटों में अस्थायी अस्पताल बनाने पड़ रहे हैं ताकि मरीजों का इलाज किया जा सके।
कैदियों को किया रिहा
वहीं, कोरोनावायरस के डर से ईरान ने करीब 54 हजार कैदियों को जांच के बाद रिहा कर दिया है। हालांकि पांच साल से ज्यादा की सजा काट रहे कैदियों को रिहा नहीं किया गया है। बता दें कि इन दोनों देशों के अलावा इटली, दक्षिण कोरिया, जापान में भी स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। दुनियाभर में इस वायरस ने 90,000 से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है और 3,100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।