प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा में दोनों देशों ने 75 अरब डॉलर का करेंसी स्वैप समझौता किया है जिससे भारत को अपने फोरेक्स रिजर्व और कैपिटल मार्केट में स्थायित्व लाने में मदद मिलगी। इसके साथ ही भारत और जापान के बीच हाई स्पीड ट्रेन सहित कुल छ: समझौते हुए।
2014 में प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच इस बार 13वीं शिखर बातचीत हुई जिसके बाद कुल छः समझौते हुए जिसमें करेंसी स्वैप, हाई-स्पीड ट्रेन और नौसेना के लिए सहयोग शामिल है।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस अवसर पर संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी किया जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “हम दोनों डिजिटल पार्टनरशिप से साइबर स्पेस, स्वास्थ्य, रक्षा, समुद्र से अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमत हुए हैं। आज मुझे बताया गया कि जापान के निवेशकों ने ऐलान किया है कि वे 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश करेंगे।“
वहीं जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारत-जापान संबंधों को विश्व के सबसे अच्छे द्विपक्षीय संबंधों में से एक करार दिया। उन्होंने कहा, “रक्षा, अंतरिक्ष और साइबर सहयोग को और मजबूत करने को लेकर दोनों देशों में सहमति बनी है। आयुष्मान भारत और एशिया वेलफेयर बींइग को जोड़कर स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करेंगे। जापान भारत के नेतृत्व में इंटरनैशनल सोलार अलायंस में भी आगे बढ़ेगा।“
प्रधानमंत्री की इस यात्रा में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच 2+2 वार्ता को लेकर भी सहमति बनी। अभी तक ऐसी वार्ता भारत और अमेरिका के बीच हुई है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी उद्यमियों के एक कार्यक्रम में उन्हें भारत में और निवेश करने का निमंत्रण दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2014 में (जब वे पीएम बने थे) भारत विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 140वें स्थान पर था वहीं चार साल के बाद अब 100वें स्थान पर आ गया है।