एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से अपना सर्वोच्च सम्मान वापस ले लिया। यह सम्मान रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार सेना के कथित अत्याचारों पर उनकी ‘उदासीनता’ को लेकर वापस लिया गया है। लंदन स्थित वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह सू की को दिया गया ‘ऐम्बैसडर आफ कॉन्शन्स अवार्ड’ वापस ले रहा है जो उसने उन्हें 2009 में उस समय दिया था जब वह घर में नजरबंद थीं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल प्रमुख कूमी नायडू द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है, ‘आज हम अत्यंत निराश हैं कि आप अब आशा, साहस और मानवाधिकारों की रक्षा की प्रतीक नहीं हैं।’ समूह ने कहा कि उसने अपने फैसले के बारे में सू की को रविवार को ही सूचित कर दिया था। उन्होंने इस बारे में अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन
म्यांमार में रोहिंग्या संकट पर अपनी पहली टिप्पणी में आंग सान सू की ने कहा था कि रखाइन प्रांत में फैले संघर्ष में जिन ‘तमाम लोगों’ को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए मैं ‘दिल से दुख’ महसूस कर रही हूं। 25 अगस्त 2017 को रखाइन के उत्तरी इलाके में चरमपंथियों ने पुलिस चौकियों को निशाना बनाया। इस हमले में 12 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे। इस घटना के बाद से ही वहां हिंसा भड़क गई और रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश की ओर मजबूरन पलायन करना पड़ा।