चीन की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस दौरान कहा कि भारत-चीन संबंधों को उस समय स्थिरता का कारक होना चाहिए जब दुनिया अनिश्चित स्थिति का सामना कर रही हो। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद विवाद का करण न बनें। रविवार को बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग किशन से मुलाकात हुई। बाद में उनकी चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की मीटिंग हुई।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बीजिंग में मुलाकात के बाद कहा है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के विस्तार के लिए चीन की ओर से आज कुछ सुझाव दिए, हम उन पहलों की गहराई से सराहना कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आज शाम दोनों देशों के बीच फिल्म वीक का उद्घाटन किया जाएगा। साथ ही दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए सौ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
‘भारत-चीन संबंध का वैश्विक राजनीति में अनूठा स्थान’
बीजिंग में बैठक के बाद बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध का वैश्विक राजनीति में एक अनूठा स्थान है। दो साल पहले हमारे नेताओं ने उस वास्तविकता को पहचान लिया और अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंच गए कि वैश्विक अनिश्चितता के समय भारत-चीन संबंध स्थिरता का कारक होना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह महत्वपूर्ण था कि हमारे बीच मतभेद, यदि कोई हो तो विवाद नहीं होना चाहिए।
इससे पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विश्वासपात्र माने जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, 'हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया अधिक अनिश्चित है, हमारे संबंध इसमें एक बड़ा रोल निभा सकते हैं।
कुछ दिनों पहले ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जान के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन के दौरे पर गए थे। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने से पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बना हुआ है। दुनिया के ज्यादातर देशों ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान का कोई खास समर्थन नहीं किया है। अमेरिका से लेकर रूस और चीन तक ने भारत सरकार के फैसले को सही बताया है। ऐसे में पाकिस्तान की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं।
आर्टिकल 370 पर भारत-पाक के बीच तनाव
भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद जारी तनाव के हालात के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन दौरे पर हैं। जयशंकर की यह यात्रा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा चीनी नेतृत्व के साथ कश्मीर मुद्दे को उठाने और बीजिंग द्वारा संयुक्त राष्ट्र में मामले को उठाने के लिए समर्थन की मांग के बाद हुई है।
मोदी-जिनपिंग के दूसरे शिखर सम्मेलन की तैयारी
अपना पद संभालने के बाद विदेश मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है। 11 से 13 अगस्त के बीच अपनी इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए जमीन तैयार करने के लिए अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ दूसरी एचएलएम बैठक की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं।
पिछले साल अप्रैल में चीन के वुहान में मोदी और शी के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान एचएलएम स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। पहली एचएलएम की बैठक पिछले साल 21 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'दूसरी एचएलएम बैठक (HLM), पहली एचएलएम बैठक के परिणामों का पालन करने और हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए नई पहलों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी।'