पीटीआई के मुताबिक, जब से चीन-पाकिस्तान की दोस्ती बढ़ने लगी है, तब से उसका भारत विरोध बढ़ गया है। फिर चाहे वो एनएसजी का मामला हो, डोकलाम का मुद्दा हो या फिर जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने का। चीन ने गुरुवार को एक बार फिर मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की राह में टेक्निकल रोड़ा अटकाते हुए रोक को तीन महीने और बढ़ा दिया है। इससे पहले चीन ने इस प्रस्ताव पर छह महीने की रोक लगाई थी।
बता दें कि भारत मसूद अजहर को वैश्विक आतंकियों की सूची में डालने के लिए लम्बे अर्से से प्रयत्नशील है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश प्रस्ताव को चीन किसी न किसी बहाने से रोकता रहा है।
अभी हाल ही में चीनी विदेश मंत्रालय ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने पर कहा कि इस बारे में समय आने पर निर्णय लिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए भारत ने गत वर्ष मार्च में मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था।
इससे पहले चीन ने बुधवार को कहा था कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना, मसूद अजहर को यूएन टेररिस्ट घोषित कराने के अमेरिकी प्रस्ताव पर फैसले के लिए कुछ वक्त चाहिए। अमेरिका ने अजहर पर प्रतिबंध के लिए ब्रिटेन और फ्रांस के साथ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया था, जिसके बाद चीन ने रोड़ा अटकाते हुए जनवरी में छह महीने के लिए तकनीकी रूप से रोक लगा दिया था।