अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद का नई सरकार के गठन के बाद पहला बयान आया था। उन्होंने कहा कि हम पिछली सरकारों के अधिकारियों से उनके देश लौटने की अपील करते हैं क्योंकि हम उन्हें उनके जीवन की पूरी सुरक्षा देंगे। हमें युद्ध से तबाह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए बड़ा कार्य का समाना करना पड़ रहा है।
तालिबान ने 15 अगस्त को पंजशीर को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद सात सितंबर को तालिबान ने अंतरिम सरकार का एलान किया था। अल-जज़ीरा समाचार चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मुल्ला हसन ने बुधवार को कहा, 'हमने अफगानिस्तान में इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए एक भारी कीमत चुकाई है।"
अखुंद ने कहा कि अफगानिस्तान में रक्तपात का दौर समाप्त हो गया है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में हुए हमले के बाद पिछली सरकारों के साथ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए तालिबान के माफी के वादे को दोहराया है।
तालिबान के एक प्रवक्ता के हवाले से टोलो न्यूज ने बताया कि नई सरकार का नेतृत्व विद्रोही समूह के प्रमुख मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा द्वारा किया जाएगा। प्रवक्ता ने अंतरिम सरकार में मुल्ला हिबतुल्लाह के पदनाम या राज्य के मामलों में उसकी भूमिका का खुलासा नहीं किया।
अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार में कम से कम 14 ऐसे सदस्य हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकियों की ब्लैक लिस्ट में है जिनमें कार्यवाहक प्रधान मंत्री और दोनों उप-प्रधानमंत्रियों के नाम भी हैं। वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित सिराजुद्दीन हक्कानी पर एक करोड़ डॉलर का का इनाम है, जिसे कार्यवाहक गृह मंत्री का पद मिला है। 33 सदस्यीय अंतरिम मंत्रिमंडल में "तालिबान फाइव" के रूप में जाने जाने वाले पांच नेताओं में से चार ऐसे नेता शामिल हैं, जिन्हें कभी ग्वांतानामो बे जेल में रखा गया था।
बता दें कि अफगान मंत्रिमंडल के सदस्यों के 11 सितंबर को शपथ लेने की उम्मीद है, जिस दिन अमेरिका पर हुए 9/11 हमले की 20वीं बरसी है। हालांकि तालिबान नेताओं ने कहा है कि तारीख को अंतिम रूप नहीं मिला है।